विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 जनवरी, 2024
- 09 Jan 2024
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मंगल ग्रह की प्लाज़्मा तरंगें
भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान के वैज्ञानिकों ने नासा के MAVEN अंतरिक्ष यान के डेटा का उपयोग करके मंगल के ऊपरी वायुमंडल में उच्च आवृत्ति प्लाज़्मा तरंगों का अध्ययन किया।
- शोधकर्त्ताओं ने मंगल के चुंबकीय क्षेत्र (वातावरण) में दो प्रकार की तरंगों की खोज की, एक इलेक्ट्रॉन प्लाज़्मा आवृत्ति के नीचे और एक ऊपर। ये तरंगें महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि मंगल के आसपास इलेक्ट्रॉन कैसे व्यवहार करते हैं।
- नासा के मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलेटाइल इवोल्यूशन (Mars Atmosphere and Volatile Evolution- MAVEN) को ग्रह की वायुमंडलीय स्थितियों की जानकारी हासिल करने के मिशन के साथ नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया था।
- प्लाज़्मा तरंगें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों में दोलन या विचलन हैं जो प्लाज़्मा के माध्यम से फैलती हैं, जो पदार्थ की एक अवस्था है जो आयनों तथा इलेक्ट्रॉनों जैसे आवेशित कणों से बनी होती है।
- ये तरंगें विभिन्न प्लाज़्मा घटनाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो ऊर्जा हस्तांतरण, कण त्वरण और अंतरिक्ष में पाए जाने वाले प्लाज़्मा के भीतर आवेशित कणों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
और पढ़ें: नासा का MAVEN अंतरिक्ष यान
BIS: मानक निर्धारण के 77 वर्ष
हाल ही में भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन एक निकाय, भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने 6 जनवरी 2024 को अपना 77वाँ स्थापना दिवस मनाया।
- BIS भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसे वस्तुओं के मानकीकरण, मुहरांकन तथा गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के सुमेलित विकास के लिये BIS अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित किया गया है। BIS का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- यह उत्पाद प्रमाणन (ISI मार्क), सोने तथा चाँदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग, ECO मार्क योजना (पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की लेबलिंग के लिये) जैसी विभिन्न योजनाएँ संचालित करता है।
- BIS अधिनियम, 2016 अक्तूबर 2017 से क्रियान्वित किया गया। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निन्मलिखित हैं:
- सरकार को मानक के अनुरूप प्रामाणित करने तथा क्रियान्वित करने के लिये BIS के अतिरिक्त किसी भी अभिकरण को अधिकृत करने में सक्षम बनाता है।
- यह अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण उपाय प्रदान करता है जिनमें गैर-अनुरूप मानक चिह्नित उत्पादों को वापस लेना, उपभोक्ता को प्रतिपूर्ति देना और अधिक कठोर दंडात्मक प्रावधान शामिल हैं।
और पढ़ें…भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016
राष्ट्रीय पक्षी दिवस
राष्ट्रीय पक्षी दिवस, जो अमेरिकी मूल का है, पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष साल 5 जनवरी को मनाया जाता है।
- इस दिन का उद्देश्य निवास स्थान के विनाश, भोजन के विकल्पों में कमी और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिये जागरूकता बढ़ाना भी है।
- भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (Minister for Environment, Forest and Climate Change - MoEFCC) मंत्री ने देश में पक्षियों की आबादी को संरक्षित करने के लिये आर्द्रभूमि को बचाने का आह्वान किया।
- आर्द्रभूमियाँ भारत में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का निवास स्थल बन जाती हैं और स्थानीय पक्षी आबादी को पोषण उपलब्ध कराने के लिये महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखते हैं।
- राष्ट्रीय पक्षी दिवस अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी राष्ट्रीय पक्षी दिवस, विश्व प्रवासी राष्ट्रीय पक्षी दिवस (13 मई) और कई अन्य राष्ट्रीय पक्षी दिवस जैसे अवसरों से अलग है।
विश्व टाइपिंग दिवस
8 जनवरी को विश्व टाइपिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों को लिखित संचार के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- यह वर्ष 2011 में मलेशिया में शुरू हुआ। यह वर्ष 2011 मलेशियाई स्पीड टाइपिंग प्रतियोगिता की याद दिलाता है, जिसने सबसे तेज़ टाइपिस्ट और सबसे बड़ी भागीदारी के रिकॉर्ड तोड़ दिये।
- यह दिन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह टाइप करने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की क्षमता विकसित करने के लिये आयोजित किया जाता है।
प्रवासी भारतीय दिवस
प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) भारतीय प्रवासियों और देश के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान का सम्मान करने के लिये वर्ष 2003 से प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को मनाया जाता है।
- इस अवसर को मनाने के लिये 9 जनवरी का दिन इसलिये चुना गया क्योंकि वर्ष 1915 में इसी दिन महान प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे और भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था।
- वर्ष 2015 से प्रत्येक दो वर्ष में एक बार PBD मनाने और बीच की अवधि के दौरान थीम-आधारित PBD सम्मेलन आयोजित करने के लिये इसके प्रारूप को संशोधित किया गया था।
और पढ़ें: प्रवासी भारतीय दिवस