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अध्ययन में पौधों की विदेशज प्रजातियों के उन्मूलन का समर्थन

  • 04 May 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

वन अधिकारियों के संघ, केरल राज्य वन सुरक्षा कर्मचारी संगठन (Kerala State Forest Protective Staff Organisation- KSFPSO) द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में केरल के मुन्नार के चिन्नक्कनाल में जंगली जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के लिये पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने के लिये जंगलों से पौधों की विदेशज़ प्रजातियों के उन्मूलन के समर्थन के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

  • KSFPSO मानव हाथी संघर्ष को कम करने के लिये वन क्षेत्रों से बबूल मर्नसी (Black wattle) और यूकेलिप्टस (यूकेलिप्टस टेरिटिकोर्निस) जैसी पौधों की विदेशज़ प्रजातियों के उन्मूलन की आवश्यकता पर बल देता है।
    • विदेशज पौधे अन्य प्रजातियों के विकास को रोकते हैं और जानवरों की आवाजाही को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे देशीय वन्यजीवों के लिये भोजन की कमी हो जाती है।
    • इन क्षेत्रों को प्राकृतिक घास के मैदानों में बदलने से चिन्नाक्कनाल में जंगली हाथियों के लिये भोजन और पानी उपलब्ध होगा तथा परिदृश्य में सुधार होगा।
  • चिन्नाक्कनाल परिदृश्य पश्चिम भारतीय लैंटाना (kongini) से घिरा हुआ है, जिससे विविध वनस्पतियों के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है और जानवरों की पहुँच के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
  • ज़िले में लगभग 4,000 हेक्टेयर वनभूमि विदेशज प्रजातियों से प्रभावित है, जिससे शिकार की उपलब्धता प्रभावित होती है और परिणामस्वरूप बाघ तथा तेंदुए जैसे शिकारियों को निकटवर्ती क्षेत्रों में आकर्षित किया जाता है।

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