जैव विविधता और पर्यावरण
फ्लाई ऐश
- 05 Jul 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:फ्लाई ऐश मेन्स के लिये:फ्लाई ऐश का उपयोग और इसके हानिकारक प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) लिमिटेड ने फ्लाई ऐश के शत-प्रतिशत उपयोग के लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने प्रयासों के तहत मध्य-पूर्व और अन्य क्षेत्रों के नामित संयंत्रों से फ्लाई ऐश की बिक्री के लिये ‘रुचि की अभिव्यक्ति’ (Expression of Interest-EOI) आमंत्रित की है।
- ‘फ्लाई ऐश’ तापीय विद्युत उत्पादन में कोयले के जलने से उत्पन्न उपोत्पाद है।
प्रमुख बिंदु
फ्लाई ऐश
- परिचय
- फ्लाई ऐश (Fly Ash) प्राय: कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न प्रदूषक है, जिसे दहन कक्ष से निकास गैसों द्वारा ले जाया जाता है।
- इसे इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर या बैग फिल्टर द्वारा निकास गैसों से एकत्र किया जाता है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) को एक फिल्टर उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका उपयोग प्रवाहित होने वाली गैस से धुएँ और धूल जैसे महीन कणों को हटाने के लिये किया जाता है।
- इस उपकरण को प्रायः वायु प्रदूषण नियंत्रण संबंधी गतिविधियों के लिये प्रयोग किया जाता है।
- संयोजन
- फ्लाई ऐश में पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2O3), फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) शामिल होते हैं।
- गुण:
- यह पोर्टलैंड सीमेंट के समान दिखता है परंतु रासायनिक रूप से अलग है।
- पोर्टलैंड सीमेंट का निर्माण एक महीन पाउडर के रूप में एक संयोजनकारी सामग्री है जो चूना पत्थर और मिट्टी के मिश्रण को जलाने तथा पीसने से प्राप्त होता है।
- इसकी रासायनिक संरचना में कैल्शियम सिलिकेट, कैल्शियम एल्युमिनेट और कैल्शियम एल्युमिनोफेराइट शामिल हैं।
- यह सीमेंट युक्त गुण प्रदर्शित करता है।
- एक सीमेंट युक्त सामग्री वह है जो जल के साथ मिश्रित होने पर कठोर हो जाती है।
- यह पोर्टलैंड सीमेंट के समान दिखता है परंतु रासायनिक रूप से अलग है।
- अनुप्रयोग:
- इसका उपयोग कंक्रीट और सीमेंट उत्पादों, रोड बेस, मेटल रिकवरी और मिनरल फिलर आदि में किया जाता है।
- हानिकारक प्रभाव:
- फ्लाई ऐश के कण ज़हरीले वायु प्रदूषक हैं। वे हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और स्ट्रोक को बढ़ा सकते हैं।
- ये जल के साथ मिलाने पर भूजल में भारी धातुओं के निक्षालन का कारण बनते हैं।
- यह मृदा को भी प्रदूषित करता है और पेड़ों की जड़ विकास प्रणाली को प्रभावित करता है।
फ्लाई ऐश का उपयोग:
- एनटीपीसी ने फ्लाई ऐश की आपूर्ति के लिये पूरे देश के सीमेंट निर्माताओं के साथ सहभागिता की है।
- एनटीपीसी ने भवन निर्माण में फ्लाई ऐश ईंटों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये अपने कोयला आधारित ताप-विद्युत संयंत्रों में फ्लाई ऐश ईंट निर्माण संयंत्र स्थापित किये हैं।
- इन ईंटों का उपयोग संयंत्रों के साथ-साथ टाउनशिप निर्माण गतिविधियों में विशेष रूप से किया जा रहा है।
- एनटीपीसी के स्वयं के फ्लाई ऐश ईंट संयंत्रों द्वारा औसतन 60 मिलियन फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, ईंट/ब्लॉक/टाइल निर्माताओं को निःशुल्क फ्लाई ऐश उपलब्ध कराने के लिये एनटीपीसी स्टेशनों को कुल उत्पादित फ्लाई ऐश का कम-से-कम 20% हिस्सा रिज़र्व में रखना चाहिये।
- एनटीपीसी के स्टेशनों में उत्पादित कुल फ्लाई ऐश का लगभग 9% वार्षिक फ्लाई ऐश ईंटों/ब्लॉकों और टाइल निर्माण इकाइयों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
- वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 15 एनटीपीसी स्टेशनों ने विभिन्न सड़क परियोजनाओं के निर्माण हेतु फ्लाई ऐश की आपूर्ति की और राख का उपयोग लगभग 20 मिलियन टन को पार कर गया।
- विगत पाँच वर्षों में देश में फ्लाई ऐश के उपयोग में 80% की वृद्धि हुई है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) ने नई निर्माण प्रौद्योगिकियों (उदाहरण के लिये फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग) पर ध्यान केंद्रित किया है जो अभिनव, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा के प्रति लचीले हैं।
- यहाँ तक कि राज्य सरकारें ने भी अपनी फ्लाई ऐश उपयोग नीतियाँ प्रस्तुत की हैं जैसे- इस नीति को अपनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था।
- सरकार द्वारा फ्लाई ऐश उत्पादन और उपयोग की निगरानी के लिये एक वेब पोर्टल और "ऐश ट्रैक" (ASHTRACK) नामक एक मोबाइल आधारित एप लॉन्च किया गया है।
- फ्लाई ऐश और उसके उत्पादों पर जीएसटी की दरों को घटाकर 5% कर दिया गया है।
राष्ट्रीय ताप-विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC)
- NTPC लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (Public Sector Undertaking- PSU) है।
- उद्देश्य : इसका मिशन नवप्रवर्तन एवं स्फूर्ति द्वारा संचालित रहते हुए किफायती, दक्षतापूर्ण एवं पर्यावरण-हितैषी तरीके से विश्वसनीय विद्युत-ऊर्जा एवं संबद्ध सेवाएँ प्रदान करना है।
- NTPC को मई 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त हुआ।
- यह भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी है।