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भारत के विदेशी ऋण में वृद्धि

  • 27 Jun 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत का विदेशी ऋण (External debt) मार्च 2023 से 39.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर मार्च 2024 के अंत तक 663.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।

  • बाह्य ऋण देश के बाहर किसी स्रोत से उधार लिया गया धन है, जिसे उधार ली गई मुद्रा में चुकाया जाना होता है।
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मुकाबले बाह्य ऋण का अनुपात मार्च 2023 के अंत में 19.0% से घटकर मार्च 2024 के अंत में 18.7% हो गया।
  • दीर्घकालिक ऋण (एक वर्ष से अधिक समय में परिपक्व होने वाला) में 45.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई, जो मार्च 2024 में 541.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • अल्पावधि ऋण (एक वर्ष तक की अवधि में परिपक्व होने वाला) का अनुपात 20.6% से घटकर 18.5% हो गया।
    • विदेशी मुद्रा भंडार में अल्पावधि ऋण का अनुपात 22.2% से घटकर 19% हो गया।
  • मार्च 2024 तक भारत का विदेशी ऋण मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर (53.8%), इसके बाद भारतीय रुपए (31.5%), येन (5.8%), SDR (5.4%) और यूरो (2.8%) का स्थान था।
    • सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों के ऋण में वृद्धि हुई।
  • गैर-वित्तीय निगमों के पास बकाया ऋण का सबसे अधिक हिस्सा (37.4%) था, उसके बाद जमा स्वीकार करने वाले निगम (केंद्रीय बैंक को छोड़कर) (28.1%), सरकार (22.4%) और अन्य वित्तीय निगम (7.3%) थे।
  • बाह्य ऋण में ऋण का हिस्सा 33.4% है, इसके बाद मुद्रा और जमा (23.3%), व्यापार ऋण और अग्रिम (17.9%) और ऋण प्रतिभूतियाँ (17.3%) हैं।

और पढ़ें:  ऋण स्थिरता और विनिमय दर प्रबंधन

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