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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 23 अप्रैल, 2020

  • 23 Apr 2020
  • 10 min read

नूर

Noor

22 अप्रैल, 2020 को ईरान ने अपने पहले सैन्य उपग्रह नूर (Noor) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

मुख्य बिंदु:

  • इस सैन्य उपग्रह का  प्रक्षेपण ईरान के मध्य रेगिस्तान (Central Desert) से किया गया। 
    • मध्य रेगिस्तान (Central Desert) को फारसी भाषा में दश्त-ए-काविर (Dasht-e-Kavir) भी कहा जाता है। 
  • गौरतलब है कि ईरान द्वारा किया गया यह प्रक्षेपण अमेरिका और ईरान के मध्य परमाणु समझौते और जनवरी, 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए सैन्य जनरल कासिम सुलेमानी को लेकर दोनों देशों के मध्य बढ़ते तनाव के बाद किया गया है।   

रावी नदी पर 484 मीटर लंबा स्थायी पुल 

484 Meter Permanent Bridge on Ravi River 

हाल ही में सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) ने देश के बाकी हिस्सों से पंजाब के कासोवाल एन्क्लेव (Kasowal Enclave) को जोड़ने के लिये रावी नदी पर 484 मीटर लंबे एक नए स्थायी पुल का निर्माण किया है।

मुख्य बिंदु:

  • 484 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण प्रोजेक्ट चेतक (Project Chetak) के तहत 49 सीमा सड़क कार्यबल (Border Roads Task Force- BRTF) द्वारा किया गया है।
  • इस पुल की निर्माण लागत 17.89 करोड़ रुपए (आवागमन मार्ग को छोड़कर) है
  • इस पुल के निर्माण से पहले लगभग 35 वर्ग किलोमीटर का यह क्षेत्र (कासोवाल एन्क्लेव) सीमित भार क्षमता के पंटून पुल के माध्यम से जुड़ा था।
  • प्रत्येक वर्ष यह पंटून पुल मानसून से पहले ही ध्वस्त हो जाता था या रावी नदी की तेज़ धाराओं में बह जाता था। जिसके कारण मानसून के दौरान नदी के पार हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि का उपयोग किसान नहीं कर पाते थे।

विद्यादान 2.0

VidyaDaan 2.0

22 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री (Union HRD Minister) ने नई दिल्ली में ई-लर्निंग सामग्री को विकसित करने और उसमें योगदान करने के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम विद्यादान 2.0 (VidyaDaan 2.0) का शुभारंभ किया।

Vidya-Daan

मुख्य बिंदु:  

  • विद्यादान ई-लर्निंग सामग्री को विकसित करने तथा योगदान करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिये एक सामान्य राष्ट्रीय कार्यक्रम है। जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु स्कूल एवं उच्च शिक्षा दोनों के लिये ई-लर्निंग संसाधनों का विकास हो सके।
  • विद्यादान में एक कंटेंट आधारित टूल है जो किसी भी कक्षा (1 से 12 तक) के लिये राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्दिष्ट किसी भी विषय हेतु (जैसे- स्पष्टीकरण वीडियो, प्रस्तुतियाँ, योग्यता आधारित विषय-वस्तु, क्विज़ आदि) रजिस्टर करने और योगदान करने के लिये योगदानकर्त्ताओं को एक व्यवस्थित इंटरफेस प्रदान करता है।
  • इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षाविदों एवं शैक्षिक संगठनों को पाठ्यक्रम के अनुसार ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने और इसमें योगदान देने के लिये जोड़ा जाएगा।   
  • देश भर के लाखों बच्चों को कभी-भी और कहीं-भी सीखने में मदद करने के लिये इस शिक्षण सामग्री का उपयोग दीक्षा एप (DIKSHA App) के माध्यम से किया जायेगा।
  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दीक्षा प्लेटफॉर्म का उपयोग सितंबर 2017 से 30 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिये किया जा रहा है।

एंथुरियम

Anthurium

हाल ही में केरल के तिरुवनंतपुरम की एक महिला नवप्रर्वतक डी वासिनी बाई (D Vasini Bai) ने ‘क्रॉस-पॉलिनेशन’ (Cross-Pollination) के ज़रिये अत्‍यधिक बाज़ार मूल्‍य वाले फूल एंथुरियम (Anthurium) की दस किस्मों को विकसित किया है।

Anthurium

मुख्य बिंदु: 

  • एंथुरियम (Anthurium) रंगों की एक व्‍यापक श्रृंखला में उपलब्ध सुंदर दिखने वाले पौधों का एक विशाल समूह है। इसका उपयोग घरों के भीतर सजावटी पौधों के रूप में किया जाता है जिसके कारण इसकी विभिन्‍न किस्मों की माँग अधिक है।
  • देश में समान कृषि जलवायु क्षेत्रों में इसके उत्‍पादन के लिये ‘नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन’ (National Innovation Foundation) ने बंगलूरु के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research- IIHR) में टिशू कल्चर तकनीक (Tissue Culture Technique) के माध्यम से इसकी विभिन्न किस्मों को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • एंथुरियम घरेलू उपयोग में लाये जाने वाले विश्व के प्रमुख फूलों में से एक है। ये दिखने में सुंदर होने के साथ-साथ आस-पास की हवा को भी शुद्ध करते हैं और फॉर्मेल्डिहाइड, अमोनिया, टाल्यूईन (Toluene), जाइलीन और एलर्जी जैसे हानिकारक वायुजन्य रसायनों को हटाते हैं।
  • हवा से ज़हरीले पदार्थों को हटाने की विशेषता के कारण नासा (NASA) ने इसे ‘हवा शुद्ध करने वाले पौधों’ की सूची में रखा है।

डी वासिनी बाई का योगदान:

  • डी वासिनी बाई द्वारा विकसित की गई इन किस्मों की विशिष्टता बड़े एवं मध्यम आकार के फूल हैं जिनमें असामान्य रंग संयोजनों के साथ स्पैथ (Spathe) और स्पैडिक्स (Spadix) (हल्के एवं गहरे नारंगी, मैजेंटा, हरे एवं गुलाबी रंग का संयोजन, गहरे लाल एवं सफेद रंग) हैं।
  • उन्‍होंने नालीदार एस्बेस्टस शीट का उपयोग करके सीमित स्थान पर छोटे पौधे उगाने के लिये एक नई विधि भी विकसित की है। 
    • उन्होंने उगाए गए छोटे पौधों को रोपने के लिये मिट्टी के गमलों के बजाय कंक्रीट के गमलों का उपयोग किया। इस विधि ने उन्‍हें सीमित स्थान पर अधिक पौधे उगाने में मदद की।
  • एंथुरियम किस्मों को विकसित करने के लिये डी वासिनी बाई को मार्च 2017 में राष्‍ट्रपति भवन में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया द्वारा आयोजित नौवीं राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर में किस्‍म संबंधी परीक्षण कार्यक्रम के तहत छह मूल किस्मों के साथ डी वासिनी बाई की किस्मों के लिये वैधता परीक्षण की सुविधा प्रदान की। जिसके तहत विकसित किस्में विभिन्न रंगों तथा इनके चमकदार पत्ते माध्यम एवं बड़े दिल के आकार के रूप में विशिष्ट होते हैं। 

उल्लेखनीय है कि नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया ने बंगलूरु के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान और देश के समान कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों में टिशू कल्‍चर तकनीक के जरिये डोरा (Dora), जॉर्ज (George), जे.वी. पिंक (JV Pink) और जे.वी. रेड (JV Red) जैसी अत्यधिक बाज़ार मूल्‍य वाली किस्मों का बड़े पैमाने पर उत्‍पादन करने की सुविधा भी प्रदान की है।

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