हिम तेंदुआ | 26 Jul 2022

हाल ही में, नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडी के तहत भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (Zoological Survey of India) द्वारा किये गए एक अध्ययन में हिम तेंदुए, साइबेरियन आइबेक्स और नीली भेड़ द्वारा आवास के उपयोग के बीच संबंध पर प्रकाश डाला गया।

  • इसका उद्देश्य यह जाँचना था कि हिंसक जानवर (Predators) अपनी शिकार प्रजातियों की उपस्थिति या अनुपस्थिति में निवास स्थान का उपयोग किस प्रकार करता है।

हिमालयी अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन:

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की सहायता अनुदान योजना है, इसके माध्यम से भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी प्रबंधन से संबंधित प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने में पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों एवं उनके संबंधों की समग्र समझ के माध्यम से आवश्यक ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य है।
  • अंतिम लक्ष्य देश के लिये दीर्घकालिक पारिस्थितिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के हेतु जीवन की गुणवत्ता में सुधार और क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखना है।
  • चूँकि मिशन विशेष रूप से भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) को लक्षित करता है, NMHS के अधिकार क्षेत्र में 10 हिमालयी राज्य (अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड) तथा दो राज्य (असम और पश्चिम बंगाल के पहाड़ी ज़िले) आंशिक रूप से शामिल हैं
  • लक्ष्यों में शामिल हैं:
    • प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत् प्रबंधन को बढ़ावा देना;
    • पूरक और/या वैकल्पिक आजीविका और क्षेत्र के समग्र आर्थिक कल्याण में वृद्धि;
    • क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करना और रोकना;
    • क्षेत्र में मानव और संस्थागत क्षमताओं तथा ज्ञान एवं नीतिगत वातावरण में वृद्धि करना,
    • जलवायु-अनुकूल मूल बुनियादी ढाँचे और बुनियादी सेवाओं के विकास को मज़बूत, हरा-भरा करना तथा बढ़ावा देना।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ:

  • अध्ययन में पाया गया कि हिम तेंदुए का पता लगाने की संभावना अधिक थी यदि साइट का उपयोग इसकी शिकार प्रजातियों, यानी आइबेक्स और नीली भेड़ द्वारा किया जाता था।
  • जबकि, शिकार प्रजातियों के मामले में जब शिकारी (हिम तेंदुआ) मौजूद था और उसका पता लगाया गया था, तब पता लगाने की संभावना कम थी।
  • इसके अलावा, हमारे परिणामों ने सुझाव दिया कि दोनों प्रजातियों की अपेक्षा से एक साथ पता लगाने की संभावना कम थी।
  • अध्ययन के अनुसार, आवास चर जैसे- बंजर क्षेत्र, घास के मैदान, ढलान और पानी से दूरी हिम तेंदुए और इसकी शिकार प्रजातियों दोनों के लिये आवास उपयोग के प्रमुख चालक थे।
  • हिम तेंदुए जैसे शिकारी ब्लू शीप और साइबेरियन आइबेक्स जैसे शाकाहारी जीवों की आबादी को नियंत्रित करते हैं, जिससे घास के मैदानों के स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
    • हिम तेंदुओं की लंबे समय तक अनुपस्थिति ट्रॉफिक कैस्केड का कारण बन सकती है क्योंकि आबादी के अनियंत्रित रूप से बढ़ने की संभावना है, जिससे वनस्पति आवरण का ह्रास होगा।
  • स्पीति घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र में हिम तेंदुए और इसकी शिकार प्रजातियों की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिये प्रजातियों के बीच संबंधों के बारे में ज्ञान बेहतर संरक्षण और प्रबंधन रणनीतियों को विकसित करने के लिये उपयोगी होगा।

Snow-Leopard

हिम तेंदुआ:

  • परिचय:
    • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा अनकिया (Panthera Uncia)
    • शीर्ष शिकारी: हिम तेंदुआ खाद्य शृंखला में शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी स्थिति के कारण पहाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
  • सुरक्षा स्थिति:
  • आवास:
    • मध्य एशिया के पहाड़ी परिदृश्य में उनका एक विशाल लेकिन खंडित वितरण है, जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों जैसे- लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को कवर करता है।
  • खतरा:
    • हस्ताक्षरकर्त्ता देशों में जानवरों के शरीर के अंगों (फर, हड्डियों और मांस) का अवैध व्यापार के कारण इन्हें काफी अधिक खतरा है।

भारत में संरक्षण के प्रयास:

  • भारत सरकार ने हिम तेंदुए की पहचान उच्च हिमालय की एक प्रमुख प्रजाति के रूप में की है।
  • भारत वर्ष 2013 से वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का हिस्सा है।
  • हिमाल संरक्षक: यह अक्तूबर 2020 में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिये शुरू किया गया एक सामुदायिक स्वयंसेवक कार्यक्रम है।
  • वर्ष 2019 में ‘स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट’ पर फर्स्ट नेशनल प्रोटोकॉल भी लॉन्च किया गया, जो इसकी आबादी की निगरानी के लिये बहुत उपयोगी है।
  • सिक्योर हिमालय: वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) के तहत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने ऊँचाई पर स्थित जैवविविधता के संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर स्थानीय समुदायों की निर्भरता को कम करने के लिये इस परियोजना का वित्तपोषण किया।
  • हिम तेंदुआ परियोजना: यह परियोजना वर्ष 2009 में हिम तेंदुओं और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये एक समावेशी एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई थी।
  • हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम पद्मजा नायडू हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में शुरू किया गया है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)

  1. ब्लैक नेक क्रेन
  2. चीता
  3. उड़न गिलहरी
  4. हिम तेंदुआ

उपर्युक्त में से कौन-से स्वाभाविक रूप से भारत में पाए जातें हैं?  

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b) 

व्याख्या:

  • ब्लैक नेक क्रेन आमतौर पर तिब्बती और ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती है। सर्दियों में वे भारतीय हिमालय के कम ठंडे क्षेत्रों में चले जाते हैं। IUCN सूची में इसे निकट संकट के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अत: कथन 1 सही है।
  • चीता भारत में विलुप्त प्रजाति है। वे स्वतंत्रता पूर्व काल के दौरान मुख्य रूप से शिकार किये जाने के कारण विलुप्त हो गए। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत तक इसकी प्रजातियाँ पहले से ही कई क्षेत्रों में विलुप्त होने की ओर बढ़ रही थीं। भारत में एशियाई चीतों की उपस्थिति का अंतिम भौतिक प्रमाण वर्ष 1947 में पूर्वी मध्य प्रदेश या उत्तरी छत्तीसगढ़ में मिला था। IUCN सूची में इसे संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अत: कथन 2 सही नहीं है।
  • उड़न गिलहरी पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर और अन्य भारतीय जंगलों में पाई जाती है। IUCN सूची में इसे कम चिंताजनक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अत: कथन 3 सही है।
  • हिम तेंदुआ जिसे IUCN सूची में संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, हिमालय पर्वतमाला में पाया जाता है। अत: कथन 4 सही है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: द हिंदू