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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 मई, 2023

  • 23 May 2023
  • 9 min read

मेटा का यूरोपीय संघ गोपनीयता मामला: ज़ुर्माना और डेटा हस्तांतरण प्रतिबंध 

फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा पर यूरोपीय संघ (European Union- EU) द्वारा अपने गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने हेतु 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ज़ुर्माना लगाया गया है। आयरिश डेटा प्रोटेक्शन कमीशन (DPC) द्वारा वर्ष 2018 में शुरू हुई दो जाँचों के बाद ज़ुर्माना लगाया गया है। DPC ने पाया कि मेटा ने सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (General Data Protection Regulation- GDPR) का उल्लंघन किया था, जो यूरोपीय संघ का प्रमुख गोपनीयता कानून है जो उपयोगकर्त्ताओं को उनके व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त मेटा को यूरोपीय संघ से अमेरिका में डेटा स्थानांतरित करने हेतु मानक संविदात्मक खंड (Standard Contractual Clauses- SCC) का उपयोग बंद करने का आदेश दिया गया है। SCC ऐसे अनुबंध हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियाँ सीमा पार डेटा स्थानांतरित करते समय यूरोपीय संघ के गोपनीयता मानकों का पालन करें। मेटा को वर्ष 2020 से नवंबर 2023 तक अमेरिका में स्थानांतरित और संग्रहीत किये गए यूरोपीय फेसबुक उपयोगकर्त्ताओं के डेटा को हटाने या स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय संभावित रूप से यूरोप में मेटा की सेवाओं को बाधित कर सकता है एवं लाखों उपयोगकर्त्ताओं को प्रभावित कर सकता है।

और पढ़ें…डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022

INS सिंधुरत्न

किलो-वर्ग की पनडुब्बी INS सिंधुरत्न रूस में एक महत्त्वपूर्ण उन्नयन के बाद सफलतापूर्वक मुंबई, भारत पहुँच गई है। सिंधुघोष-वर्ग से संबंधित डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी INS सिंधुरत्न का एक समृद्ध इतिहास रहा है और इसने तीन दशकों से अधिक समय तक भारतीय नौसेना की सेवा की है। इसे वर्ष 1988 में कमीशन किया गया, यह अपने परिचालन जीवन और क्षमताओं को बढ़ाने के लिये कई उन्नयन एवं मरम्मत प्रक्रियाओं से गुज़रा है। विशेषत: वर्ष 2010 में इसे क्लब-एस क्रूज़ मिसाइल प्रणाली (Klub-S cruise missile system) से लैस किया गया था, जिससे इसकी मारक क्षमता बढ़ गई थी। वर्ष 2018 में इसने रूस में एक व्यापक मीडियम रिफिट लाइफ सर्टिफिकेशन (MRLC) कार्यक्रम चलाया, जिसमें महत्त्वपूर्ण प्रणालियों का प्रतिस्थापन शामिल था। INS सिंधुरत्न पश्चिमी नौसेना कमान की शक्ति और परिचालन तत्परता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपने आधुनिक हथियार और सेंसर सूट के साथ यह पनडुब्बी भारत की समुद्री क्षमताओं को मज़बूत करती है तथा हिंद महासागर क्षेत्र में देश के हितों और सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान देती है। किलो-वर्ग की पनडुब्बियों में 2,300 टन का विस्थापन, 300 मीटर की गहराई में गोता लगाने और 18 समुद्री मील की तीव्र गति क्षमता है। नौसेना के पास सेवा में 16 पारंपरिक पनडुब्बियाँ हैं। इनमें सात रूसी किलो-वर्ग की पनडुब्बियाँ, चार जर्मन मूल की HDW पनडुब्बियाँ और पाँच फ्राँसीसी स्कॉर्पिन-श्रेणी की पनडुब्बियाँ शामिल हैं।

और पढ़ें… इंडोनेशिया पहुँची INS सिंधुकेसरी

INSV तारिणी चालक दल ऐतिहासिक यात्रा के बाद स्वदेश लौटा 

INSV तारिणी के चालक दल की 17000 एनएम लंबी अंतर-महाद्वीपीय यात्रा समापन की ओर बढ़ रही है, जो महासागर नौकायन के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। दो असाधारण महिला अधिकारियों सहित छह सदस्यीय चालक दल को सम्मानित करने हेतु 23 मई, 2023 को भारतीय नौसेना जल कौशल प्रशिक्षण केंद्र (INWTC), INS मंडोवी, गोवा में एक भव्य 'फ्लैग इन' समारोह आयोजित किया जाएगा। छह महिला नौसेना अधिकारियों ने नाविक सागर परिक्रमा नौकायन अभियान के माध्यम से नौसेना और देश के अंदर समुद्री नौकायन की लोकप्रियता को बढ़ाया है। INSV तारिणी की वर्तमान यात्रा ने एक महिला को विश्व की एकल परिक्रमा पर भेजने के नौसेना के आगामी प्रयास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम स्थापित किया है। INSV तारिणी भारतीय नौसेना की दूसरी सेलबोट है जिसका निर्माण गोवा में एक्वेरियस शिपयार्ड में किया गया था। इसे 18 फरवरी, 2017 को भारतीय नौसेना सेवा में नियुक्त किया गया था और ओडिशा में तारा तारिणी मंदिर के नाम पर इसका नामकरण किया गया था, जो प्राचीन ओडिशा के नाविकों और व्यापारियों के संरक्षक देवता हैं।

और पढ़ें… ओडिशा में तारा तारिणी मंदिर 

भारत की प्रमुख झीलों के सूखने की प्रवृत्ति चिंता पैदा करती है

हाल ही में हुए नवीन शोध, वर्ष 1992 से 2020 तक भारत में 30 से अधिक बड़ी झीलों के सूखने की प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। इन झीलों में से 16 प्रमुख झीलें दक्षिण भारत में स्थित हैं, जिनमें मेट्टूर (तमिलनाडु), कृष्णराजसागर (कर्नाटक), नागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर ज़िले और तेलंगाना राज्य के नलगोंडा ज़िले के मध्य अवस्थित) तथा इदमालयार (केरल) आदि शामिल हैं। यह शोध बताता है कि हाल का सूखा  दक्षिण भारत में जलाशयों की जलधारण क्षमता में गिरावट के लिये संभावित कारक हो सकता है। कुल वैश्विक भूमि क्षेत्र के 3% को कवर करने वाली झीलें, कार्बन साइकलिंग के माध्यम से जलवायु को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके महत्त्व के बावजूद झीलों को अक्सर अच्छी तरह से प्रबंधित नहीं किया जाता है और नदियों की तुलना में कम ध्यान दिया जाता है। उपग्रह अवलोकनों ने वैश्विक स्तर पर 90,000 वर्ग किलोमीटर स्थायी जल क्षेत्र की हानि दर्ज की है, किंतु इस हानि के पीछे निहित कारक स्पष्ट नहीं हैं। एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि विश्व की 53% सबसे बड़ी झीलों में जल की कमी हो रही है, जबकि 24% में वृद्धि हुई है। वैश्विक आबादी का लगभग 33% हिस्सा वृहत, सूखी झील वाले बेसिन में रहता है। आर्कटिक झीलों में शुष्कन की अधिक स्पष्ट प्रवृत्ति देखी गई है और यह सुझाव देता है कि जलवायु परिवर्तन, मानव जल की खपत के साथ इन परिवर्तनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रभावी झील प्रबंधन और विश्व भर में समाज एवं जल आपूर्ति को बनाए रखने में उनके महत्त्व को पहचानने के लिये झील के जल में आ रही गिरावट के कारकों, जैसे तापमान, वर्षा, अपवाह और मानव उपभोग को समझना आवश्यक है। 

और पढ़ें… भारत में झीलें

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