नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वन्यजीव अपराधों को रोकेगा डीएनए परीक्षण

  • 25 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विश्लेषण से पता चला है कि वन्यजीव अपराधों को रोकने में डीएनए (Deoxyribonucleic Acid-DNA) एक उपकरण के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैज्ञानिकों द्वारा पिछले कुछ समय में किये गए विश्लेषणों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अवैध रूप से शिकार किये गए जंगली जानवरों के डीएनए फॉरेंसिक (जाँच प्रक्रिया) द्वारा पहचान करके भविष्य में इन जानवरों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर रोक लगाईं जा सकती है।
  • ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार आने वाले वर्षों में वन्यजीव प्रजातियों की पहचान करते हुए आँकड़े एकत्र किये जाएंगे जिससे अवैध शिकार की प्रवृत्ति को समझ कर पहले से ही इसे रोकने के समुचित उपाय किये जा सकेंगे।

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India-ZSI)

  • भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI), पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक संगठन है।
  • समृद्ध जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अग्रणी सर्वेक्षण, अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) की स्थापना तत्कालीन 'ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य' में 1 जुलाई, 1916 को की गई थी।
  • इसका उद्भव 1875 में कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में स्थित प्राणी विज्ञान अनुभाग की स्थापना के साथ ही हुआ था।
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में है तथा वर्तमान में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों में स्थित हैं।

डीएनए फोरेंसिक जांच प्रक्रिया

  • वर्तमान समय में डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया द्वारा बेहतर तरीके से समस्त मानव एवं जीव-जंतुओं की पहचान करने तथा आपराधिक मामलों की गुत्थियाँ सुलझाने में किया जा सकता है।
  • मनुष्यों सहित समस्त जीव-जंतुओं में एक विशेष संरचनायुक्त रसायन पाया जाता है जो उसे विशिष्ट पहचान प्रदान करता है उसे डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) कहते हैं।
  • इस प्रक्रिया द्वारा किसी जीव-जंतु के जैविक अंशों जैसे - रक्त, बाल, लार, वीर्य या दूसरे कोशिका-स्नोतों के द्वारा उसके डीएनए की पहचान की जाती है।
  • डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया विशिष्ट डीएनए क्रम का प्रयोग करती है, जिसे माइक्रोसैटेलाइट (Microsatellites) कहा जाता है।

माइक्रोसैटेलाइट (Microsatellites) – यह गुणसूत्र में किसी विशेष स्थान पर डीएनए अनुक्रमों का एक सेट है जो कम संख्या में दोहराया गया होता है। यह विभिन्न व्यक्तियों में संख्या में भिन्न होता है। इसलिए डीएनए फोरेंसिक प्रक्रिया (आनुवंशिक फिंगरप्रिंटिंग) के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

स्रोत – द हिंदू, ZSI की आधिकारिक वेबसाइट

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow