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शासन व्यवस्था

मानव-पशु संघर्ष

  • 28 Jul 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानव-पशु संघर्ष, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972।

मेन्स के लिये:

मानव-पशु संघर्ष और उसके प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने लोकसभा में जानकारी दी कि मानव- वन्यजीव संघर्षों की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

मानव- वन्यजीव संघर्ष

  • परिचय:
    • मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) उन संघर्षों को संदर्भित करता है जब वन्यजीवों की उपस्थिति या व्यवहार मानव हितों या ज़रूरतों के लिये वास्तव में या प्रत्यक्ष रूप से खतरों का कारण बनता है जिसके कारण लोगों, जानवरों, संसाधनों तथा आवास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • कारण:
    • प्राकृतिक वास का नुकसान।
    • जंगली जानवरों की आबादी में वृद्धि।
    • जंगली जानवरों को खेत की ओर आकर्षित करने वाले फसल पैटर्न बदलना।
    • वन क्षेत्र से जंगली जानवरों का भोजन और चारे के लिये मानव-प्रधान भू-भागों में आना-जाना।
    • वनोपज के अवैध संग्रहण के लिये मनुष्यों का वनों की ओर आना-जाना।
    • आक्रामक विदेशी प्रजातियों आदि की वृद्धि के कारण आवास का क्षरण।
  • प्रभाव:
    • जान गँवाना।
    • जानवर और इंसान दोनों को चोट लगना।
    • फसलों और कृषि भूमि को नुकसान।
    • जानवरों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि।
  • संबंधित डेटा:
    • 2018-19 और 2020-21 के बीच देश भर में बिजली के करंट से 222 हाथियों की मौत हो गई।
    • इसके अलावा वर्ष 2019 और 2021 के बीच अवैध शिकार के चलते 29 बाघ मारे गए, जबकि 197 बाघों की मौत की जाँच की जा रही है।
    • जानवरों के साथ मानव के संघर्ष के दौरान हाथियों ने तीन वर्षों में 1,579 मनुष्यों को मार डाला–  वर्ष 2019-20 में 585, 2020-21 में 461 और 2021-22 में 533।
      • 332 मौतों के साथ ओडिशा सबसे ऊपर है, इसके बाद 291 के साथ झारखंड और 240 के साथ पश्चिम बंगाल है।
    • जबकि वर्ष 2019 से 2021 के बीच बाघों ने रिज़र्व में 125 इंसानों को मार डाला।
      • इनमें से लगभग आधी मौतें महाराष्ट्र में हुईं है।

संघर्ष से निपटने के लिये की गई पहल:

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) के प्रबंधन के लिये सलाह: यह राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (SC-NBWL) की स्थायी समिति द्वारा जारी किया गया है।
    • ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना: परामर्श में वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार समस्याग्रस्त जंगली जानवरों से निपटने के लिये ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।
    • बीमा प्रदान करना: HWC के कारण फसल क्षति के लिये मुआवज़े हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ऐड-ऑन कवरेज का उपयोग करना।
    • चारा बढ़ाना: वन क्षेत्रों के भीतर चारे और जल स्रोतों को बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
    • सक्रिय उपाय करना: स्थानीय/राज्य स्तर पर अंतर-विभागीय समितियों को निर्धारित करना, पूर्व चेतावनी प्रणाली को अपनाना, बाधाओं का निर्माण, टोल-फ्री हॉटलाइन नंबरों के साथ समर्पित सर्कल-वार नियंत्रण कक्ष, हॉटस्पॉट की पहचान आदि।
    • तत्काल राहत प्रदान करना: पीड़ित/परिवार को घटना के 24 घंटे के भीतर अंतरिम राहत के रूप में अनुग्रह राशि के एक हिस्से का भुगतान।

आगे कराह

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिये सबसे व्यापक तरीके शमन के रूप में खोजे जाते हैं या वन्यजीवों को उच्च घनत्व मानव आबादी या कृषि वाले क्षेत्रों से बाहर रखना है।
  • जनता के बीच शिक्षा और जागरूकता के प्रसार की आवश्यकता है ताकि उन्हें मानव-पशु संघर्ष के बारे में जागरूक किया जा सके, जिससे संघर्ष को रोकने के लिये दीर्घकालिक स्थायी समाधान विकसित होगा।
  • यह सुनिश्चित करना कि मनुष्यों और जानवरों के पास जीवन-निर्वाह के लिये पर्याप्त जगह है यह मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान का आधार है।
  • जंगली भूमि और प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना महत्त्वपूर्ण है, लेकिन जंगली और शहरी क्षेत्रों के बीच बफर ज़ोन बनाना भी महत्त्वपूर्ण है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. वाणिज्य में प्राणिजात और वनस्पति-जात के व्यापार-संबंधी विश्लेषण (TRAFFIC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

1- TRAFFIC, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अंतर्गत एक ब्यूरो है।
2- TRAFFIC का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि वन्य पादपों और जंतुओं के व्यापार से प्रकृति के संरक्षण को खतरा न हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B

व्याख्या:

  • वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क, वाणिज्य में जीव और वनस्पति का व्यापार संबंधित विश्लेषण (TRAFFIC), प्रकृति के लिये वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) और IUCN प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ का संयुक्त कार्यक्रम है। इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी। यह UNEP के तहत विभाग/ब्यूरो नहीं है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • TRAFFIC यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करता है कि जंगली पौधों और जानवरों का व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिये खतरा न हो। अत: कथन 2 सही है।
  • TRAFFIC संसाधनों, विशेषज्ञता और नवीनतम विश्व स्तर पर ज़रूरी प्रजातियों के व्यापार के मुद्दों जैसे बाघ के अंगों, हाथीदाँत और गैंडे के सींग के बारे में जागरूकता पर केंद्रित है। लकड़ी एवं मत्स्य उत्पादों जैसी वस्तुओं में बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक व्यापार को भी संबोधित किया जाता है तथा तेज़ी से परिणाम और नीतिगत सुधारों को विकसित करने के काम से जोड़ा जाता है। अतः विकल्प (B) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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