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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 25 अगस्त, 2020

  • 25 Aug 2020
  • 13 min read

बोंडा जनजाति

Bonda Tribe

हाल ही में ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले की पहाड़ी इलाकों में निवास करने वाले बोंडा जनजाति (Bonda Tribe) के लोग COVID-19 से संक्रमित पाए गए।

bonda tribe

बोंडा जनजाति:

  • बोंडा, मुंडा नृजातीय समूह (Munda Ethnic Group) से संबंधित एक जनजाति है जो ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश के जंक्शन (तीन राज्यों की आपस में मिलने वाली सीमा) के पास दक्षिण-पश्चिम ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • यह जनजाति ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में खैरापुट ब्लॉक (Khairaput Block) की पहाड़ियों में छोटी-छोटी झोंपड़ियों वाली बस्तियों में निवास करती है।
  • ये भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आते हैं और रेमो (Remo) के नाम से भी जाने जाते हैं। बोंडा भाषा में ‘रेमो’ का मतलब ‘लोग’ होता है।
  • इन्हें भारत के विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group- PVTG) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
  • भारत में इनकी जनसंख्या लगभग 7000 है।
  • ये अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं के लिये जाने जाते हैं। बोंडा को दो समूहों में विभाजित किया गया है:
    • लोअर बोंडा (Lower Bonda): ये आंध्र प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे दक्षिण ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में रहते हैं।
    • अपर बोंडा (Upper Bonda): ये मलकानगिरी ज़िले के सुदूर गाँवों के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।

गुफाम (Gufam):

  • भारत में बंधुआ मज़दूर (Unfree Labour) या गोटी प्रणाली (Goti System) को बोंडा लोगों द्वारा गुफाम (Gufam) के रूप में जाना जाता है।

ओडिशा में जनजातियाँ और COVID-19 महामारी:

  • ओडिशा 62 जनजातीय समुदायों (भारत में जनजातीय आबादी का सबसे बड़ा विविध समूह) का निवास स्थान है।
    • इनमें से 13 जनजातियाँ PVTGs के अंतर्गत आती हैं।
    • ओडिशा में लगभग 20 ब्लॉक ऐसे हैं जहाँ 13 PVTGs की बड़ी आबादी निवास करती है। गौरतलब है कि इनमें से प्रत्येक ब्लॉक में COVID-19 से संक्रमित व्यक्ति पाए गए हैं।
  • ओडिशा में संपूर्ण जनजातीय आबादी 7 ज़िलों कंधमाल, मयूरभंज, सुंदरगढ़, नबरंगपुर, कोरापुट, मलकानगिरी एवं रायगडा तथा 6 अन्य ज़िलों के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
  • ओडिशा सरकार ने 10 जनजातीय भाषाओं में COVID-19 जागरूकता पत्रक का अनुवाद किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनजातीय लोग इसके दिशा-निर्देशों का गाँवों में प्रभावी रूप से उपयोग कर सकें।


रोपवे

Ropeway

24 अगस्त, 2020 को असम सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्मित भारत के सबसे लंबे यात्री रोपवे (Ropeway) का गुवाहाटी (असम) में अनावरण किया।

Ropeway

प्रमुख बिंदु:

  • 1.82 किलोमीटर लंबा बाई-केबल जिग-बैक रोपवे (Bi-cable Jig-back Ropeway) ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर गुवाहाटी शहर में कामरूप (मेट्रो) के उपायुक्त कार्यालय के पास एक वन परिसर को उत्तरी गुवाहाटी में डौल गोविंदा मंदिर (Doul Govinda temple) के पीछे एक पहाड़ी से जोड़ता है।
  • यह रोपवे ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य में अवस्थित पीकॉक द्वीप (Peacock Island) के ऊपर से गुजरता है जिसमें एक मध्यकालीन शिव मंदिर उमानंद (Umananda) स्थित है।

शिव मंदिर उमानंद (Umananda):

umananda temple

  • उमानंद देवलोई (Umananda Devaloi) गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य में उमानंद द्वीप (पीकॉक द्वीप) पर स्थित एक शिव मंदिर है।
    • यह (पीकॉक द्वीप) दुनिया में सबसे छोटे बसे हुए नदी द्वीप के रूप में जाना जाता है।
  • इस मंदिर में पत्थर की मूर्तियाँ एवं नक्काशियाँ मौजूद हैं जो शुरुआती मध्यकाल से संबंधित हैं।
  • ईंटों से निर्मित इस उमानंद मंदिर का निर्माण वर्ष 1694 में ‘बार फुकन गढ़गान्या हांडिक’ (Bar Phukan Garhganya Handique) द्वारा राजा गदाधर सिंह (King Gadadhar Singha) के आदेश से कराया गया था जो अहोम साम्राज्य के सबसे मज़बूत शासकों में से एक थे।
  • 56.08 करोड़ रुपए की इस रोपवे परियोजना को वर्ष 2006 में गुवाहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (Guwahati Metropolitan Development Authority- GMDA) को सौंपा गया था। दिसंबर 2009 में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी।

Brahmaputra other ropeway

महत्त्व:

  • समय की बचत: असम की राजधानी गुवाहाटी और उत्तरी गुवाहाटी शहर के बीच जहाँ IIT गुवाहाटी स्थित है, के बीच प्रत्येक दिन हज़ारों लोग आवागमन करते हैं। इस रोपवे के निर्माण से एक किनारे से दूसरे किनारे तक मात्र 8 मिनट में पहुँचा जा सकता है। वर्तमान में एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाने में लगने वाला यह समय फेरी सर्विस के माध्यम से 30 मिनट तथा सड़क द्वारा 1 घंटा है।
  • पर्यटन: यात्रा के समय में कमी करने के अलावा यह रोपवे ब्रह्मपुत्र नदी के मनमोहक दृश्य देखने के अवसर प्रदान करेगा और राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देगा।


सूक्ष्म शैवाल से कम लागत वाला बायोडीज़ल

Low-Cost Biodiesel From Microalgae

इंसपायर फैकल्टी फेलोशिप (INSPIRE Faculty Fellowship) प्राप्त करने वाले वैज्ञानिक सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) से कम लागत वाले बायोडीज़ल का विकास कर रहे हैं।

Algae-biodiesel

प्रमुख बिंदु:

  • तेज़ी से कम हो रहे पेट्रोलियम आधारित ईंधन को देखते हुए तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (National Institute of Technology) के शोधकर्त्ताओं ने नवीकरणीय एवं सतत् स्रोतों से वैकल्पिक ईंधन की खोज शुरू की है।
    • इसके लिये जैव ईंधन के उत्पादन के लिये सूक्ष्म शैवाल के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • आर्थिक तौर पर बायोडीज़ल उत्पादन के लिये समुद्री सूक्ष्म शैवाल में ट्राईसिलग्लिसरॉल (Triacylglycerol) सामग्री को बढ़ाने की तकनीकों पर ज़ोर देने के लिये भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित ‘इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंसपायर्ड रिसर्च’ (INSPIRE) फैकल्टी फेलोशिप प्राप्तकर्त्ताओं को चुना गया है।
  • शोधकर्त्ताओं ने तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों से समुद्री सूक्ष्म शैवाल से विभिन्न प्रजातियों [जैसे- पिकोक्लोरम एसपी (Picochlorum sp), स्केनडेसमस एसपी (Scenedesmus sp), क्लोरैला एसपी (Chlorella sp) आदि] को अलग किया है।
    • बायोडीज़ल उत्पादन के लिये कुल जैव कार्बन सामग्री एवं ट्राईसिलेग्लिसराइड्स (Triacylglycerides) सामग्री के संदर्भ में उनकी क्षमता के लिये इन प्रजातियों को अलग किया गया है।
  • शोधकर्त्ता अब अपनी कई जैव-प्रौद्योगिकीय क्षमताओं एवं ‘स्विचेबल पोलरिटी साल्वेंट’ (Switchable Polarity Solvent- SPS) प्रणाली आधारित लिपिड निष्कर्षण (Lipid Extraction) के लिये अन्य सूक्ष्मजीवों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

स्विचेबल पोलरिटी साल्वेंट (Switchable Polarity Solvent- SPS):

  • SPS एक ऊर्जा-कुशल स्विचेबल विलायक है जिसे थर्मल प्रक्रियाओं की अनुपस्थिति में भी प्राप्त किया जा सकता है और पर्यावरण पर बिना किसी प्रभाव के शैवाल लिपिड निष्कर्षण के लिये हरे रंग के विलायक के रूप में इसका पुन: उपयोग किया जा सकता है।
  • बायोडीज़ल उत्पादन बढ़ाने में सहायक ट्राईसिलेग्लिसराइड्स संचय को बढ़ाने के लिये मेटाबोलिक इंजीनियरिंग दृष्टिकोणों (Metabolic Engineering Approaches) का उपयोग किया जा सकता है और चुंबकीय नैनोकंपोज़िट (Magnetic Nanocomposite) का उपयोग शैवाल से पानी की मात्रा को अलग करने के विभिन्न चक्रों के लिये किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि सूक्ष्म शैवाल से कम लागत वाले बायोडीज़ल के निर्माण से संबंधित शोध को 'केमोस्फियर' (Chemosphere) नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।



एयूडीएफएस01

AUDFs01

हाल ही में ‘इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिज़िक्स’ (Inter University Centre for Astronomy and Astrophysics- IUCAA) के वैज्ञानिकों के नेतृत्त्व में एक वैश्विक टीम ने तीव्र पराबैंगनी प्रकाश में एक आकाशगंगा ‘एयूडीएफएस01’ (AUDFs01) की खोज की है।

प्रमुख बिंदु:

  • पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर ‘एयूडीएफएस01’ (AUDFs01) नामक एक आकाशगंगा से आते हुए तीव्र पराबैंगनी प्रकाश का पता एस्ट्रोसैट (AstroSat) नामक उपग्रह ने लगाया है।
    • एस्ट्रोसैट (AstroSat) भारत का पहला बहु तरंग दैर्ध्य वाला उपग्रह है जिसमें पाँच अद्वितीय एक्स-रे एवं पराबैंगनी दूरबीन कार्य कर रही हैं।
  • यह खोज IUCAA में खगोल विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कनक साहा के नेतृत्त्व में खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा की गई थी और इससे संबंधित शोध को 24 अगस्त, 2020 को नेचर एस्ट्रोनॉमी (Nature Astronomy) द्वारा प्रकाशित किया गया था।
    • अंतर्राष्ट्रीय टीम में भारत, स्विट्ज़रलैंड, फ्राँस, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान एवं नीदरलैंड के वैज्ञानिक शामिल हैं।

इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिक्स (IUCAA):

  • IUCAA भारतीय विश्वविद्यालयों में खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी में सक्रिय समूहों के विकास एवं वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) द्वारा स्थापित किया गया एक स्वायत्त संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1988 में हुई थी।
  • IUCAA पुणे यूनिवर्सिटी के परिसर में अवस्थित है।
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