रैपिड फायर
भारत में हिस्टेरेक्टोमी का प्रचलन
- 14 Jan 2025
- 3 min read
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-4 के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में निम्न आय वाले कृषि श्रमिकों और संपन्न महिलाओं में हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाना) की दर अलग-अलग कारणों से अधिक है।
हाई हिस्टेरेक्टॉमी के कारण:
- कृषि श्रमिकों के लिये हानिकारक कारकों में खराब स्वच्छता, मासिक धर्म संबंधी निषिद्धता, स्त्री रोग संबंधी देखभाल में विलंब और शारीरिक श्रम शामिल हैं।
- उदाहरण: महाराष्ट्र के बीड ज़िले में महिला गन्ना श्रमिकों में असामान्य रूप से उच्च संख्या में गर्भाशय-विच्छेदन की घटनाएँ सामने आई हैं।
- धनी महिलाएँ प्रायः बेहतर सामर्थ्य और पहुँच के कारण इस प्रक्रिया का विकल्प चुनती हैं।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) जैसी योजनाओं के अंतर्गत वित्तीय प्रोत्साहन के कारण कभी-कभी अनावश्यक सर्जरी की नौबत आ जाती है।
हिस्टेरेक्टॉमी:
- परिचय:
- हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को हटाना) एक शल्य प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भाशय को निकाल दिया जाता है।
- यह प्रक्रिया स्त्री रोग संबंधी स्थितियों जैसे फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस, असामान्य रक्तस्राव और श्रोणि सूजन संबंधी रोगों के लिये की जाती है, जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं।
- इसका उपयोग कैंसर के उपचार और गंभीर, अनुत्तरदायी पैल्विक दर्द के लिये भी किया जाता है।
- भारत में प्रचलन:
- NFHS-5 राष्ट्रीय रिपोर्ट के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 3% महिलाएँ हिस्टेरेक्टॉमी करवा चुकी हैं।
- उच्चतम प्रसार: आंध्रप्रदेश (9%) और तेलंगाना (8%)
- न्यूनतम प्रसार: सिक्किम (0.8%) और मेघालय (0.7%)।
- दक्षिणी क्षेत्र में इसका प्रचलन सबसे अधिक (4.2%) है, इसके बाद पूर्वी क्षेत्र (3.8%) है, जबकि पूर्वोत्तर में यह सबसे कम (1.2%) है।
- NFHS-5 राष्ट्रीय रिपोर्ट के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 3% महिलाएँ हिस्टेरेक्टॉमी करवा चुकी हैं।
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