Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 सितंबर, 2021 | 25 Sep 2021
कमला भसीन
महिला अधिकार कार्यकर्त्ता कमला भसीन का हाल ही में 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल, 1946 को राजस्थान में हुआ था और उनके पिता डॉक्टर थे। वह ‘संगत-ए फेमिनिस्ट नेटवर्क’ के साथ अपने कार्य के लिये काफी प्रसिद्ध थीं, साथ ही उन्हें उनकी कविता ‘क्यूँकि मैं लड़की हूँ, मुझे पढ़ना है’ के लिये भी जाना जाता है। एक सामाजिक वैज्ञानिक के रूप में कमला भसीन 35 वर्षों से अधिक समय तक विकास, शिक्षा, लिंग, मीडिया और कई अन्य संबंधित मुद्दों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने वर्ष 1972 में राजस्थान में ग्रामीण एवं शहरी गरीबों के सशक्तीकरण हेतु एक स्वैच्छिक संगठन के साथ कार्य करना शुरू किया था। वर्ष 1976 से वर्ष 2001 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) के साथ काम किया। वर्ष 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा दे दिया और ‘संगत’ संगठन के साथ बतौर संस्थापक सदस्य और सलाहकार के रूप में कार्य शुरू किया।
हेंसन क्रेटर
‘इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एक क्रेटर का नाम ‘मैथ्यू हेंसन’ के नाम पर रखा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में ‘स्वेर्ड्रुप’ और ‘डी गेर्लाचे’ क्रेटर्स के बीच स्थित ‘हेंसन क्रेटर’ वह क्षेत्र है जहाँ ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) द्वारा ‘आर्टेमिस मिशन’ के तहत लैंडिंग की योजना बनाई गई है। 8 अगस्त, 1866 को मैरीलैंड में जन्मे मैथ्यू अलेक्जेंडर हेंसन अफ्रीकी अमेरिकी खोजकर्त्ता थे, जिन्होंने प्रसिद्ध अन्वेषक ‘रॉबर्ट ई. पियरी’ के साथ कई अन्वेषण अभियानों में हिस्स्सा लिया, जिनमें वर्ष 1909 में उत्तरी ध्रुव का अन्वेषण अभियान भी शामिल है। इस अभियान के दौरान ‘मैथ्यू हेंसन’ दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले पहले अन्वेषकों में से एक थे। ज्ञात हो कि आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के माध्यम से नासा ने वर्ष 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है। आर्टेमिस मिशन के माध्यम से नासा नई प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और व्यापार दृष्टिकोण का प्रदर्शन करना चाहता है जो भविष्य में मंगल ग्रह में अन्वेषण के लिये आवश्यक होंगे।
विष्णुओनीक्स नेपच्यून
जर्मन शोधकर्त्ताओं के हालिया अध्ययन के दौरान ऊदबिलाव की एक पूर्व अज्ञात प्रजाति के जीवाश्म की खोज की गई है, जिसे ‘विष्णुओनीक्स नेपच्यून’ नाम दिया गया है। इस प्रजाति की खोज ‘हैमरस्चमीडे’ क्षेत्र में 11.4 मिलियन वर्ष पुराने स्ट्राटा से की गई थी, जो जर्मनी के बवेरिया में एक जीवाश्म स्थल है जिसका अध्ययन पिछले लगभग 50 वर्षों से किया जा रहा है। यह यूरोप में ‘विष्णुओनीक्स’ प्रजाति के किसी भी सदस्य की पहली खोज है। ‘विष्णुओनीक्स’ मध्यम आकार के शिकारी जानवर थे, जिनका वज़न औसतन 10-15 किलोग्राम था। इससे पूर्व इस प्रजाति के सदस्यों के ज्ञात अवशेष केवल एशिया और अफ्रीका में प्राप्त हुए थे। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि ‘विष्णुओनीक्स’ लगभग 12 मिलियन वर्ष पूर्व पूर्वी अफ्रीका तक पहुँच गए थे। ‘विष्णुओनीक्स’ काफी हद तक जल पर निर्भर थे और वे भूमि पर लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकते थे। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, उन्होंने एशिया और यूरोप के बीच की लंबी दूरी की यात्रा संभवतः 12 मिलियन वर्ष पूर्व की थी, जब आल्प्स पर्वतमाला का निर्माण अपने प्रारंभिक चरण में था।
दुनिया का सबसे ऊँचा इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन
सतत् पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति ज़िले के ‘काज़ा’ में दुनिया के सबसे ऊँचे (500 फीट ऊँचा) इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। इस चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले यात्री काज़ा में चार्जिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। ध्यातव्य है कि भारत में सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ के विकास के लिये पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने हेतु कई प्रयास किये गए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक कुल कारों एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30% की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का विकास तेज़ी से हो रहा है जो सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होगा।