प्रिलिम्स फैक्ट्स: 13 अक्तूबर, 2020 | 13 Oct 2020
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार
Nobel Prize in Economics
12 अक्तूबर, 2020 को अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल मिल्ग्राॅम (Paul Milgrom) एवं रॉबर्ट विल्सन (Robert Wilson) को व्यावसायिक नीलामी (Commercial Auctions) पर कार्य करने के लिये अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- अर्थशास्त्र का यह नोबेल पुरस्कार ‘नीलामी सिद्धांत में सुधार और नए नीलामी प्रारूपों के आविष्कार के लिये’ प्रदान किया गया है।
- पॉल मिल्ग्राॅम एवं रॉबर्ट विल्सन द्वारा की गई इस खोज ने दुनिया भर के विक्रेताओं, खरीदारों एवं करदाताओं को लाभान्वित किया है।
- पॉल मिल्ग्राॅम एवं रॉबर्ट विल्सन द्वारा विकसित यह सिद्धांत एक विक्रेता के लिये व्यापक राजस्व लाभ के बजाय व्यापक सामाजिक लाभ से प्रेरित है।
- दोनों नोबेल पुरस्कार विजेताओं को 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1.1 मिलियन डॉलर) की पुरस्कार राशि प्रदान की गई।
- इस पुरस्कार को तकनीकी रूप से अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में ‘आर्थिक विज्ञान में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार’ (Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences) के रूप में जाना जाता है।
वर्ष 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार:
- वर्ष 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार फ्रेंच-अमेरिकी एस्टर डुफ्लो (Esther Duflo), भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी और अमेरिकी माइकल क्रेमर (Michael Kremer) को ‘गरीबी उन्मूलन पर प्रायोगिक कार्य के लिये’ प्रदान किया गया था।
स्टेथेन्टेक्स कोविडा
Stethantyx Covida
हाल ही में वैज्ञानिकों ने मेक्सिको में पैरासिटॉइड ततैया (Parasitoid Wasps) की पाँच नई प्रजातियों की खोज की और उनमें से एक का नाम 'स्टेथेन्टेक्स कोविडा' (Stethantyx Covida) रखा।
प्रमुख बिंदु:
- इन प्रजातियों की खोज दो वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2020 में COVID-19 के कारण ‘ग्लोबल क्वारंटाइन पीरियड (Global Quarantine Period) के दौरान की गई।
- यह प्रजाति डार्विन ततैया (Darwin Wasp) के इच्नयूमोनिडे (Ichneumonidae) परिवार से संबंधित है जिसकी दुनिया भर में 25,000 से अधिक प्रजातियाँ हैं।
- डार्विन ततैया (Darwin Wasp) दुनिया में लगभग प्रत्येक जगह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है और इनका उपयोग बागों एवं जंगलों में कीटों के जैविक नियंत्रण में किया जाता है।
विशेषताएँ:
- स्टेथेन्टेक्स कोविडा एक छोटा ततैया है जिसकी लंबाई मात्र 3.5 मिमी. है। यह मुख्य रूप से गहरे रंग का होता है, जबकि इसके शरीर एवं पैर पीले या भूरे रंग के होते हैं।
- इस खोज से संबंधित निष्कर्षों को ओपन-एक्सेस वैज्ञानिक पत्रिका ज़ूकीस (ZooKeys) में प्रकाशित किया गया है।
एचबी4 सूखा-प्रतिरोधी जीएमओ गेहूँ
HB4 Drought-resistant GMO Wheat
अर्जेंटीना ने जैव प्रौद्योगिकी फर्म बायोसेरेस (Bioceres) द्वारा विकसित ‘एचबी4 सूखा-प्रतिरोधी जीएमओ गेहूँ’ (HB4 Drought-resistant GMO Wheat) को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु:
- अर्जेंटीना आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) गेहूँ के एक स्ट्रेन को मंज़ूरी देने वाला दुनिया का पहला देश है।
- ‘एचबी4 सूखा-प्रतिरोधी जीएमओ गेहूँ’ को अर्जेंटीना की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोसेरेस द्वारा विकसित किया गया है।
- बायोसेरेस (Bioceres) ने कहा कि जब इसे ब्राज़ील द्वारा आयात के लिये अनुमोदित कर दिया जाएगा तब ‘एचबी4 सूखा-प्रतिरोधी जीएमओ गेहूँ’ का सिर्फ विपणन शुरू किया जाएगा।
- वर्ष 2019 में अर्जेंटीना ने ब्राज़ील को लगभग 45% गेहूँ का निर्यात किया था, जबकि अर्जेंटीना के लिये अन्य प्रमुख बाज़ार इंडोनेशिया, चिली एवं केन्या हैं।
- अर्जेंटीना की सरकार ने कहा कि HB4 तकनीक आधारित बीज सूखे के प्रति अनुकूल हैं और उत्पादन घाटे को कम करने में मदद करते हैं।
- गौरतलब है कि अर्जेंटीना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा गेहूँ निर्यातक देश है। अर्जेंटीना ‘लिथियम त्रिभुज’ (Lithium Triangle) का एक हिस्सा है और इसके पास दुनिया के लिथियम भंडार का लगभग 54% है।
नेचिफु सुरंग
Nechiphu Tunnel
12 अक्तूबर, 2020 को भारत की पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के पास संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों एवं पुलों की कनेक्टिविटी में एक नए युग की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री ने 44 प्रमुख स्थायी पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नेचिफु सुरंग (Nechiphu Tunnel) की आधारशिला भी रखी।
प्रमुख बिंदु:
- सात राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैले हुए ये सभी 44 पुल सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं और दूरदराज़ के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।
- इन सभी पुलों का निर्माण ‘सीमा सड़क संगठन’ (BRO) द्वारा किया गया है।
- BRO का वार्षिक बजट जो कि वर्ष 2008-2016 के बीच 3300 करोड़ रुपए था, बढ़कर 4600 करोड़ रुपए हो गया है। जबकि वर्ष 2020-21 में यह धनराशि 11000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो गई है।
- 30 मीटर से लेकर 484 मीटर तक के विभिन्न आकार के 44 पुल जम्मू एवं कश्मीर (10), लद्दाख (08), हिमाचल प्रदेश (02), पंजाब (04), उत्तराखंड (08), अरुणाचल प्रदेश (08) और सिक्किम (04) में अवस्थित हैं।
अरुणाचल प्रदेश में नेचिफु सुरंग (Nechiphu Tunnel):
- रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में बालीपारा-चारदुआर-तवांग (Balipara-Charduar-Tawang) मार्ग पर सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण नेचिफु सुरंग (Nechiphu Tunnel) की आधारशिला भी रखी।
- 450 मीटर लंबी यह सुरंग जो कि मौजूदा सड़क को बाईपास करेगी, D-आकार की होगी और इसमें 3.5 मीटर चौड़ाई के दो लेन होंगे।
- गौरतलब है कि बालीपारा-चारदुआर-तवांग (Balipara-Charduar-Tawang) मार्ग पर 1.8 किमी. लंबी एक और सुरंग बनाई जा रही है।
- ये दोनों सुरंगे चीन से सटे क्षेत्रों तक पहुँचने के लिये तय दूरी को 10 किमी. कम कर देंगी।
- गौरतलब है कि बालीपारा-चारदुआर-तवांग (Balipara-Charduar-Tawang) मार्ग पर 1.8 किमी. लंबी एक और सुरंग बनाई जा रही है।
महत्त्व:
450 मीटर लंबी दो लेनों वाली यह सुरंग नेचिफु दर्रे (Nechiphu Pass) के माध्यम से सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी।