लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 17 मार्च, 2021

  • 17 Mar 2021
  • 11 min read

कथकली उस्ताद गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर

(Kathakali Maestro Guru Chemancheri Kunhiraman Nair)

हाल ही में प्रसिद्ध कथकली नर्तक गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर का केरल के कोझिकोड में 105 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

  • उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्यों को केरल में लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

प्रमुख बिंदु: 

जन्म: 

  • गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर का जन्म 16 जून, 1916 को हुआ था। 

कथकली में योगदान: 

  • वे कथकली की कल्लादीकोडन शैली के विशेषज्ञ थे।
  • कल्लादीकोडन शैली की शुरुआत चाथू पनिक्कर असन द्वारा की गई थी और यह कथकली की तीन प्रमुख शैलियों में से एक है, जबकि अन्य दो शैलियाँ वेट्टाथु और कपलिंगडु हैं।
  • कल्लादीकोडन शैली के तीन पहलुओं में नृत्त (नृत्य की लय उनके मूल रूप में), नृत्य (अभिव्यंजक घटक यानी मुद्राएँ या इशारे) और नाट्य (नृत्य का नाटकीय तत्त्व यानी पात्रों की नकल) को समान महत्त्व दिया जाता है।
  • मंच पर भगवान कृष्ण और सुदामा [जिसे कुचेल के रूप में भी जाना जाता है, (अधिकांशतः दक्षिण भारत में)] का चित्रण उनका सबसे लोकप्रिय प्रदर्शन है। 

पुरस्कार/सम्मान: 

  • गुरु चेमनचेरी को वर्ष 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

कथकली: 

Kathakali

  • कथकली भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। 
    • यह नृत्य, संगीत और अभिनय का मिश्रण है। इस नृत्य में कहानियों का नाटकीयकरण शामिल है, जिसे ज़्यादातर भारतीय महाकाव्यों से लिया/रूपांतरित किया गया है।
    • आमतौर पर प्रस्तुत की गई भूमिकाओं में राजा, देवता और राक्षस शामिल होते हैं, 
    • कथकली में एक गायक कथा सुनाता (वर्णन करता) है और तालवादक वाद्य यंत्र बजाते हैं।
  • कथकली में भारी मेकअप और सुंदर पोशाक (विस्तृत मुखौटे, विशाल स्कर्ट और बड़े शिरोभूषण या सिर पर पहनने वाले कपड़े) का उपयोग शामिल है।
    • विभिन्न मानसिक अवस्थाओं को चित्रित/इंगित करने के लिये चेहरे पर अलग-अलग रंगों का उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिये हरा- सज्जनता, काला-दुष्टता और सज्जनता एवं बुराई के संयोजन के लिये।

भारत के आठ शास्त्रीय नृत्य

  • भरतनाट्यम (तमिलनाडु)
  • कथक (उत्तर भारत)
  • कथकली (केरल)
  • मोहिनीअट्टम (केरल)
  • कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
  • ओडिसी (ओडिशा)
  • सत्रीया (असम)
  • मणिपुरी (मणिपुर)

प्रोजेक्ट ‘RE-HAB’

Project RE-HAB

पायलट परियोजना ‘RE-HAB’ (Reducing Elephant-Human Attacks using Bees) को कर्नाटक में शुरू किया गया है, जो मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में कमी लाने के लिये जंगल और गाँवों की परिधि में मधुमक्खियों के बक्से स्थापित करने पर ज़ोर देती है।

  • यह क्षेत्र ‘नागरहोल नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व’ की परिधि पर स्थित है, जिसे मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह मानव बस्तियों में हाथियों के हमलों को विफल करने के लिये "मधुमक्खियों द्वारा निर्मित एक बाड़" बनाने का कार्यक्रम है।

लाभ:

  • मधुमक्खियों द्वारा निर्मित बाड़ के माध्यम से हाथियों को नुकसान पहुँचाए बिना उन्हें रोका जा सकेगा।
  • यह खाई खोदने या बाड़ बनाने जैसे विभिन्न अन्य उपायों की तुलना में अत्यधिक लागत प्रभावी है।
  • इस पहल के माध्यम से शहद उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

क्रियान्वयन एजेंसी:

शहद मिशन:

  • KVIC ने किसानों को जागरूकता, प्रशिक्षण और मधुमक्खी बॉक्स प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय शहद मिशन शुरू किया है।
  • इस मिशन को अगस्त 2017 में 'मीठी क्रांति' के तहत लॉन्च किया गया था।
    •  'मीठी क्रांति' की शुरुआत मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में की गई।

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान:

  • इसे राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी और वर्ष 1988 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड किया गया था तथा वर्ष 1999 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत 37वें टाइगर रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था।
  • भारत में 51 टाइगर रिज़र्व हैं।
    • इस सूची में वर्ष 2021 में जोड़ा गया नवीनतम रिज़र्व तमिलनाडु का ‘श्रीविल्लिपुथुर मेघमलाई टाइगर रिज़र्व’ है।

अवस्थिति:

नदियाँ:

  • नागरहोल नदी इस उद्यान से होकर बहती है, जो काबिनी नदी में जाकर मिलती है। काबिनी नदी नागरहोल और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बीच एक सीमा बनाती है।

वनस्पति:

  • वनस्पति में मुख्य रूप से आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं जिनमें सागौन और शीशम के वृक्ष शामिल हैं।

प्राणिजात:

  • एशियाई हाथी, चीतल (चित्तीदार हिरण), इंडियन माउस डियर, गौर, धारीदार गर्दन वाले नेवले, ग्रे लंगूर, बोनट मकाक (Bonnet Macaque), एशियाई जंगली कुत्ता, तेंदुआ, बाघ, स्लोथ बीयर।

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग:

  • KVIC खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • KVIC ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करके खादी और अन्य ग्रामोद्योगों के विकास के लिये कार्यक्रम एवं योजना का निर्माण, प्रचार, संगठन और कार्यान्वयन का कार्य करता है।
  • यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

केन्या-सोमालिया विवाद

(Kenya-Somalia Dispute) 

पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या ने अपने पड़ोसी देश सोमालिया के साथ समुद्री सीमा विवाद पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

विवाद

  • सोमालिया और केन्या के बीच हिंद महासागर में समुद्री सीमा के परिसीमन को लेकर विवाद है। दोनों पड़ोसियों के बीच असहमति का मुख्य बिंदु वह दिशा है जिसमें हिंद महासागर में उनकी समुद्री सीमा का विस्तार होना चाहिये।

सोमालिया का पक्ष

  • समुद्री सीमा का विस्तार उसी दिशा होना चाहिये, जिसमें सोमालिया की भू-सीमा हिंद महासागर की ओर जाती है यानी दक्षिण-पूर्व की ओर।

केन्या का पक्ष

  • समुद्री सीमा का निर्धारण भूमध्य रेखा के समानांतर किया जाना चाहिये।

Kenya-Somalia-Dispute

विवादित क्षेत्र का महत्त्व

  • इस प्रकार विवाद से निर्मित त्रिकोणीय क्षेत्र लगभग 1.6 लाख वर्ग किलोमीटर लंबा है और इस क्षेत्र में समुद्री संसाधनों का भी विशाल भंडार मौजूद है।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार का भी दावा किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई और इसने अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया।
  • यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है जो हेग (नीदरलैंड्स) के पीस पैलेस में स्थित है।
  • यह राष्ट्रों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाता है और संयुक्त राष्ट्र के अधिकृत अंगों तथा विशेष एजेंसियों द्वारा निर्दिष्ट कानूनी प्रश्नों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सलाह देता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के निर्णय बाध्यकारी होते हैं, हालाँकि न्यायालय के पास प्रवर्तन शक्तियाँ नहीं हैं और प्रायः यह देखा जाता है कि देश न्यायालय के निर्णय की अनदेखी करते हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2