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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 जुलाई, 2020

  • 04 Jul 2020
  • 14 min read

प्रेरक दौर सम्मान

PRERAK DAUUR SAMMAN

हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Union Ministry of Housing & Urban Affairs) ने ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2021’ के एक हिस्से के रूप में ‘प्रेरक दौर सम्मान‘ (PRERAK DAUUR SAMMAN) पुरस्कार की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के लिये टूलकिट लॉन्च करते हुए कहा कि ‘प्रत्येक वर्ष ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ के नए मानकों को नवोन्मेषी तरीके से पुनः तैयार किया जाता है ताकि व्यवहारगत बदलाव पर फोकस करते हुए प्रक्रिया को और अधिक मज़बूत बनाया जा सके।
  • इस अवसर पर कहा गया कि ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2021’ के संकेतकों का मुख्य फोकस ‘अपशिष्ट जल उपचार’ एवं ‘मल-कीचड़ के पुर्नउपयोग’ से संबंधित मानकों पर रहेगा।

प्रेरक दौर सम्मान (PRERAK DAUUR SAMMAN):

  • ‘प्रेरक दौर सम्मान’ के कुल पाँच अतिरिक्त उप-वर्ग [दिव्य (प्लेटिनम), अनुपम (स्वर्ण), उज्जवल (रजत), उदित (कांस्य), आरोही (आकांक्षी)] शामिल किये गए हैं, जिनमें से प्रत्येक में शीर्ष तीन शहरों को चुना जाएगा।
  • ‘आबादी वर्ग‘ (Population Category) पर शहरों का मूल्यांकन करने के वर्तमान मानदंड से अलग यह नया वर्ग शहरों को 6 चुने हुए संकेतक आधारित प्रदर्शन मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत करेगा जो निम्नलिखित हैं:
वर्ग संकेतक
1. अपशिष्ट का गीले, सूखे एवं खतरनाक वर्गों में पृथक्करण
2. गीले अपशिष्ट के लिये प्रसंस्करण क्षमता का सृजन
3. गीले एवं सूखे अपशिष्ट का प्रसंस्करण एवं रिसाइक्लिंग
4. निर्माण एवं तोड़-फोड़ (Construction & Demolition) वाले अपशिष्ट की प्रोसेसिंग
5. लैंडफिल में प्रयोग किये जाने वाले अपशिष्ट का प्रतिशत
6. नगरों में स्वच्छता की स्थिति

स्वच्छ सर्वेक्षण: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • स्वच्छ सर्वेक्षण-2016: शहरी स्वच्छता में सुधार लाने हेतु शहरों को प्रोत्साहित करने के लिये एक प्रस्ताव के रूप में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने जनवरी 2016 में 73 शहरों की रेटिंग के लिये स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 का आयोजन किया।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण-2017: स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 की सफलता को देखते हुए जनवरी-फरवरी 2017 में 434 शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 का आयोजन किया गया।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण-2018: यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण था जिसमें 4203 शहरों को रैंकिंग में शामिल किया गया।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण-2019: स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में न केवल 4237 शहरों को कवर किया गया बल्कि 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में इसे पूरा भी कर लिया गया जो कि अपनी तरह का पहला डिजिटल स्वच्छता सर्वेक्षण भी था।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण-2020: इस सर्वेक्षण में भी स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 जैसी गति को जारी रखा गया और इसमें 1.87 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी रही।

स्वच्छ सर्वेक्षण लीग:

  • शहरों द्वारा ज़मीनी स्तर पर प्रदर्शन की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने वर्ष 2019 में स्वच्छ सर्वेक्षण लीग की भी शुरुआत की।
  • इसमें शहरों एवं कस्बों का त्रैमासिक सफाई का आकलन तीन तिमाहियों में किया गया और अंतिम स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर 25% वेटेज दिया गया।

फिट है तो हिट है इंडिया

Fit Hai to Hit Hai India

केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री (Union Human Resource & Development Minister) और केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री (Union Minister of Sports and Youth Affairs) ने स्कूली बच्चों के लिये ‘फिट इंडिया अभियान’ के तहत ‘फिट है तो हिट है इंडिया’ (Fit Hai to Hit Hai India) वेबिनार लॉन्च किया।

प्रमुख बिंदु:

  • इस वेबिनार में बॉडी फिटनेस विशेषज्ञ और पैनलिस्ट छात्रों एवं अभिभावकों के प्रश्नों का जवाब देते हैं और COVID-19 की स्थिति में शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व को भी समझाते हैं।
  • इस वेबिनार में '#FitIndiaTalks' के लॉन्च को भी चिन्हित किया गया था जिसमें छात्रों के लिये फिटनेस विशेषज्ञों द्वारा की जा रही बातचीत और इंटरैक्टिव सत्रों की एक श्रृंखला भी दिखाई गई।
  • इस ‘फिट इंडिया वार्ता’ (Fit India Talks) का आयोजन भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India) और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से किया गया।

भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India):

  • भारतीय खेल प्राधिकरण भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय खेल निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1984 में भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार के ‘युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय’ द्वारा की गई थी।
  • इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
  • वेबिनार को फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम किया गया एवं यूट्यूब पर भी लाइव स्ट्रीम किया गया।

वैखोमिया हीरा

Waikhomia Hira

हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पश्चिमी घाट के अंतर्गत आने वाले उत्तरी कर्नाटक में एक नए जीनस एवं ‘महाराजा बार्ब्स’ (Maharaja Barbs) की एक नई मछली प्रजाति ‘वैखोमिया हीरा’ (Waikhomia Hira) की खोज की है।

Waikhomia-Hira

प्रमुख बिंदु:

  • ‘वैखोमिया हीरा’ (Waikhomia Hira) से संबंधित जीनस (वर्ग) का नाम ‘वैखोमिया’ विश्वनाथ वैखोम (Vishwanath Waikhom) के नाम पर रखा गया है जो मणिपुर विश्वविद्यालय के एक वर्गीकरण वैज्ञानिक (Taxonomist) हैं जिन्होंने भारत में100 से अधिक मीठे जल की मछलियों की खोज की है।
  • यह खोज ‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ (BNHS), ‘केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशियन स्टडीज़’ (KUFOS), ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, एजुकेशन एंड रिसर्च’ (IISER) और पुणे के ‘मॉडर्न कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स’ के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से की गई।
  • ‘वैखोमिया हीरा’ सामान्य तौर पर पश्चिमी घाटों के उत्तरी क्षेत्र से निकलने वाली नदियों में अधिक संख्या में पाई जाती है।
    • ‘वैखोमिया हीरा’ को ‘कोहिनूर बार्ब’ (Kohinoor Barb) के नाम से भी जाना जाता है।

महाराजा बार्ब्स (Maharaja Barbs):

  • वर्ष 1953 में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में पहली बार इसकी खोज की गई थी।
  • प्रसिद्ध ‘महाराजा बार्ब्स’ (Maharaja Barbs) का प्रतिनिधित्त्व एक ही प्रजाति ‘पुंटियस सह्याद्रिनेसिस’ (Puntius Sahyadrensis) द्वारा किया जाता था।
  • इसके बाद दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के वेटलैंड्स एवं नदियों में ‘पुंटियस’ जीनस की मीठे जल की 44 प्रजातियों का पता लगाया गया।
  • ‘महाराजा बार्ब्स’ पश्चिमी घाट के उत्तरी एवं मध्य भागों की ऊँची-ऊँची पहाड़ी नदियों में पाई जाने वाली छोटी साइप्रिनिड (Cyprinid) मछलियों का एक समूह है।
  • मछलियों का यह समूह केवल एक ही प्रजाति ‘पुंटियस सह्याद्रिनेसिस’ (Puntius Sahyadriensis) से संबंधित है जिसे ‘वैखोमिया सह्याद्रिनेसिस’ (Puntius Sahyadriensis) भी कहा जाता है।
  • ‘वैखोमिया हीरा’ को मुख्य रूप से कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ ज़िले में पश्चिम की ओर बहने वाली ‘काली नदी’ के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र से एकत्र किया गया था।
  • वैज्ञानिकों की टीम ने एक एकीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करके ‘वैखोमिया हीरा’ की शारीरिक रचना एवं आनुवंशिकी अध्ययन किया और पता लगाया कि यह ‘पुंटियस’ जीनस से मेल नहीं खा रही है।
  • वैज्ञानिकों ने बताया कि वैखोमिया हीरा के शरीर पर हीरे की तरह दिखने वाले विशिष्ट आकार के धब्बे एवं चिन्ह हैं और इसका आकार 29-59 मिमी. के बीच होता है।
  • वैखोमिया हीरा से संबंधित नया शोध हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ज़ूटाक्सा (ZooTaxa) में प्रकाशित हुआ।

प्रशांत महासागर में खोजी गई चार नई प्रजातियाँ

New Species Discovered in Pacific Ocean

हाल ही में प्रशांत महासागर की गहराई में एकल कोशिकीय जीवों (Single-Cell Organisms) की चार नई प्रजातियों की खोज की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • इन एकल कोशिकीय जीवों [ज़ेनोफायफोरेस (Xenophyophores)] की प्रजातियों को यू.के. के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र (National Oceanography Center) संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई विश्वविद्यालय (University of Hawaii) और स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा विश्वविद्यालय (University of Geneva) के शोधकर्त्ताओं द्वारा खोजा गया है।
  • इस खोज से प्राप्त निष्कर्षों को ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रोटिस्टोलॉजी’ (European Journal of Protistology) में प्रकाशित किया गया।
  • इस खोज में चार नई प्रजातियाँ और दो नए जीनस शामिल हैं।
    • चार प्रजातियाँ:
      • मौनाम्मिना सेमीसिरकुलारिस (Moanammina Semicircularis)
      • एबिसालिया फोलिफॉर्मिस (Abyssalia Foliformis)
      • एबिसालिया स्फैरिका (Abyssalia Sphaerica)
      • प्सम्मिना टेनुईस (Psammina Tenuis)
    • दो नए जीनस:

      • मौनाम्मिना (Moanammina)

      • एबिसालिया (Abyssalia) 

ज़ेनोफायफोरेस (Xenophyophores):

  • प्रशांत महासागर के ‘क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन’ (Clarion Clipperton Zone- CCZ) के समतलीय मैदानों में पाए जाने वाले बड़े जीवों के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक जीव ज़ेनोफायफोरेस (Xenophyophores) हैं।
  • ‘क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन’ प्रशांत महासागर का भूगर्भीय सबमरीन फ्रैक्चर ज़ोन (Submarine Fracture Zone) है जिसकी लंबाई लगभग 4500 मील है।
  • प्रशांत महासागर के क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन (CCZ) में जल के भीतर ड्रोन का उपयोग करके इन प्रजातियों की खोज की गई थी जहाँ समुद्र का तल 3 मील से अधिक गहरा है।
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