मोधवेथ महोत्सव | 11 Jan 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ियों में सबसे पुराने द्रविड़ जातीय समूहों में से एक, टोडा जनजाति ने नववर्ष के उपलक्ष्य में अपना पारंपरिक 'मोधवेथ' महोत्सव मनाया।
मोधवेथ महोत्सव क्या है?
- परिचय:
- यह प्रतिवर्ष दिसंबर के अंतिम रविवार या जनवरी के पहले रविवार को मनाया जाता है।
- यह नीलगिरि ज़िले में स्थित मुथानाडु मुंड गाँव के मूनपो मंदिर में आयोजित किया जाता है।
- मूनपो मंदिर में एक अद्वितीय ऊर्ध्वाधर शिखर है, जिसकी छत फूस की है तथा शीर्ष पर एक सपाट पत्थर है, जो इसे नीलगिरी में अपनी तरह का अंतिम टोडा मंदिरों में से एक बनाता है।
- अनुष्ठान और समारोह:
- आने वाले वर्ष में अच्छे स्वास्थ्य, बारिश और भरपूर फसल के लिये देवता, थेनकिश अम्मान से प्रार्थना की जाती है।
- उत्सव के एक भाग के रूप में प्रतिभागी मंदिर के बाहर नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
- अनोखी प्रथाएँ:
- टोडा युवा लगभग 80 किलोग्राम वज़नी चिकना पत्थर उठाकर अपनी ताकत और पुरुषत्त्व का प्रदर्शन करते हैं।
- पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार, महिलाएँ इस समारोह में भाग नहीं लेती हैं।
टोडा जनजाति क्या है?
- परिचय:
- टोडा जनजाति दक्षिण भारत के नीलगिरी पहाड़ियों की एक पशुपालक जनजाति है।
- तमिलनाडु में टोडा को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- टोडा भाषा द्रविड़ है लेकिन द्रविड़ परिवार की भाषाओं में सबसे असामान्य और अलग है।
- महत्त्व:
- टोडा लैंड नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है, जिसे यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व नामित किया गया है।
- उनके क्षेत्र को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- धर्म और विश्वास:
- उनकी धार्मिक प्रथाएँ देवताओं के एक समूह के इर्द-गिर्द घूमती हैं, जिनमें टोकिसी (देवी) और ओन (अधोलोक के देवता) केंद्रीय देवता हैं।
नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व
- परिचय:
- यह वर्ष 1986 में स्थापित भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व था।
- यह रिज़र्व तीन भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में फैला हुआ है।
- यह यूनेस्को के मानव एवं बायोस्फीयर कार्यक्रम के अंतर्गत भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व है।
- आदियान, अरनादान, कादर, कुरिचियन, कुरुमन और कुरूंबा जैसे कई जनजातियों समूहों का आश्रय स्थल है।
- यह विश्व के अफ्रीकी-उष्णकटिबंधीय और इंडो-मलायन जैविक क्षेत्रों के संगम को चित्रित करता है।
- जीव-जंतु:
- नीलगिरि तहर, नीलगिरि लंगूर, गौर, भारतीय हाथी जैसे जानवर और नीलगिरि डैनियो (डेवेरियो नीलघेरिएन्सिस), नीलगिरि बारबरे जैसी स्वच्छ जल की मछलियाँ यहाँ पाई जाती हैं।
- NBR में संरक्षित क्षेत्र:
- मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान और साइलेंट वैली इस रिज़र्व के भीतर मौजूद संरक्षित क्षेत्र हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018) शिल्प किस राज्य की परंपरा
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |