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शनि ग्रह के वलय

  • 20 Feb 2025
  • 2 min read

पूर्ववर्ती मतों के अनुसार शनि के वलय 100 मिलियन वर्ष प्राचीन हैं जबकि एक अध्ययन किया गया जिसके अनुसार इनकी कालावधि सौरमंडल जितनी प्राचीन हो सकती है।

  • कैसिनी अंतरिक्ष यान के आँकड़ों पर आधारित प्रारंभिक धारणाओं के अनुसार शनि के वलय नवोदित हैं चूँकि ये स्वच्छ हैं, जिससे वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हुए थे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अंतरिक्ष मलबे से काली धूल निकलेगी।
    • लेकिन अध्ययन में पाया गया कि धूल के वाष्पीकरण के कारण इनकी स्वच्छता बनी रहती है, जिससे यह सिद्ध होता है कि वे प्राचीन हो सकते हैं।
  • कैसिनी: शनि और उसके चंद्रमाओं का अध्ययन करने के लिये यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के ह्यूजेंस यान के साथ राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
    • शनि: यह बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, और हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। यह सूर्य से 9.5 खगोल इकाई (AU) (AU सूर्य से पृथ्वी की दूरी है)  पर स्थित है।
  • शनि के 146 चंद्र हैं और यह हाइड्रोजन और हीलियम से बना एक गैसीय ग्रह है।

  • शनि के वलय: इसमें सात मुख्य वलय हैं, जिन्हें उनकी खोज के क्रम में नाम दिया गया है (D, C, B, A, F, G, E), जो बाहर की ओर बढ़ने पर धुँधले होते जाते हैं और मुख्य रूप से बर्फीले हिमकंदुक अथवा स्नोबॉल से बने होते हैं।
    • इनमें मुख्य वलय A, B और C हैं, जिनमें A वलय पृथ्वी-आधारित दूरबीनों के माध्यम से सरलता से प्रेक्षणीय है। कैसिनी डिवीज़न B और A वलय को पृथक करता है।
    • F वलय, A वलय के बाहर स्थित है तथा G और E वलय की दृश्यता सबसे कम है, जिसमें E वलय विशालतम है।

और पढ़ें: कुछ समय के लिये अदृश्य हो जाएँगे शनि के वलय

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