स्वच्छता स्टार्ट-अप चुनौती | 28 Jan 2022

हाल ही में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने ‘उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (DPIIT) तथा ‘फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी’ (AFD) के साथ साझेदारी में ‘स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0’ के तहत ‘स्वच्छता स्टार्ट-अप चैलेंज’ शुरू की है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0

  • SBM-U 2.0 को अगले पाँच वर्षों में 'कचरा मुक्त शहरों' के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु 01 अक्तूबर, 2021 में लॉन्च किया गया था।
  • यह कचरे के स्रोत व इसके पृथक्करण, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और वायु प्रदूषण में कमी, निर्माण व विध्वंस गतिविधियों से कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन तथा सभी पुराने डंप साइटों के बायोरेमेडिएशन पर केंद्रित है।
  • इस मिशन के तहत अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले ठीक से उपचारित किया जाएगा और सरकार इस जल के अधिकतम पुन: उपयोग को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • इस चुनौती को स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में उत्प्रेरक परिवर्तन को बढ़ावा देने हेतु अभिनव स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया है।
      • यह चुनौती चार विषयगत क्षेत्रों में समाधान आमंत्रित करती है, जिसमें (i) सामाजिक समावेश, (ii) ज़ीरो डंप (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन), (iii) प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और (iv) डिजिटल सक्षमता के माध्यम से पारदर्शिता शामिल है।
    • इसका उद्देश्य SBM-U 2.0 के तहत उद्यम विकास के लिये एक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देना है।
    • फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी (AFD) 10 चयनित स्टार्ट-अप्स में से प्रत्येक को 25 लाख रुपए की सीड फंडिंग और एक वर्ष की अनुकूलित सहायता प्रदान करेगी।
    • इसके मूल में नवाचार की भावना के साथ स्टार्ट-अप स्पेस में भारत के अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की अपार संभावनाएँ हैं।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य सामाजिक रूप से प्रभावशाली और बाज़ार के व्यावसायिक समाधान हेतु युवा नवोन्मेषकों को उद्यमिता के अवसर प्रदान करके स्टार्ट-अप आंदोलन को भुनाना है।
  • महत्त्व:
    • यह पहल ऐसे समय में की गई है जब फ्राँस और यूरोपीय संघ (यूरोपीय संघ) प्लास्टिक प्रदूषण पर एक वैश्विक संधि पर बातचीत करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
    • यह इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आज स्टार्ट-अप स्पेस तेज़ी से विकसित हो रहा है, जिसमें भारत 70 से अधिक यूनिकॉर्न (1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्यांकन को पार कर) के साथ दुनिया में अग्रणी है। 

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने हेतु पहलें: 

  • वर्ष 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर वैश्विक नेताओं ने "प्लास्टिक प्रदूषण को हराने" और प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया।
  • G-20 देशों के पर्यावरण मंत्रियों के समूह ने वैश्विक स्तर पर समुद्री प्लास्टिक कचरे के मुद्दे से निपटने हेतु एक नए कार्यान्वयन ढांँचे को अपनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, प्लास्टिक कचरे के पृथक्करण, संग्रह, प्रसंस्करण और निपटान के लिये बुनियादी ढांँचे की स्थापना हेतु प्रत्येक स्थानीय निकाय को ज़िम्मेदार होना चाहिये।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2018 ने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) की अवधारणा पेश की।
    • प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर एक नए राष्ट्रीय ढांँचे के तहत कार्य किया जा रहा है, जो निगरानी तंत्र के हिस्से के रूप में तीसरे पक्ष का ऑडिट शुरू करेगा।
  • प्लास्टिक को उसकी मूल्य शृंखला से कम करने के लिये समयबद्ध प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करने हेतु भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के सहयोग से सितंबर 2021 में इंडिया प्लास्टिक पैक्ट को लॉन्च किया गया जो एशिया में इस प्रकार का प्रथम पैक्ट था।

स्रोत- पी.आई.बी.