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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

HGCO19: mRNA वैक्सीन कैंडिडेट

  • 15 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के mRNA आधारित कोविड -19 वैक्सीन कैंडिडेट, (HGCO19) को इसके नैदानिक ​परीक्षण के लिये अतिरिक्त सरकारी धन प्राप्त हुआ है।

प्रमुख बिंदु:

HGCO19:

  • नोवल mRNA टीका कैंडिडेट, HGCO19 को पुणे स्थित बायोटेक्नोलॉजी कंपनी जीनोवा (Gennova) बायोफार्मा फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने अमेरिका के HDT बायोटेक कारपोरेशन के सहयोग से विकसित किया है।
  • HGCO19 ने पहले से ही कृंतक और गैर-मानव प्राइमेट मॉडल में सुरक्षा, प्रतिरक्षा, तटस्थता एंटीबॉडी गतिविधि का प्रदर्शन किया है।
  • जीनोवा (Gennova) ने  HGCO19 के लिये चरण 1/2 नैदानिक ​​परीक्षणों हेतु स्वयंसेवकों के नामांकन की पहल की है।

पारंपरिक टीके बनाम mRNA टीका

  • टीके शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले जीवों (वायरस या बैक्टीरिया) द्वारा उत्पन्न प्रोटीन को पहचानने और उन पर प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते है।
  • पारंपरिक टीके  रोग उत्पन्न करने वाले जीवों की लघु या निष्क्रिय खुराक से या इनके द्वारा उत्पन्न प्रोटीन से बने होते हैं, जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये शरीर में टीकाकरण के माध्यम से प्रवेश कराया जाता है।
  • mRNA टीका वह विधि है जो शरीर में वायरल प्रोटीनों को स्वयं से उत्पन्न करने के लिये प्रेरित करता है।
    • वे mRNA या messenger RNA का उपयोग करते हैं, यह अणु अनिवार्य रूप से डीएनए निर्देशों के लिये कार्रवाई में भाग लेता है। कोशिका के अंदर mRNA का उपयोग प्रोटीन बनाने के लिये टेम्पलेट के रूप में विकसित किया जाता है।

mRNA टीकों की कार्यप्रणाली:

  • mRNA वैक्सीन का उत्पादन करने के लिये वैज्ञानिक mRNA के एक सिंथेटिक संस्करण का उत्पादन करते हैं जैसा कि एक वायरस अपने संक्रामक प्रोटीन के निर्माण के लिये  उपयोग करता है।
  • इस mRNA को मानव शरीर में पहुँचाया जाता है, जिसकी कोशिकाएँ इसे उस वायरल प्रोटीन के निर्माण के निर्देश के रूप में ग्रहण करती हैं और इसलिये वायरस के कुछ अणुओं का निर्माण स्वयं करती हैं।
  • ये एकल प्रोटीन होते हैं, इसलिये वे वायरस निर्माण के लिये एकत्रित नहीं हो पाते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली तब इन वायरल प्रोटीनों का पता लगाती है और उनके लिये एक प्रतिरोधक क्षमता  उत्पन्न करना शुरू कर देती है।

mRNAआधारित टीकों के उपयोग के लाभ:

  • mRNA टीके को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह मानक सेलुलर तंत्र द्वारा गैर-संक्रामक, प्रकृति में गैर-एकीकृत संचरण के लिये जाना जाता है।
  • वे अत्यधिक प्रभावशाली होते है क्योंकि उनकी अंतर्निहित क्षमता के कारण वे कोशिका द्रव्य के अंदर प्रोटीन संरचना में स्थानांतरित हो जाते है ।
  • इसके अतिरिक्त, mRNA टीके पूरी तरह से सिंथेटिक हैं और उनके विकास के लिये  किसी जीव (अंडे या बैक्टीरिया) की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिये उन्हें स्थायी रूप से सामूहिक टीकाकरण के लिये उनकी "उपलब्धता" और "पहुँच" सुनिश्चित करने के लिये आसानी से निर्मित किया जा सकता है।

मिशन कोविड सुरक्षा 

  • मिशन COVID सुरक्षा भारत के लिये स्वदेशी, सस्ती और सुलभ वैक्सीन के विकास को सक्षम बनाने हेतु भारत का लक्षित प्रयास है. जो कि भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण होगा।
  • केंद्र सरकार ने इसकी घोषणा तीसरे आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के दौरान की थी।
  • यह मिशन नैदानिक परीक्षण, वैक्सीन उत्पादन और बाज़ार तक उसकी पहुँच आदि स्तरों में मदद करके त्वरित उत्पाद विकास के लिये सभी उपलब्ध और वित्तपोषित संसाधनों को समेकित करेगा।
  • इस मिशन का नेतृत्त्व जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा किया जाएगा और इसका कार्यान्वयन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) की एक समर्पित मिशन कार्यान्वयन इकाई द्वारा किया जाएगा।

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC)

  • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) सार्वजनिक क्षेत्र का एक गैर-लाभकारी उपक्रम है।
  • इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास आवश्यकताओं को संबोधित करते हुए रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार करने के लिये उभरते जैव प्रौद्योगिकी उद्यम को मज़बूत और सशक्त बनाने के लिये एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।

स्रोत-पीआईबी

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