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चुंबकों में एमपेम्बा प्रभाव

  • 17 Sep 2024
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के वैज्ञानिकों ने चुंबकीय पदार्थों पर किये गए एक अध्ययन में एमपेम्बा (Mpemba) प्रभाव की पुष्टि की है।

  • वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि गर्म पैरामैग्नेट अपने फेरोमैग्नेटिक चरणों में तेज़ी से संक्रमण करते हैं भले ही वे शुरुआत में उच्च तापमान पर हों
    • परमाणु चुंबकों के यादृच्छिक संरेखण के कारण पैरामैग्नेट में चुंबकीय क्षेत्रों के प्रति अस्थायी और कमज़ोर आकर्षण होता है, जबकि फेरोमैग्नेट व्यवस्थित परमाणु चुंबकों के साथ स्थायी व मज़बूत आकर्षण प्रदर्शित करते हैं।
    • पैरामैग्नेटिक (अनुचुंबकीय) से फेरोमैग्नेटिक (लौहचुंबकीय) अवस्था में संक्रमण तब होता है, जब तापमान कम होकर एक "महत्त्वपूर्ण" (Critical) बिंदु पर पहुँचता है, जिसे क्यूरी बिंदु के रूप में जाना जाता है।
  • एमपेम्बा प्रभाव: यह एक विरोधाभासी घटना है जिसमें एक गर्म द्रव कुछ स्थितियों में ठंडे द्रव की तुलना में तेज़ी से ठंडा हो सकता है अथवा जम सकता है। 
    • इसका उल्लेख सर्वप्रथम अरस्तू ने अपनी पुस्तक मेटेरोलॉजिका (Meterologica) में किया था। इसे 1960 के दशक में तंजानिया में एक स्कूली छात्र एरास्टो एमपेम्बा द्वारा पुनः खोजा गया था। 
  • निहितार्थ: इसके विविध अनुप्रयोग हो सकते हैं, जैसे- उपकरणों में बेहतर तापीय नियंत्रण, उन्नत शीतलन रणनीतियाँ आदि। 

और पढ़ें: एमपेम्बा प्रभाव

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