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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 जून, 2023

  • 21 Jun 2023
  • 9 min read

राजमार्ग विकास हेतु NHAI का नॉलेज शेयरिंग प्लेटफॉर्म 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India- NHAI) ने सड़क डिज़ाइन, निर्माण, सड़क सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में ज्ञान एवं सर्वोत्तम विधियों के आदान-प्रदान की सुविधा हेतु अपनी वेबसाइट पर 'नॉलेज शेयरिंग' प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। यह प्लेटफॉर्म विशेषज्ञों एवं नागरिकों को अंतर्दृष्टि साझा करने तथा वीडियो क्लिप, पॉवरपॉइंट प्रस्तुतियों व PDF फाइलों को अपलोड करने की अनुमति देता है, जिसके संभावित कार्यान्वयन हेतु NHAI के अधिकारियों द्वारा समीक्षा की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य फ्लाई-ऐश और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसे पुनर्नवीनीकरण सामग्री के अभिनव उपयोग सहित अभिनव विधियों और टिकाऊ दृष्टिकोणों को अपनाने को प्रोत्साहित करके राष्ट्रीय राजमार्ग आधारभूत संरचना के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। NHAI टिकाऊ एवं पर्यावरण के अनुकूल विधियों को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में पुनर्नवीनीकरण एस्फाल्ट/डामर (Recycled Asphalt- RAP) और पुनर्नवीनीकरण समिश्रण (Recycled Aggregates- RA) के उपयोग को भी प्रोत्साहित कर रहा है। यह प्लेटफॉर्म सुरंगों, पुलों, वन्यजीव गलियारों और एक्सप्रेसवे जैसे आधुनिक बुनियादी ढाँचे के एकीकरण के साथ लोगों को शामिल करता है तथा देश के राजमार्ग विकास लक्ष्यों की दिशा में सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना चाहता है।

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विश्व सिकल सेल दिवस 2023 

हाल ही में 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया गया, यह सिकल सेल रोग (SCD) और इसके वैश्विक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इस वर्ष विश्व सिकल रोग दिवस का विषय 'वैश्विक सिकल सेल समुदायों का निर्माण करना तथा उन्हें मज़बूत करना, नवजात शिशु की स्क्रीनिंग को औपचारिक बनाना एवं अपनी सिकल सेल रोग की स्थिति जानना’ (Building and strengthening global sickle cell communities, formalizing   newborn screening and knowing your sickle cell disease status) है। यह विषय सिकल सेल रोग से लड़ने में शिशुओं तथा वयस्कों में जीनोटाइप को समझने के लिये पहले चरण की पहचान करने के संबंध में है। यह सिकल सेल रोग की स्थिति की पहचान करने में उन्नत तकनीक के उपयोग का भी आग्रह करता है। SCD एक पुरानी एकल जीन बीमारी है, जो रक्ताल्पता, तीव्र दर्द का अनुभव और पुरानी चोट तथा जीवन प्रत्याशा में कमी के कारण एक दुर्बल प्रणालीगत सिंड्रोम का कारण बनता है। सिकल सेल रोग के लक्षण भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में क्रोनिक एनीमिया (थकान, कमज़ोरी और पीलापन), तीव्र दर्द तथा युवावस्था प्राप्ति तथा विकास होने में विलंब आदि शामिल हैं। इसके उपचार के अंतर्गत रक्ताधान: ये एनीमिया से छुटकारा पाने और तीव्र दर्द के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं, हाइड्रॉक्सीयूरिया: यह दवा दर्द की निरंतरता की आवृत्ति को कम करने एवं बीमारी की कुछ दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है तथा इसमें अस्थि मज्जा अथवा स्टेम सेल प्रत्यारोपण शामिल है।

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स्वदेशी mRNA-आधारित ओमिक्रॉन-विशिष्ट बूस्टर वैक्सीन  

भारत में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने GEMCOVAC®-OM नामक एक स्वदेशी ओमिक्रॉन-विशिष्ट mRNA आधारित बूस्टर वैक्सीन की स्वीकृति के साथ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा एक स्वदेशी प्लेटफॉर्म तकनीक का उपयोग करके विकसित तथा जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा कार्यान्वित मिशन कोविड सुरक्षा पहल द्वारा समर्थित, वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से आपातकालीन उपयोग के लिये मंजूरी (EUA) मिल गई। GEMCOVAC®-OM अन्य अनुमोदित mRNA आधारित टीकों के लिये आवश्यक अल्ट्रा-कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता को समाप्त करते हुए अपनी थर्मोस्टेबिलिटी के लिये जानी जाती है। यह सुविधा पूरे भारत में परिनियोजन को सरलता से सुनिश्चित करती है। mRNA टीके mRNA या मैसेंजर RNA का उपयोग करके कार्य करते हैं जो कि अणु हैं और अनिवार्य रूप से DNA को सक्रिय रखते हैं। एक कोशिका के अंदर प्रोटीन बनाने के लिये mRNA का उपयोग टेम्पलेट के रूप में किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि वैक्सीन हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन निर्माण में कैसे मदद करती है या प्रोटीन किस प्रकार हमारे शरीर के अंदर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करता है। यह वही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है जो एंटीबॉडी का उत्पादन करती है तथा वायरस के हमारे शरीर में प्रवेश करने पर हमें संक्रमित होने से बचाती है। 

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चाइल्डलाइन सेवाओं के लिये 'एक राष्ट्र एक हेल्पलाइन' पहल

भारत में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoW&CD) ने आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) चाइल्डलाइन आपातकालीन परामर्श और संकट हेल्पलाइन को नंबर 112 के साथ विलय करके बच्चों के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। इस कदम का उद्देश्य प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाना है। चाइल्ड हेल्पलाइन सेवाओं को अन्य आपातकालीन सेवाओं जैसे- पुलिस, अग्निशमन और एम्बुलेंस विभागों के साथ भी एकीकृत किया गया है। यह निर्णय MoW&CD द्वारा प्रारंभ की गई 'एक राष्ट्र, एक हेल्पलाइन' पहल का हिस्सा है। प्रारंभ में इसे नौ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा जिसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, गोवा, मिज़ोरम, लद्दाख, पुद्दुचेरी और दादरा एवं  नगर हवेली तथा दमन और दीव शामिल हैं, अन्य क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (CIF) और उसके सहयोगी NGOs बाल संरक्षण सेवा योजना के अंतर्गत 24x7 हेल्पलाइन के संचालन के लिये ज़िम्मेदार थे। हालाँकि मौजूदा प्रणाली में अन्य आपातकालीन सेवाओं के साथ अंतःक्रियाशीलता का अभाव था जिसके परिणामस्वरूप संकट की स्थितियों के दौरान देरी हुई। इसके अतिरिक्त लगभग 200 ज़िलों को कवरेज के बिना छोड़कर केवल 568 ज़िलों  में चाइल्डलाइन सेवाएँ उपलब्ध थीं। ERSS 112 के साथ चाइल्डलाइन 1098 सेवा को स्वचालित और एकीकृत करने के लिये मंत्रालय ने केरल स्थित उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक) को "कुल समाधान प्रदाता" नियुक्त किया है। यह एकीकरण इनकमिंग 1098 कॉल्स को आपातकालीन, गैर-आपातकालीन और सूचना श्रेणियों में वर्गीकृत करने में सक्षम बनाएगा

और पढ़ें…आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली , चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (CIF) 

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