मून डस्ट एज़ ए सोलर शील्ड | 22 Feb 2023
हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने "डस्ट एज़ ए सोलर शील्ड" नामक एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें एक प्रस्ताव के साथ यह जानकारी दी गई है कि समताप मंडल में चंद्रमा की धूल (मून डस्ट) पहुँचने से ग्लोबल-वार्मिंग धीमा हो सकता है।
प्रस्ताव:
- सौर विकिरण प्रबंधन:
- उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये पृथ्वी एवं सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बिंदु (Lagrange Point-लैग्रेंज पॉइंट) पर मून डस्ट के नियमित परिवहन का प्रस्ताव दिया।
- उन्होंने इसे सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) या स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन कहा, क्योंकि समताप मंडल में एरोसोल के छिड़काव से यह पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर प्रकाश के विकिरण को नियंत्रित करता है।
- पृथ्वी को गर्म होने से बचाने के लिये सौर विकिरण को फिल्टर करने पर दशकों से विचार किया जा रहा है, जिसमें विशाल अंतरिक्ष-आधारित स्क्रीन से लेकर परावर्तक सफेद बादलों के मंथन तक शामिल है।
- ज्वालामुखीय उदगार और मून डस्ट के साथ सादृश्य:
- समताप मंडल में मून डस्ट का कृत्रिम रूप से छिड़काव इस तथ्य से प्रेरित है कि एक पर्याप्त शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट समताप मंडल में सल्फेट और अन्य एरोसोल को पहुँचा सकता है तथा इस प्रकार वहाँ की वायु को ठंडा कर सकता है।
- समताप मंडल में एरोसोल, विशेष रूप से सल्फेट जैसे विकिरण-प्रकीर्णन वाले शीतलन प्रभाव डालते हैं।
- स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल के साथ आने वाली सूरज की रोशनी की मात्रा को कम करने से चंद्रमा की धूल के समान प्रभाव पड़ेगा।
- जब फिलीपींस में स्थित माउंट पिनातुबो में वर्ष 1991 में विस्फोट हुआ, तो इसने उत्तरी गोलार्द्ध के तापमान को एक वर्ष के लिये लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस कम कर दिया।
- समताप मंडल में मून डस्ट का कृत्रिम रूप से छिड़काव इस तथ्य से प्रेरित है कि एक पर्याप्त शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट समताप मंडल में सल्फेट और अन्य एरोसोल को पहुँचा सकता है तथा इस प्रकार वहाँ की वायु को ठंडा कर सकता है।
- गुण:
- सूर्य की किरणों को 1 या 2% तक अवरुद्ध करने से ही पृथ्वी की सतह को एक या दो डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है, मोटे तौर पर जितना यह पिछली सदी में गर्म हुआ है।
इस तकनीक के परिणाम:
- समताप मंडल में धूल का छिड़काव उष्मन को कम कर सकता है, किंतु पृथ्वी व्यापक रूप से सूखा जैसी स्थिति का सामना कर सकती है, जिससे फसल की पैदावार कम हो सकती है एवं बीमारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करने के लिये वायुमंडल या अंतरिक्ष में धूल पहुँचने के परिणामस्वरूप वर्षा में परिवर्तन से संबंधित कोई भी अनुमान अत्यधिक अनिश्चित होगा।
- अन्य जलवायु शमन रणनीतियाँ, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, उत्सर्जन में कमी की योजनाएँ, कार्बन-कैप्चर टेक्नोलॉजी और बायोएनर्जी का कोई खतरनाक अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न होने की संभावना नहीं है। दूसरी ओर, समताप मंडल के छोटे से क्षेत्र में भी एरोसोल के छिड़काव के वैश्विक परिणाम होंगे जो वर्तमान में पूरी तरह से निर्धारित नहीं किये जा सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) |