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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के विभाजन का भारतीय समाज, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा था? इस विभाजन के कारणों, परिणामों के साथ इसके बाद की स्थितियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    27 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के विभाजन को संक्षेप में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • इस विभाजन के कारणों और परिणामों की चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • वर्ष 1947 में भारत का विभाजन एक महत्त्वपूर्ण घटना थी जिससे भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत का मार्ग प्रशस्त हुआ था। इस विभाजन के कारण दो अलग-अलग राष्ट्रों (भारत और पाकिस्तान) का निर्माण हुआ था।

    मुख्य भाग:

    • विभाजन के कारण:
      • भारत का विभाजन विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक कारकों का परिणाम था। भारत को स्वतंत्रता देने का ब्रिटिश सरकार का निर्णय बढ़ते राष्ट्रवादी आंदोलन और भारतीय लोगों की स्व-शासन की इच्छा से प्रभावित था।
      • हालाँकि विभाजन मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच धार्मिक तनाव का परिणाम था।
      • मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ने भारत में मुसलमानों के लिये एक अलग राज्य की मांग की, जिसे उन्होंने पाकिस्तान कहा।
        • पाकिस्तान की मांग को इस विश्वास से बल मिला कि हिंदू और मुसलमान एक ही राष्ट्र में सह-अस्तित्व से नहीं रह सकते हैं। ब्रिटिश सरकार ने पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया और 15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन किया गया था।
    • विभाजन के परिणाम:
      • भारत के विभाजन का भारतीय समाज, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा था।
        • समाज:
          • भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप मानव इतिहास में सबसे बड़ा सामूहिक प्रवासन हुआ था।
            • इस दौरान लाखों हिंदू और सिख पाकिस्तान से भारत आए और लाखों मुसलमान भारत से पाकिस्तान गए।
          • इस प्रवासन में काफी हिंसा और रक्तपात हुआ था।
            • इस हिंसा और विस्थापन से असुरक्षा की भावना विकसित हुई थी जो आज भी भारतीय समाज को प्रभावित करती है।
        • राजनीति:
          • भारत के विभाजन के कारण दो अलग-अलग राष्ट्रों (भारत और पाकिस्तान) का निर्माण हुआ था।
          • विभाजन के साथ लाखों लोगों का हिंसक विस्थापन हुआ था और हिंसा की यह विरासत दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों को प्रभावित करती रही।
            • विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान लगभग निरंतर संघर्ष की स्थिति में रहे और इस क्रम में तीन बड़े युद्ध और कई छोटे संघर्ष हुए थे।
              • इससे दोनों देश परमाणु हथियारों को पाने की दौड़ में शामिल हुए जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा मिला था।
        • अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
          • भारत के विभाजन का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था।
          • पाकिस्तान के निर्माण से एक नए मुस्लिम राज्य का उदय हुआ जो शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी शक्तियों के साथ शामिल हुआ था।
          • दूसरी ओर भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ दोनों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की मांग की।
    • विभाजन के बाद:
      • भारत के विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष और तनाव को बढ़ावा मिला था। तीन बड़े युद्धों और कई छोटे संघर्ष के साथ दोनों देश विभाजन के बाद से लगभग निरंतर संघर्ष की स्थिति में रहे थे। इसी क्रम में दोनों देशों द्वारा परमाणु हथियारों के विकास को भी प्रोत्साहन दिया गया था।
        • भारत के विभाजन का भारतीय समाज पर भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था। लाखों लोगों के विस्थापन से शरणार्थियों को फिर से बसने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
        • इस विभाजन की हिंसा और आघात की विरासत आज भी भारतीय समाज को प्रभावित कर रही है। अभी भी देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और संघर्ष बना हुआ है।

    निष्कर्ष:

    • भारत के विभाजन का भारतीय समाज, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा था। यह विभाजन हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच धार्मिक तनाव का परिणाम था, जो मुसलमानों के लिये एक अलग देश बनाने की मांग से प्रेरित था।
      • इस दौरान लाखों लोगों के हिंसक विस्थापन से असुरक्षा की विरासत को जन्म मिला था जिससे आज भी भारतीय समाज प्रभावित हो रहा है। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले संघर्ष का न केवल क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था बल्कि दोनों देश परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल हुए थे।

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