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P2P ऋण देने वाले प्लेटफॉर्मों पर RBI द्वारा त्वरित जाँच

  • 23 Aug 2024
  • 3 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड   

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-पीयर टू पीयर (P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी नियामक जाँच तेज़ कर दी है, जिसमें गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के उच्च स्तर सहित कई नियामक उल्लंघनों का पता चला है।

  • अनधिकृत जमा स्वीकृति और एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) में संदिग्ध रूप से बड़ी शेष राशि उन उल्लंघनों में से थे जिन्हें RBI ने अपने मूल्यांकन के दौरान पाया और रिपोर्ट किया।
  • कुछ P2P प्लेटफॉर्म ऋणदाताओं को समय से पहले धन-निकासी की अनुमति देते थे तथा उन्हें नए ऋणदाताओं से प्रतिस्थापित कर देते थे, जिन्हें स्वयं के द्वारा लिये जा रहे ऋणों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी, इसे ही पोंज़ी योजना के रूप में जाना जाता है।
    • पोंज़ी योजना एक निवेश धोखाधड़ी है जिसमें नए निवेशकों से एकत्रित धन से मौजूदा निवेशकों को भुगतान किया जाता है।
      • पोंज़ी योजना का नाम चार्ल्स पोंज़ी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वर्ष 1919 में बोस्टन, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक धोखाधड़ी वाली निवेश योजना चलाई थी, जिसमें 90 दिनों में निवेश को दोगुना करने का वादा किया गया था।
  • P2P प्लेटफॉर्म व्यक्तियों को RBI-विनियमित NBFC के माध्यम से उधारकर्त्ताओं को सीधे ऋण देने में सक्षम बनाता है, जिससे अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिये त्वरित ऋण वितरण की सुविधा मिलती है।
  • RBI के जिन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है उनमें कहा गया है कि NBFC-P2P संस्थाओं को किसी भी ऋण जोखिम को उठाए बिना केवल मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिये। 
    • P2P प्लेटफॉर्म पीयर-टू-पीयर ऋण को निवेश उत्पाद के रूप में बढ़ावा नहीं दे सकते, जिसमें सुनिश्चित न्यूनतम रिटर्न या तरलता विकल्प जैसी विशेषताएँ हों।

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