प्रारंभिक परीक्षा
सेंट मार्टिन द्वीप
- 19 Aug 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सेंट मार्टिन द्वीप (St Martin’s Island) को किसी अन्य देश को पट्टे पर दिये जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया।
सेंट मार्टिन द्वीप से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- द्वीप के बारे में:
- सेंट मार्टिन द्वीप बंगाल की खाड़ी के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बांग्लादेश और म्याँमार की सीमा के निकट स्थित है।
- यह बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार-टेकनाफ प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे से नौ किलोमीटर दूर है।
- 7.3 किमी लंबा यह द्वीप समुद्र तल से 3.6 मीटर की ऊँचाई पर है।
- यह बांग्लादेश का एकमात्र प्रवाल द्वीप है और समुद्री कछुओं का प्रजनन स्थल भी है।
- पृष्ठभूमि:
- यह द्वीप लगभग 5,000 वर्ष पहले टेकनाफ प्रायद्वीप का हिस्सा था, लेकिन धीरे-धीरे समुद्र में डूब गया।
- लगभग 450 वर्ष पूर्व वर्तमान सेंट मार्टिन द्वीप के दक्षिणी उपनगर पुनः उभरे तथा इसके बाद के अगले 100 वर्षों में द्वीप के उत्तरी और शेष भाग समुद्र तल से ऊपर उठ गए।
- अरब व्यापारी इस द्वीप पर बसने वाले आरंभिक निवासी थे, जो 18वीं शताब्दी में यहाँ आए।
- उन्होंने शुरुआत में इसका नाम "जज़ीरा" (जिसका अर्थ है "द्वीप" या "प्रायद्वीप") रखा और बाद में इसका नाम बदलकर "नारिकेल जिंज़ीरा" या "कोकोनट आइलैंड" रख दिया।
- वर्ष 1900 में ब्रिटिश भारत ने भूमि सर्वेक्षण के दौरान इस द्वीप को अपने अधीन कर लिया। इस दौरान इस द्वीप को सेंट मार्टिन द्वीप के नाम से जाना जाने लगा। यह नाम चटगाँव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर मार्टिन के नाम पर रखा गया था।
- वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद यह पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और तत्पश्चात वर्ष 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद स्वतंत्र बांग्लादेश का हिस्सा बन गया।
- यह द्वीप लगभग 5,000 वर्ष पहले टेकनाफ प्रायद्वीप का हिस्सा था, लेकिन धीरे-धीरे समुद्र में डूब गया।
वर्ष 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (Bangladesh Liberation War)
- पृष्ठभूमि:
- अपनी स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान में विभाजित हो गया।
- दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक दूरी, पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी क्षेत्र का आर्थिक शोषण, सांस्कृतिक संघर्ष और पूर्वी पाकिस्तान के प्रशासन की उपेक्षा प्रमुख चुनौतियाँ थीं।
- 1960 के दशक के मध्य में शेख मुजीबुर रहमान (बांग्लादेश के ‘जतिर पिता’ अर्थात् 'राष्ट्रपिता') जैसे नेताओं ने पश्चिमी पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उनके विरोध का क्रूरतापूर्वक दमन किया।
- अपनी स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान में विभाजित हो गया।
- भारत की भूमिका:
- 15 मई 1971 को भारत ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में लगे मुक्ति वाहिनी लड़ाकों की भर्ती, प्रशिक्षण, हथियार, उपकरण, आपूर्ति और सलाह देने के लिये ऑपरेशन जैकपॉट शुरू किया।
- 3 दिसंबर 1971 को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमानों और हिंदुओं को बचाने के लिये पाकिस्तान के साथ युद्ध करने का फैसला किया। युद्ध 13 दिनों तक चला।
- उसके बाद भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिससे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध समाप्त हुआ।
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