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प्रिलिम्स फैक्ट: 11 अक्तूबर, 2021

  • 11 Oct 2021
  • 3 min read

लूखा नदी का विषहरण : मेघालय

Detoxification of Lukha River: Meghalaya

हाल ही में मेघालय सरकार ने दावा किया है कि एक डिटॉक्सिंग पायलट प्रोजेक्ट ने मृतप्राय लुखा नदी को पुनर्जीवित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • लूखा नदी को एक दशक पहले विषाक्त माना जाता था क्योंकि यह नदी एसिड खदामों की जल निकासी और उसके कोयले की खदानों से प्रवाहित होने के कारण दूषित हो गई थी।
    • Phytoremediation पद्धति का उपयोग नदी के विषहरण के लिये किया गया था, जिसमें पानी से प्रमुख विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिये शैवाल का उपयोग किया गया था।
    • नदी में जलीय जीवन को प्रभावित करने वाले पीएच स्तर के कम होने की रिपोर्ट के बाद ज़िला खनिज कोष के तहत यह पायलट परियोजना शुरू की गई थी।
      • अधिकांश जीवित जीव, विशेष रूप से जलीय जीवन 6.5 से 8.5 की इष्टतम पीएच सीमा पर कार्य करते हैं।
      • पीएच इस बात का माप है कि पानी कितना अम्लीय/क्षारीय है। यह सीमा 0 से 14 तक होती है, जिसमें 7 तटस्थ होता है। 7 से कम पीएच अम्लता को इंगित करता है, जबकि 7 से अधिक का पीएच एक आधार को इंगित करता है। पानी की गुणवत्ता के संबंध में पानी का पीएच एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण माप है।
  • लूखा नदी:
    • लूखा मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में बहती है जहाँ मेघालय की अधिकांश रैट-होल कोयला खदानें स्थित हैं।
      • यह कोयला और चूना पत्थर के निरंतर बड़े पैमाने पर खनन का शिकार बन गई है, जो कथित तौर पर प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार हैं, परिणामस्वरूप ये नदी को विचित्र शीतकालीन अवस्था में परिवर्तित कर देते हैं। 
    • यह लूनार नदी (वाह लूनार)/Lunar river (Wah Lunar) से नीचे की ओर प्रवाहित होने के दौरान नरपुह रिज़र्व फॉरेस्ट और इस क्षेत्र की लहरदार पहाड़ियों से निकलने वाली छोटी धाराओं से जल ग्रहण करती है।
    • नदी मुख्य रूप से मानसूनी वर्षा पर निर्भर रहती है और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहते हुए गद्दम गाँव (Gaddum Village) के पास लूनार नदी में शामिल होने के पश्चात् एक दक्षिणी मार्ग का अनुसरण करती है।
    • यह नदी सोनपुर गाँव से होकर दक्षिणी असम की बराक घाटी में पहुँचती है और बांग्लादेश के बाढ़ के मैदानों में समाप्त होती है।
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