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डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 10 सितंबर, 2020

  • 10 Sep 2020
  • 14 min read

फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट

Flying V Aircraft

हाल ही में डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (Delft University of Technology- TU Delft) के एक ड्रोन पायलट के साथ शोधकर्त्ताओं एवं इंजीनियरों की एक टीम ने ‘फ्लाइंग वी’ एयरक्राफ्ट (Flying V Aircraft) के स्केल किये गए मॉडल की पहली वास्तविक परीक्षण उड़ान का सफलतापूर्वक संचालन किया है।

FlyingV_Isometric

प्रमुख बिंदु:

  • फ्लाइंग वी भविष्य के लिये ईंधन-कुशल लंबी दूरी का विमान है जिसके माध्यम से आने वाले समय में लोग यात्रा कर सकते हैं।
  • यह विमान V-आकार में होने के कारण इसे ‘फ्लाइंग वी’ (Flying V) नाम दिया गया है। 
  • कंप्यूट्रीकृत गणना के अनुसार, आज के उन्नत हवाई जहाज़ों की तुलना में इस विमान के बेहतर वायुगतिकीय आकार और कम वजन से ईंधन की खपत में 20% की कमी आएगी।
  • एक ‘फ्लाइंग वी’ एयरक्राफ्ट (Flying V Aircraft) लगभग 314 यात्रियों एवं 160 क्यूबिक मीटर की कार्गो क्षमता वहन कर सकता है।
  • फ्लाइंग-वी विमान डिज़ाइन की मूल योजना तकनीकी विश्वविद्यालय, बर्लिन के एक छात्र जस्टस बेनाड (Justus Benad) ने दी है।   
  • फ्लाइंग-वी परियोजना को पहली बार डच एयरलाइंस ‘KLM’ की 100वीं वर्षगांठ पर प्रस्तुत किया गया था जो वर्ष 2019 में अपनी शुरुआत के बाद से इस परियोजना में भागीदार भी है। 
  • एक एयरोस्पेस कंपनी ‘एयरबस’ (Airbus) सहित विभिन्न व्यावसायिक साझेदार अब इस परियोजना में शामिल हैं।


इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार-2019 

Indira Gandhi Peace Prize-2019

हाल ही में सर डेविड एटनबरो (Sir David Attenborough) को एक आभासी समारोह में 2019 के लिये इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार (Indira Gandhi Peace Prize) से सम्मानित किया गया।

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इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार (Indira Gandhi Peace Prize):

  • शांति, निशस्त्रीकरण एवं विकास के लिये इंदिरा गांधी पुरस्कार, पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर एक वार्षिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
  • यह पुरस्कार वर्ष 1986 से प्रत्येक वर्ष इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (Indira Gandhi Memorial Trust) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • इस पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र एवं 25 लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं।
  • यह पुरस्कार व्यक्तियों/संगठनों द्वारा किये गए निम्नलिखित रचनात्मक प्रयासों के लिये प्रदान किया जाता है:
    • नए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक क्रम का सृजन करना (Creating new international economic order)
    • वैश्विक शांति एवं विकास को बढ़ावा देना (Promoting international peace & development)
    • यह सुनिश्चित करना कि वैज्ञानिक खोजों का उपयोग मानवता के लिये किया जाए और स्वतंत्रता के दायरे को बढ़ाना। 

सर डेविड एटनबरो (Sir David Attenborough):

  • सर डेविड एक अंग्रेजी प्रसारणकर्त्ता (English Broadcaster) एवं प्राकृतिक-इतिहास विज्ञानी हैं।
  • इन्हें ‘बीबीसी नेचुरल हिस्ट्री यूनिट’ (BBC Natural History Unit) को लिखने एवं प्रस्तुत करने के लिये सबसे अधिक जाना जाता है।
    • जीवन संग्रह का सृजन करने वाली नौ प्राकृतिक इतिहास की डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला जो एक साथ पृथ्वी पर जानवरों एवं पौधों के जीवन का व्यापक सर्वेक्षण करती है।
  • इन्होंने पृथ्वी की जैव विविधता को संरक्षित एवं सुरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने और सभी जीवों के साथ एक स्थायी एवं सामंजस्यपूर्ण तरीके से रहने के लिये कार्य किया है।

वर्ष 2019 से पहले इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता:


शिक्षक पर्व

Shikshak Parv

भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय, शिक्षक पर्व (Shikshak Parv) के अंतर्गत 10 व 11 सितंबर, 2020 को ऑनलाइन माध्यम से 21वीं सदी में स्कूल शिक्षा पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा।

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प्रमुख बिंदु:

  • शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे बढ़ाने के लिये 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक एवं अन्य रचनात्मक शिक्षक इस सम्मेलन में भाग लेंगे। 
  • इस सम्मेलन के तहत स्कूली शिक्षा के लिये नई शिक्षा नीति की कुछ महत्त्वपूर्ण विषय वस्‍तुओं को स्‍पष्‍ट करने के लिये विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा दो दिन चर्चा की जाएगी।
    • इस सम्‍मेलन के पहले दिन प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो इस बारे में चर्चा करेंगे कि उन्होंने रचनात्मक तरीकों से नई शिक्षा नीति के कुछ विषयों को पहले से ही कैसे लागू किया है।


एआरआईएसई-एएनआईसी पहल   

ARISE-ANIC Initiative

9 सितंबर, 2020 को भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों तथा स्टार्टअप्स में अनुसंधान एवं नवाचार लागू करने के लिये अटल इनोवेशन मिशन (Atal Innovation Mission), नीति आयोग ने अपने सबसे बहुप्रतीक्षित कार्यक्रमों में से एक आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-एएनआईसी पहल [ARISE-ANIC (Atal New India Challenges) Initiative] की शुरुआत की।

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प्रमुख बिंदु:

  • यह कार्यक्रम अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने तथा भारतीय स्टार्टअप्स एवं एमएसएमई की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिये एक राष्ट्रीय पहल है।
  • इसका उद्देश्य भारत सरकार के प्रमुख मंत्रालयों एवं संबद्ध उद्योगों के साथ अनुसंधान, नवाचार को उत्प्रेरित करना और क्षेत्रीय समस्याओं के लिये अभिनव समाधान की सुविधा प्रदान करना है।
  • यह कार्यक्रम भारतीय MSME क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ एवं ‘आत्मानिभर भारत’ जैसे कार्यक्रमों के अनुरूप है।
  • यह कार्यक्रम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) तथा भारत सरकार के चार मंत्रालयों (रक्षा मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय व आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय) और संबंधित उद्योगों द्वारा संचालित किया जाएगा जिससे अलग-अलग क्षेत्रों की समस्याओं का इनोवेटिव समाधान खोजा जा सके। 
  • आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-एएनआईसी कार्यक्रम के तहत प्रस्तावित प्रौद्योगिकी समाधान या उत्पाद के त्वरित विकास के लिये 50 लाख रुपए तक की मदद की जाएगी।


श्वेत उल्लू 

Barn Owl

कावारत्ती द्वीप (Kavaratti Island) पर ‘बायोलॉजिकल कंट्रोल ऑफ रोडेंट्स’ (Biological Control of Rodents) नामक एक पायलट प्रोजेक्ट के लिये लक्षद्वीप प्रशासन ने श्वेत उल्लुओं (Barn Owls) का उपयोग करना शुरू किया।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि कावारत्ती द्वीप पर चूहे अप्रत्याशित रूप से नारियल की फसल को नुकसान पहुँचा रहे थे जिससे स्थानीय लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था।  
  • वर्ष 2019 में इन श्वेत उल्लुओं को केरल के तिरुवनंतपुरम चिड़ियाघर द्वारा लक्षद्वीप प्रशासन को दान किया गया था जिनका उपयोग कावारत्ती द्वीप पर चूहों को मारने के लिये किया जा रहा है।
  • कृषि, पर्यावरण एवं वन विभाग (लक्षद्वीप) और केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान के तहत ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि ये उल्लू फसलों को नुकसान से बचाने के लिये अद्भुत कार्य कर रहे हैं।
    • यह रिपोर्ट नारियल के बागानों की सुरक्षा करने के लिये अधिक श्वेत उल्लुओं की भर्ती करके इस पायलट परियोजना के विस्तार की सिफारिश करती है।
    • इस रिपोर्ट में अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1875 में बित्रा (एक प्रवाल एटाॅल) में कृंतक (चूहों) नियंत्रण के लिये वुड उल्लू (Wood Owls) लाने का प्रयास भी दर्ज है।
      • वुड उल्लू, उल्लुओं के स्ट्रीक्स (Strix) जीनस से संबंधित है। 
    • परिणामतः लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल से और श्वेत उल्लू उपलब्ध कराने की माँग की है।
    • इस पायलट परियोजना का विस्तार लक्षद्वीप समूह के अन्य द्वीपों तक भी किये जाने की योजना है।   
  • उल्लेखनीय है कि केरल के ये पक्षी (श्वेत उल्लू) लक्षद्वीप की परिस्थिति के अनुकूल हैं। इन द्वीपों में चूहों का कोई अन्य प्राकृतिक शिकारी नहीं हैं। लक्षद्वीप में जैविक कृषि का अभ्यास करने के बाद से चूहों की आबादी को नियंत्रित करने के लिये रासायनिक पदार्थों का उपयोग करना भी असंभव है।
    • इसके अलावा द्वीपों पर नारियल के पेड़ों को पास-पास लगाया जाता है जिससे उनके अपुष्प-पर्ण (Fronds) आपस में ओवरलैप हो जाते हैं परिणामतः चूहों को व्यावहारिक रूप से पेड़ों पर रहने की जगह मिल जाती है।
    • अप्रैल एवं मई, 2019 के दौरान कावारत्ती में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि चूहों के कारण नारियल उत्पादन में 44% नुकसान हुआ था। जिससे लगभग 6.04 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ।

श्वेत उल्लू (Barn Owl): 

Barn-Owl

  • सामान्य श्वेत-उल्लू (टायटो अल्बा-Tyto Alba) उल्लुओं के टायटोनिडाइ (Tytonidae) परिवार से संबंधित है।
  • यह प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और कैरिबियाई द्वीपों में पाई जाती है।
  • इसे IUCN की रेड लिस्ट में 'कम चिंताजनक' (Least Concern) श्रेणी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Indian Wildlife Protection Act, 1972) की अनुसूची IV (Schedule IV) के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
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