प्रारंभिक परीक्षा
वन डे वन जीनोम पहल
- 21 Nov 2024
- 7 min read
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) द्वारा 'वन डे वन जीनोम' पहल शुरू की गई।
- इसकी शुरुआत ब्रिक के प्रथम स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII), नई दिल्ली में की गई थी।
वन डे वन जीनोम पहल क्या है?
- परिचय: यह एक पहल है जो जीनोम अनुक्रमण से प्राप्त आँकड़ों का लाभ उठाते हुए भारत की अद्वितीय सूक्ष्मजीव विविधता और पर्यावरण, कृषि एवं मानव स्वास्थ्य में इसकी भूमिका को उजागर करने के लिये तैयार की गई है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत से पूर्णतः एनोटेट बैक्टीरिया जीनोम को विस्तृत सारांश, इन्फोग्राफिक्स और जीनोम डेटा के साथ सार्वजनिक रूप से जारी करना है।
- समन्वय: इस पहल का समन्वय जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद और राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (BRIC-NIBMG) द्वारा किया जाएगा।
- संभावित लाभ:
- सूक्ष्मजीवों के कार्यों को समझने से बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियाँ बनाई जा सकती हैं।
- लाभदायक सूक्ष्मजीवों के विषय में जानकारी से फसल की पैदावार बढ़ सकती है और संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिल सकता है।
- रोगाणुरोधी गुणों वाले सूक्ष्मजीवों की पहचान से नए उपचार और दवाएँ विकसित हो सकती हैं।
जीनोम अनुक्रमण
- परिचय: किसी जीव के जीनोम में न्यूक्लियोटाइड क्षार से बने DNA या RNA का एक अनूठा अनुक्रम होता है। इन बेस के क्रम को निर्धारित करना जीनोमिक अनुक्रमण कहलाता है।
- जीनोम अनुक्रमण से जीनोम-एनकोडेड लक्षणों जैसे महत्त्वपूर्ण एंजाइम, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और जैवसक्रिय यौगिकों की पहचान करने में मदद मिलती है।
- जीनोम अनुक्रमण प्रक्रिया:
- निष्कर्षण: DNA या RNA को बैक्टीरिया, वायरस या रोगजनकों की कोशिकाओं से निकाला जाता है ।
- प्रयोगशाला संबंधी चरण: RNA या एकल-रज्जुक DNA को दोहरे-रज्जुक DNA में परिवर्तित किया जाता है, छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, तथा टुकड़ों के सिरों को संशोधित किया जाता है।
- प्रतिदर्श, जिसे अब "लाइब्रेरी" कहा जाता है, अनुक्रमण के लिये तैयार है।
- अनुक्रमण: लाइब्रेरी को एक अनुक्रमक में भारित किया जाता है जो प्रतिदीप्ति या विद्युत धारा परिवर्तनों का उपयोग करके न्यूक्लियोटाइड क्षार की पहचान करता है।
- अनुप्रयोग: यह सूक्ष्मजीव गतिशीलता को समझने, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रबंधन, कृषि को आगे बढ़ाने और चिकित्सा समाधान विकसित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
सूक्ष्मजीव पर्यावरण, कृषि और मानव स्वास्थ्य में किस प्रकार योगदान देते हैं?
- पर्यावरण में भूमिका: वे जैव-रासायनिक चक्र, मृदा निर्माण, खनिज शुद्धिकरण और कार्बनिक अपशिष्टों और विषाक्त प्रदूषकों के विघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- उदाहरण के लिये, क्लॉस्ट्रिडियम और मीथेनोजेन्स जैसे अवायवीय बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों को मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड में तोड़ देते हैं।
- कृषि में भूमिका: सूक्ष्मजीव पोषक चक्रण, नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मृदा उर्वरता, कीट और खरपतवार नियंत्रण तथा पर्यावरणीय चिंताओं से निपटने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण के लिये, राइजोबियम बैक्टीरिया फलीदार पौधों (जैसे, सेम, मटर, मसूर) के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं, जिससे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिसका उपयोग पौधे कर सकते हैं।
- मानव स्वास्थ्य में भूमिका: वे पाचन , प्रतिरक्षा और यहाँ तक कि मानसिक स्वास्थ्य में भी आवश्यक भूमिका निभाते हैं।
- उदाहरण के लिये लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया लैक्टोज (दूध शर्करा) और अन्य कार्बोहाइड्रेट को लैक्टिक एसिड में विभाजन कर देता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले 'जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)' की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)
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