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भारतीय अर्थव्यवस्था

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

  • 21 Feb 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

मेन्स के लिये:

भारत में परिवहन संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor- EDFC) के अंतिम खंड के निर्माण के लिये वित्त प्रदान करने का प्रस्ताव दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व बैंक ने बिहार के सोननगर और पश्चिम बंगाल के दनकुनी के बीच लगभग 528 किलोमीटर लंबे गलियारे के हिस्से के वित्तपोषण में दिलचस्पी दिखाई है। इस प्रकार प्रोजेक्ट के सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) प्रक्रिया से पूरा किया किया जा सकता है।
  • अपेक्षित विकल्पों में सुधार हेतु इस प्रोजेक्ट को भारतीय रेलवे के पास प्रस्तुत किया गया है। विकल्पहीनता की स्थिति में इसका वित्तपोषण व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (Viability Gap Funding-VGF) के माध्यम से किया जाएगा। रेलवे ने EDFC के इस प्रस्ताव को पहले ही अनुमति प्रदान कर दी है कि निजी कंपनियाँ इन गलियारों में निवेश कर सकती हैं।

व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (VGF):-

  • यह एक ऐसा अनुदान होता है जो सरकार द्वारा ऐसे आधारभूत ढाँचा परियोजना को प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो (Economically Justified but not Financially Viable) ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजना को प्रदान किया जाता है।
  • इस हिस्से के PPP मॉडल के आधार पर निर्माण संबंधी परियोजना दस्तावेज़ अभी वित्त मंत्रालय की PPP मूल्यांकन समिति (PPP Appraisal Committee- PPPAC) के पास है। PPP मूल्यांकन समिति मुख्यत: केंद्रीय स्तर पर PPP परियोजना मूल्यांकन के लिये ज़िम्मेदार हैं। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग का सचिव इसकी अध्यक्षता करता है।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट के अलावा संपूर्ण EDFC को विश्व बैंक से प्राप्त ऋण के सहयोग से बनाया जा रहा है। अतः इस परियोजना में निजी निवेशकों और विश्व बैंक दोनों से वित्तपोषण का विकल्प सरकार के पास है।

VGF

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

(Dedicated Freight Corridor- DFC)

  • यह माल (माल और वस्तु) के परिवहन के लिये विश्व स्तरीय तकनीक के अनुसार बनाया गया एक रेल मार्ग होता है।
  • DFC तेज़ी से पारगमन, कम लागत, उच्च ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण के अनुकूल संचालन सुनिश्चित करता है।
  • सरकार द्वारा दो DFC (ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) बनाए जा रहे हैं।

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर:

  • यह लुधियाना (पंजाब) से दनकुनी (पश्चिमी बंगाल) तक है, जहाँ लुधियाना से सोननगर तक की लंबाई 1318 किलोमीटर तथा सोननगर से दनकुनी तक की लंबाई 538 किलोमीटर है।

वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर:

  • यह जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (महाराष्ट्र) से दादरी (उत्तर प्रदेश) तक है जिसकी लंबाई 1504 किलोमीटर है।

DFC के लाभ:

  • यह औद्योगिक क्षेत्रों, निवेश क्षेत्रों और लॉजिस्टिक पार्कों के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • इससे रोज़गार के बेहतर अवसरों का सृजन होगा।
  • कॉरिडोर के साथ लगे ग्रीनफील्ड शहरों में रियल एस्टेट को फायदा होगा साथ ही बुनियादी ढाँचे का विकास होने की संभावना है। इससे उद्योगों और संबंधित द्वितीयक गतिविधियों के साथ-साथ इनसे संबंधित प्राथमिक उद्योगों का भी विकास होगा।

स्रोत: द हिंदू

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