कृषि
मधुमक्खी पालन और भारत
- 26 May 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लियेआत्मनिर्भर भारत अभियान, मधुमक्खी पालन मेन्स के लियेमधुमक्खी पालन से संबंधित चुनौतियाँ और सरकार द्वारा इस क्षेत्र के विकास हेतु किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation- NCDC) द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के अपने लक्ष्य के तहत सरकार मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दे रही है।
प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मधुमक्खी पालन के लिये 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के अनुसार, भारत में वर्ष 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242 प्रतिशत बढ़ गया है, वहीं इसके निर्यात में 265 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- शहद के निर्यात में हो रही बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि मधुमक्खी पालन वर्ष 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कारक रहेगा।
भारत और मधुमक्खी पालन
- सामान्य शब्दों में मधुमक्खी पालन का अभिप्राय मधुमक्खियों को नियंत्रित करने और उन्हें संभालने की मानवीय गतिविधि से होता है।
- मधुमक्खी पालक वह व्यक्ति होता है जो शहद अथवा अन्य उत्पादों को एकत्रित करने के उद्देश्य से मधुमक्खियों को पालता है।
- नवीनतम आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत विश्व में शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में शामिल है, जबकि वर्ष 2017-18 में शहद उत्पादन के मामले में भारत 64.9 हज़ार टन शहद उत्पादन के साथ दुनिया में आठवें स्थान पर था।
मधुमक्खी पालन क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- कभी-कभी मधुमक्खी पालन क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावस्वरूप मधुमक्खियों के विनाश जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- ध्यातव्य है कि मधुमक्खी खाने वाले पक्षी जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियों में महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में चले जाते हैं, जिसके कारण इन राज्यों के मधुमक्खी पालकों को नुकसान का सामना करना पड़ता है।
इस संबंध में सरकार के प्रयास
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन (National Beekeeping and Honey Mission-NBHM) के लिये मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण हेतु चार माड्यूल (Modules) बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन (NBHM) एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसे भारत सरकार द्वारा मुख्य रूप से ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के विकास और समग्र संवर्द्धन के लिये शुरू किया गया है
- साथ ही सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित की गई समिति की सिफारिशों का भी कार्यान्वयन कर रही है।
- सरकार ने ‘मीठी क्रांति’ (Sweet Revolution) के तहत ‘हनी मिशन’ (Honey Mission) की भी घोषणा की है, जिसके मुख्यतः चार भाग हैं और इससे किसानों को काफी लाभ प्राप्त होगा।
- ‘मीठी क्रांति’ (Sweet Revolution) को राज्य में शहद उत्पादन में वृद्धि पर ज़ोर देने के लिये उठाए गए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा सकता है, जो किसानों की आय दोगुनी करने में एक प्रमुख योगदानकर्त्ता हो सकती है।
- मधुमक्खी पालन का कार्य करके गरीब व्यक्ति भी कम पूंजी में अधिक मुनाफा प्राप्त कर सके इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिये 500 करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने की घोषणा की है।
मधुमक्खी पालन विकास समिति और उसकी सिफारिशें
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा प्रो. देबरॉय की अध्यक्षता में मधुमक्खी पालन विकास समिति (Beekeeping Development Committee- BDC) का गठन किया गया था।
- BDC का उद्देश्य भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करना था जिससे कृषि उत्पादकता, रोज़गार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को बनाए रखने में मदद मिल सके।
- समिति की प्रमुख सिफारिशें-
- मधुमक्खियों को कृषि उत्पाद के रूप में देखा जाना चाहिये तथा भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान का दर्जा दिया जाना चाहिये।
- मधुमक्खियों की पसंद वाले पौधों को सही स्थानों पर लगाना चाहिये तथा ऐसे बागानों का प्रबंधन महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपा जाए।
- मधुमक्खी पालकों को राज्य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड को संस्थागत रूप दिया जाए तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत इसे शहद और परागण बोर्ड का नाम दिया जाए।
- शहद सहित मधुमक्खियों से जुड़े अन्य उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के लिये राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अवसंरचनाओं का विकास किया जाए।