प्रीलिम्स फैक्ट्स: 25 जुलाई, 2020 | 25 Jul 2020
डबल-स्टैक कंटेनरों के लिये दुनिया की पहली विद्युतीकृत रेल सुरंग
The world’s first electrified rail tunnel For Double-stack Containers
‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited- DFCCIL) ने कहा कि अगले 12 महीनों में डबल-स्टैक कंटेनरों के परिचालन हेतु दुनिया की पहली विद्युतीकृत रेल सुरंग ‘पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ (Western Dedicated Freight Corridor- WDFC) में चालू हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु:
- एक बार चालू होने के बाद डबल-स्टैक कंटेनर वाली मालगाड़ी हरियाणा के सोहना के पास इस विद्युतीकृत रेल सुरंग के भीतर से 100 किलोमीटर/घंटे से अधिक की गति से चलने में सक्षम होगी।
- भू-वैज्ञानिक रूप से यह सुरंग सुरक्षित एवं स्थिर है क्योंकि यह 2500 से 500 मिलियन वर्ष पुरानी प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic) चट्टानों मुख्य रूप से दिल्ली सुपरग्रुप चट्टानों के अलवर/अज़बगढ़ समूहों के क्वार्ट्जाइट, शिट्स एवं स्लेट्स जिनकी उच्च वहन क्षमता है, से होकर गुज़रती है।
दिल्ली सुपरग्रुप चट्टान:
- ऊपरी दिल्ली सुपरग्रुप (Upper Delhi Supergroup) एक स्पष्ट असंबद्धता/असंगति (Unconformity) के साथ अरावली सुपरग्रुप (Aravalli Supergroup) पर निर्भर करता है।
- यह सुपरग्रुप के अंतर्गत दो मुख्य प्रकार की चट्टानें आती हैं।
- ज्वालामुखी चट्टानों का एक मोटा अनुक्रम जिनमें महाद्वीपीय समानता (Continental Affinity) है।
- तलछटी चट्टानें (Sedimentary Rocks) जो नदीय (Fluvial) एवं उथले समुद्री वातावरण तथा गहरे समुद्री निक्षेपण वातावरण का प्रतिनिधित्त्व करती हैं।
- ‘उत्तरी दिल्ली बेल्ट’ (North Delhi Belt) में, दिल्ली सुपरग्रुप को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
- निम्न रैआलो समूह (Lower Raialo Group)
- मध्य अलवर समूह (Middle Alwar Group)
- ऊपरी अजबगढ़ समूह (Upper Ajabgarh Group)
प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic):
- प्रोटेरोज़ोइक एक भू-वैज्ञानिक ईऑन (Eon) है जो पृथ्वी पर जटिल जीवन [जैसे त्रिलोबाइट (Trilobite) या कोरल] के प्रसार से ठीक पहले पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपस्थिति के समय से संबंधित है।
- प्रोटेरोज़ोइक ईऑन 2500 से 541 मिलियन वर्ष पहले तक विस्तारित है।
- प्रोटेरोज़ोइक पृथ्वी के भूगर्भिक समय के पैमाने पर सबसे लंबा ईऑन है और इसे तीन भूगर्भिक युगों (सबसे पुराने से लेकर सबसे नए) में उप-विभाजित किया गया है।
- पालियोप्रोटेरोज़ोइक (Paleoproterozoic)
- मेसोप्रोटेरोज़ोइक (Mesoproterozoic)
- निओप्रोटेरोज़ोइक (Neoproterozoic)
- यह सुरंग हरियाणा के मेवात एवं गुरुग्राम ज़िले को जोड़ती है और अरावली पर्वतमाला की एक तिरछी ढाल पर निर्मित की गई है।
- D-आकार की सुरंग में WDFC पर डबल-स्टैक कंटेनर परिचालन को सक्षम करने के लिये उच्च ओएचई (ओवर हेड उपकरण- Over Head Equipment) के साथ डबल लाइन को समायोजित करने के लिये 150 वर्ग मीटर का एक क्रॉस-सेक्शनल क्षेत्र भी शामिल है।
- क्रॉस-सेक्शनल क्षेत्र (Cross-sectional Area) के हिसाब से यह भारत की सबसे बड़ी रेलवे सुरंगों में से एक है।
- इस सुरंग का एक छोर हरियाणा के रेवाड़ी के पास है जबकि दूसरा छोर हरियाणा के दादरी में है।
- D-आकार की सुरंग के सीधे भाग में चौड़ाई 14.5 मीटर एवं ऊँचाई 10.5 मीटर है जबकि वक्राकार भाग में चौड़ाई 15 मीटर और ऊँचाई 12.5 मीटर है।
शहद परीक्षण प्रयोगशाला
Honey Testing Lab
24 जुलाई, 2020 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड’ (National Bee Board- NBB) के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board- NDDB) द्वारा आनंद (गुजरात) में स्थापित भारत की विश्वस्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशाला (Honey Testing Lab) का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह शहद परीक्षण प्रयोगशाला बड़ी संख्या में किसानों को शहद के उत्पादन एवं विपणन के लिये प्रोत्साहन देकर देश में मीठी क्रांति (Sweet Revolution) लाने एवं उनकी आय दोगुनी करने के भारत सरकार के विज़न में सहायक होगी।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board- NDDB) ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर इस विश्वस्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की है।
- NDDB ने इस विश्व स्तरीय लैब को सभी सुविधाओं के साथ स्थापित किया है और परीक्षण विधियों/प्रोटोकॉल को विकसित किया है। जिन्हें राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories- NABL) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- एफएसएसएआई ने अब शहद, बी वैक्स (Bee Wax) और रॉयल जेली (Royal Jelly) के नए मानदंडों अधिसूचित किया है।
- इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा कराए जा रहे ‘वैज्ञानिक तरीके से शहद उत्पादन पर दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का शुभारंभ भी किया।
राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL):
- NABL भारत की गुणवत्ता परिषद का एक सांविधिक बोर्ड है।
- NABL को सरकार, उद्योग संघों और उद्योग को अनुरूपता मूल्यांकन निकाय की मान्यता प्रदान करने की योजना के साथ स्थापित किया गया है। जिसमें चिकित्सा और अंशांकन प्रयोगशालाओं, प्रवीणता परीक्षण प्रदाताओं और संदर्भ सामग्री उत्पादकों सहित परीक्षण की तकनीकी क्षमता का तृतीय-पक्ष मूल्यांकन शामिल है।
भारत में रहें और भारत में अध्ययन करें
Stay in India and Study in India
24 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं स्वायत्त/तकनीकी संगठनों के प्रमुखों के साथ ‘भारत में रहें और भारत में अध्ययन करें’ (Stay in India and Study in India) के बारे में विचार-मंथन सत्र आयोजित किया।
प्रमुख बिंदु:
- गौरतलब है कि COVID-19 के कारण कई छात्र जो विदेश में पढ़ाई करना चाहते थे उन्होंने भारत में ही रहने और भारत में ही अध्ययन करने का निर्णय किया है। साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी होने की चिंता के साथ भारत लौटने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है।
- COVID-19 के कारण उत्पन्न यह चिंताजनक स्थिति दो महत्त्वपूर्ण विषयों से संबंधित है।
1. विदेश जाने के इच्छुक छात्रों की आवश्यकताओं को देखना और उन्हें देश में अध्ययन हेतु रोकने के लिये प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की व्यवस्था करना।
2. विदेश से लौटने वाले छात्रों की चिंताओं का समाधान करना और उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद करना। - केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 के दौरान लगभग 7 लाख 50 हज़ार छात्रों ने अपनी पढ़ाई के लिये विदेश यात्रा की और इस वजह से मूल्यवान विदेशी मुद्रा भारत से बाहर चली गई और साथ ही कई प्रतिभावान छात्र विदेश चले गए।
- उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के घोषणापत्र के अनुसार वर्ष 2024 तक सभी प्रमुख संस्थानों में सीटों की क्षमता 50% बढ़ानी होगी और राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों की संख्या वर्ष 2024 तक बढ़ाकर 50 करनी होगी।
इस अवसर पर निम्नलिखित निर्णय लिये गये:-
- दिशा-निर्देशों और उपायों की सूची तैयार करने के लिये यूजीसी के नेतृत्त्व में एक समिति का गठन किया जाएगा।
- यह समिति ऐसे उपाय बताएगी जिससे अधिक-से-अधिक छात्र देश में रहकर पढ़ाई करें और इसके लिये शिक्षण संस्थानों के लिये बेहतर अवसंरचना विकसित की जा सके।
- इसके अलावा मल्टी-डिसिप्लिनरी और इनोवेटिव प्रोग्राम, ट्विनिंग एंड जॉइंट डिग्री प्रोग्राम, सेंटरों की क्रॉस कंट्री डिज़ाइनिंग, विदेश के प्रख्यात फैकल्टी द्वारा ऑनलाइन लेक्चर की सुविधा, शिक्षण संस्थानों एवं उद्योगों के बीच जुड़ाव की सुविधा, जॉइंट डिग्री वेंचर्स की सुविधा और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में पार्श्व प्रवेश (Lateral Entry) की व्यवस्था की जाएगी।
- अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के अध्यक्ष तकनीकी संस्थानों से संबंधित मुद्दों की देख-रेख करेंगे।
- आईआईटी, एनआईटी एवं आईआईआईटी के निदेशकों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों वाली उप-समितियाँ गठित की जाएंगी जो यूजीसी के अध्यक्ष एवं एआईसीटीई के अध्यक्ष की सहायता करेंगी।
- शिक्षा क्षेत्र के अनुभव को देखते हुए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency-NTA) के अध्यक्ष और सीबीएसई के अध्यक्ष को भी इनपुट के लिये बुलाया जा सकता है।
- संयुक्त सचिव (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से समन्वय करेंगे।
- समिति दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन
Global Forest Resources Assessment
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) द्वारा जारी किये गए नवीनतम वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (Global Forest Resources Assessment- FRA) में बताया गया है कि पिछले एक दशक में वन क्षेत्रों में वृद्धि करने वाले शीर्ष 10 देशों में भारत को तीसरा स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु:
- FAO ने वर्ष 1990 के बाद से प्रत्येक पाँच वर्ष में यह व्यापक आकलन किया है। यह रिपोर्ट सभी सदस्य देशों के लिये वनों का स्तर, उनकी स्थितियों एवं प्रबंधन का आकलन करती है।
- FRA-2020 के अनुसार, शीर्ष 10 देशों ने वर्ष 2010-2020 के दौरान वन क्षेत्र में सबसे अधिक औसत वार्षिक शुद्ध लाभ (Average Annual Net Gains) दर्ज किया है जिनमें चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत, चिली, वियतनाम, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, इटली एवं रोमानिया शामिल हैं।
एशिया महाद्वीप में वनों की स्थिति:
- रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई महाद्वीप ने वर्ष 2010-2020 में वन क्षेत्र में सबसे अधिक शुद्ध वृद्धि दर्ज की है। एशियाई महाद्वीप में पिछले एक दशक में वनों में प्रति वर्ष 1.17 मिलियन हेक्टेयर की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई है।
- हालाँकि दक्षिण-एशियाई उप-क्षेत्र में वर्ष 1990-2020 के दौरान शुद्ध वन हानि दर्ज की गई। किंतु FRA-2020 के अनुसार, इस अवधि के दौरान भारत के वनों में शुद्ध लाभ के बिना यह गिरावट बहुत अधिक रही होगी।
भारत में वनों की स्थिति:
- मूल्यांकन के एक दशक के दौरान भारत ने औसतन प्रत्येक वर्ष 0.38% वन लाभ या 2,66,000 हेक्टेयर क्षेत्र की वन वृद्धि दर्ज की।
- FRA-2020 ने एशियाई महाद्वीप में समुदाय प्रबंधित वन क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि के लिये सरकारों के संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम को श्रेय दिया है।
- भारत में स्थानीय, आदिवासी एवं देशज़ समुदायों द्वारा प्रबंधित वन क्षेत्र वर्ष 1990 में शून्य से बढ़कर वर्ष 2015 में लगभग 25 मिलियन हेक्टेयर हो गया है।
भारत के संदर्भ में प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित वन दर
(Naturally Regenerating Forest Rate):
- हालाँकि FRA, 2020 के अनुसार, प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित वन दर (Naturally Regenerating Forest Rate) निराशाजनक है।
- FRA 2020 के अनुसार, वर्ष 2010-20 के दौरान प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित वन की वृद्धि दर केवल 0.38% थी।
- भारत बड़े पैमाने पर वनीकरण एवं वृक्षारोपण योजनाओं को लागू कर रहा है।
वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी क्षेत्र में रोज़गार:
- मूल्यांकन में 136 देशों के आँकड़ों के साथ वानिकी क्षेत्र (लॉगिंग सहित) में रोज़गार की जाँच की गई जो दुनिया के 91% वनों का प्रतिनिधित्त्व करते हैं। भारत ने दुनिया में वानिकी क्षेत्र में अधिकतम रोज़गार उत्पन्न किये हैं।
- विश्व स्तर पर 12.5 मिलियन लोग वानिकी क्षेत्र में कार्यरत थे। जबकि इसमें से 6.23 मिलियन अर्थात् लगभग 50% सिर्फ भारत में कार्यरत हैं।