अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अंतरिक्ष विभाग की उपलब्धियों की वार्षिक समीक्षा
- 27 Dec 2017
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के पश्चात् भारतीय अंतरिक्ष विभाग द्वारा वर्ष 2017 के दौरान विभाग के कार्यकलापों का ब्यौरा पेश किया गया, जिसके कुछ महत्त्वपूर्ण अंशों पर हमने प्रकाश डालने का प्रयास किया है।
पीएसएलवी - सी37 एवं पीएसएलवी - सी38
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation - ISRO) द्वारा 15 फरवरी, 2017 को एकल लॉन्च के माध्यम से ऑनबोर्ड पीएसएलवी-सी37 पर 104 उपग्रहों तथा 23 जून, 2017 को एकल लॉन्च के माध्यम से ऑनबोर्ड पीएसएलवी-सी38 पर 31 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया।
- इन उपग्रहों में भारतीय विश्वविद्यालय से दो भारतीय कार्टोसैट-2 सीरीज़ उपग्रह, दो भारतीय नैनो-उपग्रह तथा 19 देशों- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फ्राँस, फिनलैंड, जर्मनी, इटली, इज़राइल, जापान, कज़ाकिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, स्विटज़रलैंड, हॉलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन एवं अमरीका के 130 विदेशी उपग्रह शामिल हैं।
- कार्टोसेट-2 सीरीज़ उपग्रहों को पाँच वर्षों की डिज़ाइन मिशन लाइफ के साथ एक सन सिंक्रोनस आर्बिट (sun synchronous orbit) में स्थापित किया गया है।
- इन उपग्रहों का मुख्य उद्देश्य सब-मीटर रिजोल्यूशन यानि श्वेत-श्याम छवि (sub-meter resolution) एवं दो मीटर रिजोल्यूशन (4 बैंड रंगीन छवि) पर धरती की ऊपरी सतह की हाई रिजोल्यूशन छवियाँ उपलब्ध कराना है।
- इन उपग्रहों से प्राप्त छवियों को हाई रिजोल्यूशन छवियों की आश्वयकता वाले विविध अनुप्रयोगों में उपयोग लाया जाएगा, जिनमें कार्टोग्राफी, अवसंरचना योजना निर्माण, शहरी एवं ग्रामीण विकास, उपयोगिता प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधन इवेंट्री एवं प्रबंधन तथा आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल मार्क II
(India's Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark-II)
- भारत के जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल मार्क-II (जीएसएलवी-एफ09) ने 5 मई, 2017 को अपने सुनियोजित जियो सिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (Geosynchronous Transfer Orbit - GTO) में 2230 किलोग्राम दक्षिण एशिया उपग्रह (South Asia Satellite - GSAT-9) का प्रक्षेपण किया।
- भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, एसएचएआर (Satish Dhawan Space Centre SHAR -SDSC SHAR) से दूसरे लॉन्च पैड से इसका प्रक्षेपण किया गया। स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (Cryogenic Upper Stage) वाले जीएसएलवी द्वारा अर्जित यह लगातार चौथी सफलता थी।
भारत के हैवी लिफ्ट लॉन्च व्हिकल जीएसएलवी एमके-III
(India's heavy lift launch vehicle GSLV Mk-III)
- भारत के हैवी लिफ्ट लॉन्च व्हिकल जीएसएलवी एमके-III की पहली डेवलपमेंटल फ्लाइट (जीएसएलवी एमके-III-डी1) का जीसैट-19 उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, श्रीहरिकोटा से 5 जून, 2017 को सफलतापूर्वक परिचालन किया गया।
- यह जीएसएलवी एमके-III का पहला आर्बिट मिशन (orbital mission) था, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से उड़ान के दौरान अपने संपूर्ण रूप से विकसित स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज (indigenous cryogenic upper stage) के प्रदर्शन समेत व्हिकल प्रदर्शन का मूल्यांकन करना था। लिफ्ट-ऑफ के दौरान 3136 किलोग्राम वज़न वाला जीसैट-19 भारतीय भूमि से प्रक्षेपित होने वाला सबसे भारी वज़न का उपग्रह है।
जीसैट-17
- 29 जून, 2017 को जीसैट-17 जीटीओ में सफलतापूर्वक पहुँचने वाला तीसरा संचार उपग्रह बन गया। जीसैट-17 को फ्रेंच गुयाना के कोरो (Kourou) से यूरोपीय एरियन-5 लॉन्च व्हिकल (European Ariane 5 Launch Vehicle) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘उद्योग के लिये रुझान एवं अवसर’
(Trends and Opportunities for Industry)
- 20-21 नवम्बर, 2017 को नई दिल्ली में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘उद्योग के लिये रुझान एवं अवसर’ का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry – FICCI) के समन्वय से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एंव इसकी वाणिज्यिक कंपनी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited) द्वारा किया गया।
- इस दो-दिवसीय सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ प्रचालनों, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के भविष्य के कार्य को समर्थन देने के लिये वर्तमान में जारी परिचर्चा का अनुसरण करने तथा एक समन्वित संरचना, जिसमें भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र संवर्द्धित साझेदारियों एवं सहयोगों के माध्यम से घरेलू एवं वैश्विक अवसरों का विस्तार किया जा सके, पर सर्वसहमति बनाने में सहायता करने पर विचार किया गया।
- इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य हाल के वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों एवं ऐतिहासिक कार्यों को रेखांकित करना तथा भविष्य की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का निर्माण करना था।
एस्ट्रोसैट (AstroSat)
- एस्ट्रोसैट भारत की बहुतरंग दैर्ध्य दूरबीन (India’s multi-wavelength space telescope) है। इसमें अंतरिक्ष में अपने दो वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं। इसके द्वारा एक्स-रे के ध्रुव्रीकरण (X-ray polarisation) को मापने का कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
- इस संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा एक लेख में कहा गया कि ध्रुव्रीकरण के रूपांतर के चुबंकीय पटल पर प्रत्येक वस्तु दूसरी वस्तुओं की तुलना में 30 गुना अधिक तीव्रता से घूमती है। यह माप पल्सर से कुछ ऊर्जा एक्स–रे उत्सर्जन की मौजूदा सिद्धांतों के लिये एक चुनौती है।
अन्य पहलें
- 29 सितम्बर, 2017 को गुजरात के सूरत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियों से जुड़ी एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी का आयोजन नगर-निगम विद्यालय बोर्ड के तहत किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों ने भाग लिया।
- इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISRO Telemetry Tracking and Command Network - ISTRAC), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Department of Space and the Council of Scientific and Industrial Research - CSIR) राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (National Physical Laboratory - NPL) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के बीच 04 अगस्त, 2017 को नई दिल्ली में एक समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किये गए।
- इस समझौते के तहत सी.एस.आई.आर.-एन.पी.एल. द्वारा इसरो को समय और फ्रीक्वेंसी के संबंध में निगरानी बनाए रखने की सुविधा देने की व्यवस्था की गई है।
- इसके अतिरिक्त भारतीय अंतरिक्ष विभाग की एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रसिद्ध ‘मंगलयान मिशन’ (Mars Orbiter Mission – MoM) 24 सितंबर, 2017 को कक्षा में सफलतापूर्वक अपने तीन वर्ष पूरे कर चुका है। यह निरंतर रूप से मंगल की बहुमूल्य तस्वीरें एवं जानकारियाँ प्रदत्त कर रहा है।