प्रारंभिक परीक्षा
2023 में सर्वोच्च न्यायालय में उल्लेखनीय मामलों के निस्तारण में वृद्धि
- 25 Dec 2023
- 6 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय(SC) ने वर्ष 2023 के दौरान मामलों के निस्तारण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज़ की है, जो इस अवधि के दौरान दर्ज मामलों की संख्या से अधिक है।
मामलों के निस्तारण में योगदान देने वाले कारक:
- SC ने 1 जनवरी से 15 दिसंबर, 2023 के बीच 52,191 मामलों का निस्तारण किया, जबकि इसी अवधि के दौरान 49,191 मामले भी दर्ज किये गए थे।
- 2017 में लागू इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (ICMIS) ने अधिकतम निस्तारण संख्या प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने फाइलिंग-टू-लिस्टिंग समय सीमा को सुव्यवस्थित किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि पिछले 10-दिन की आवश्यकता की तुलना में मामलों को पाँच दिनों के भीतर सूचीबद्ध किया गया था।
- ज़मानत, बंदी प्रत्यक्षीकरण, विध्वंस और अग्रिम ज़मानत से संबंधित मामलों को एक दिन के भीतर संसाधित किया गया तथा स्वतंत्रता के अधिकार को प्राथमिकता देते हुए तुरंत अदालतों में सूचीबद्ध किया गया।
- विशेष पीठों का गठन किया गया, जिनमें मृत्युदंड से संबंधित पीठें भी शामिल थीं।
इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (ICMIS) क्या है ?
- ICMIS SC द्वारा अपनाया गया अगली पीढ़ी का हाइब्रिड डेटाबेस है। यह मामलों से संबंधित विभिन्न सूचना स्रोतों को एकीकृत करता है, जैसे मामले की स्थिति, आदेश, निर्णय, अपील आदि।
- ICMIS एक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल इंटरफेस के माध्यम से वादियों को ऑनलाइन जानकारी तक पहुँचने और पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। यह मामलों की प्रगति पर वास्तविक समय अपडेट भी प्रदान करता है।
- ICMIS केस दाखिल करने तथा निस्तारण में हेरफेर और देरी को कम करने में मदद करता है। यह ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से मामलों और दस्तावेज़ों को ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
लंबित मामलों को निपटाने से संबंधित अन्य पहल क्या हैं?
- ई-न्यायालय:
- भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय तक पहुँच बढ़ाने की दिशा में ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिये ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना परियोजना शुरू की है।
- वर्ष 2007 में इसे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया, यह भारत की ई-समिति सर्वोच्च न्यायालय और न्याय विभाग के साथ सहयोग करता है।
- परियोजना दो चरणों में आगे बढ़ी, पहला चरण वर्ष 2011-2015 तक और दूसरा चरण वर्ष 2015 में शुरू हुआ, जिसमें ज़िला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय तक पहुँच बढ़ाने की दिशा में ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिये ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना परियोजना शुरू की है।
- फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (FTSC):
- FTSC की स्थापना यौन अपराधों, विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत मुकदमों की सुनवाई में तेज़ी लाने के लिये की गई थी, ताकि नियमित न्यायालयों में होने वाले विलंब का समाधान किया जा सके।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के माध्यम से अधिनियमित, यह न्यायालय कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के तहत संचालित होता है।
- FTSC की स्थापना यौन अपराधों, विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत मुकदमों की सुनवाई में तेज़ी लाने के लिये की गई थी, ताकि नियमित न्यायालयों में होने वाले विलंब का समाधान किया जा सके।
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये सर्वोच्च न्यायालय पोर्टल (SUPACE):
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये सर्वोच्च न्यायालय पोर्टल (Supreme Court Portal for Assistance in Court’s Efficiency- SUPACE), न्यायाधीशों के लिये तैयार किया गया एक उपकरण, एक तथ्य तथा विधि संग्रह प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जो निर्णय लेने के लिये प्रासंगिक जानकारी प्रदान करता है। हालाँकि यह स्वयं निर्णय नहीं लेता है, यह निर्णय लेने में इनपुट मांगने वाले न्यायाधीशों के लिये तथ्यों को संसाधित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |