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प्रिलिम्स फैक्ट: 29 जनवरी, 2021

  • 29 Jan 2021
  • 8 min read

Kanha Tiger Reserve

कान्हा टाइगर रिज़र्व

हाल ही में मध्य प्रदेश में कान्हा टाइगर रिज़र्व (Kanha tiger reserve) के बफर ज़ोन (Buffer Zone) क्षेत्र में एक बाघिन मृत पाई गई।

प्रमुख बिंदु:

  • अवस्थिति: कान्हा टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- मंडला (Mandla)  और बालाघाट (Balaghat) में 940 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • इतिहास: वर्तमान कान्हा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र पूर्व में दो अभयारण्यों- हॉलन (Hallon) और बंजार (Banjar) में विभाजित था।  वर्ष 1955 में इसे कान्हा नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया तथा वर्ष 1973 में कान्हा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
    • कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।

विशेषताएँ:

  • जीव-जंतु: 
    • मध्य प्रदेश का राजकीय पशु- हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा या स्वैम्प डियर (Swamp deer or Rucervus duvaucelii) विशेष रूप से कान्हा टाइगर रिज़र्व में पाया जाता है।
    • अन्य प्रजातियों में टाइगर, तेंदुआ, भालू, गौर और भारतीय अज़गर आदि शामिल हैं।
  • पेड़-पौधे:
    • यह अपने सदाबहार साल के जंगलों (शोरिया रोबस्टा) के लिये जाना जाता है।
  • यह भारत में आधिकारिक शुभंकर, "भूरसिंह द बारहसिंगा" (Bhoorsingh the Barasingha) का पहला टाइगर रिज़र्व है।

मध्य प्रदेश में अन्य टाइगर रिज़र्व :

कोर और बफर ज़ोन

  • प्रबंधन के उद्देश्य से ’कोर - बफर’ रणनीति के तहत  टाइगर रिज़र्व की स्थापना की जाती है।
  • कोर क्षेत्रों में वानिकी, लघु वनोपज संग्रह, चराई, मानव बस्तियाँ और अन्य किसी भी प्रकार के जैविक हस्तक्षेप  (Biotic Disturbances) की अनुमति नहीं होती है जो कि संरक्षण की दिशा में एक विशेष कदम है।
  • बफर ज़ोन (Buffer Zone) का प्रबंधन एक बहुउद्देश्यीय उपयोगी क्षेत्र (Multiple Use Area) के रूप में किया जाता है, जिसमें भूमि का संरक्षण उन्मुख उपयोग शामिल होता है, यह हितधारक समुदायों को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट साइट के इको डेवलपमेंटल (Eco Developmental) हेतु लागत सुविधा प्रदान करने के अलावा कोर क्षेत्र में जंगली जानवरों की पूर्व संरक्षित आबादी को निवास स्थान प्रदान करने जैसे उद्देश्यों की भी पूर्ति करता है।

बारहसिंगा (Barasingha)

  • उप-प्रजाति: भारतीय उपमहाद्वीप में बारहसिंगा/स्वैम्प डियर की तीन उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जो इस प्रकार हैं:
    • नेपाल में पाया जाने वाला वेस्टर्न स्वैम्प डियर (Rucervus duvaucelii )
    • साउथन स्वैम्प डियर/हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा (Rucervus duvaucelii branderi) मध्य और उत्तर भारत में पाया जाता है।
    • काजीरंगा (असम) और दुधवा नेशनल पार्क (उत्तर प्रदेश) में पाए जाने वाले इस्टर्न स्वैम्प डियर (Rucervus duvaucelii ranjitsinhi)
  • स्वैम्प डियर की संरक्षण स्थिति:

35th Pragati Meeting

35वीं प्रगति बैठक

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने  प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन ( Pro-Active Governance And Timely Implementation- PRAGATI) के 35वें संस्करण की अध्यक्षता की। यह  सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) आधारित मल्टीमॉडल प्लेटफॉर्म है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें शामिल हैं।

  • इसमें दस परियोजनाओं की समीक्षा की गई जिनमें कुल 54,675 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है। साथ ही प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (Pradhan Mantri Bhartiya Jan Aushadhi Pariyojana) की भी समीक्षा की गई।

प्रमुख बिंदु:

प्रगति के बारे में:

  • प्रगति (PRAGATI) को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गयाI यह प्रो-एक्टिव गवर्नेंस और टाइमली इम्प्लीमेंटेशन हेतु एक मल्टीमॉडल प्लेटफॉर्म है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें शामिल हैं।
  • इसे प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office- PMO) की टीम द्वारा राष्ट्रीय सूचना केंद्र (National Informatics Center- NIC) की मदद से तैयार किया गया है।
  • यह पीएम को संबंधित केंद्र और राज्य के अधिकारियों के साथ ज़मीनी स्तर पर स्थिति की पूरी जानकारी और नवीनतम दृश्यों के साथ चर्चा करने में सक्षम बनाता है।
    • PRAGATI  में तीन विशिष्ट नवीनतम तकनीकों का समावेश किया गया है जिसमें डिजिटल डेटा प्रबंधन, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग और भू-स्थानिक तकनीक शामिल है।
  • यह एक त्रिस्तरीय प्रणाली (PMO, केंद्र सरकार के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिव) है।

उद्देश्य:

  • शिकायत निवारण।
  • कार्यक्रम क्रियान्वयन।
  • परियोजना की निगरानी।

महत्त्व:

  • यह सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है क्योंकि यह भारत सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक साथ मंच पर लाता है।
  • यह प्रमुख हितधारकों की वास्तविक समय पर उपस्थिति के साथ-साथ विनिमय में ई-पारदर्शिता एवं ई-जवाबदेही हेतु एक मज़बूत प्रणाली है।
  • यह ई-गवर्नेंस और सुशासन हेतु एक नवीनतम परियोजना है।

चिंताएँ:

  • राज्यों के राजनीतिक अधिकारियों को शामिल किये बिना राज्य सचिवों के साथ पीएम की सीधी बातचीत राज्य की राजनीतिक कार्यकारी को कमज़ोर कर रही है।
  • यह पीएमओ के अतिरिक्त संवैधानिक कार्यालय (Extra-Constitutional Office) को अधिक शक्तिशाली बनाता है।
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