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मेटाजीनोमिक्स

  • 16 Aug 2023
  • 7 min read

हाल ही में नाइजीरियाई सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के वैज्ञानिकों ने रोगजनक निगरानी (Pathogen Surveillance) के लिये मेटाजीनोमिक्स अनुक्रमण का उपयोग करते हुए एक अध्ययन किया है।

  • कोविड-19 महामारी के कारण हुई तबाही ने मेटाजीनोमिक्स जैसी नई तकनीकों का तेज़ी से विकास किया और उभरते रोगजनकों की पहचान, निगरानी और प्रतिक्रिया करने के तरीके में एक आदर्श परिवर्तन किया।

मेटाजीनोमिक्स:

  • परिचय: 
    • मेटाजीनोमिक्स प्राकृतिक वातावरण में रोगाणुओं का अध्ययन है, जिसमें जटिल सूक्ष्मजीव समुदाय शामिल होते हैं जिनमें वे आमतौर पर मौजूद होते हैं।
    • इस अध्ययन में जीव की पूरी जिनोमिक संरचना की जाँच की जाती है, जिसमें उसके अंदर मौजूद प्रत्येक रोगाणु भी शामिल हैयह संक्रामक एजेंट के पूर्व ज्ञान की आवश्यकता को दूर करते हुए रोगी के नमूनों की प्रत्यक्ष अनुक्रमण की सुविधा प्रदान करता है।
      • उदाहरण स्वरूप एक ग्राम मृदा में 4000 से 5000 विभिन्न प्रजातियों के सूक्ष्मजीव होते हैं, जबकि मानव आंँतों में 500 विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं।
        • यह हमें किसी भी प्रणाली में रोगाणुओं की विविधता, प्रचुरता और अंतःक्रिया को समझने में सक्षम बनाता है।
      • यह पारंपरिक अनुक्रमण विधियों से भिन्न है, जिसमें उनके जिनोम को अनुक्रमित करने से पहले व्यक्तिगत प्रजातियों को सुसंस्कृत करने या अलग करने की आवश्यकता होती है।
  • अनुप्रयोग:
    • माइक्रोबियल समुदाय की गतिशीलता: अनुदैर्ध्य मेटाजिनोम अध्ययन से पता चल सकता है कि पर्यावरणीय अस्थिरता या मानवीय हस्तक्षेप के जवाब में माइक्रोबियल समुदाय कैसे बदलते हैं। 
    • जैव विविधता अध्ययन: मेटाजीनोमिक्स शोधकर्त्ताओं को विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों, जैसे महासागरों, मिट्टी, मीठे पानी और हॉट स्प्रिंग्स जैसे चरम वातावरण में सूक्ष्मजीवों की विविधता का अध्ययन करने की अनुमति देता है।
    • मानव माइक्रोबायोम अनुसंधान: मेटाजीनोमिक्स ने मानव आँत माइक्रोबायोम और पाचन, चयापचय तथा समग्र स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में हमारी समझ में क्रांति ला दी है।
    • बायोरेमेडिएशन और पर्यावरणीय सफाई: यह प्रदूषकों और विषाक्त यौगिकों को नष्ट करने की क्षमता वाले सूक्ष्मजीवों की पहचान कर सकता है, जिनका उपयोग बायोरेमेडिएशन उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
    • ड्रग डिस्कवरी और बायोटेक्नोलॉजी: यह बायोएक्टिव यौगिकों के उत्पादन के लिये ज़िम्मेदार नए जीन और मार्गों को उजागर कर सकता है, जिससे संभावित रूप से नई दवाओं एवं चिकित्सीय एजेंटों की खोज हो सकती है।
    • कृषि और पादप-सूक्ष्मजीव अंतःक्रिया: कृषि मृदा में सूक्ष्मजीव समुदायों को समझने से पोषक तत्त्व चक्र को अनुकूलित करने और फसल उत्पादकता बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।

जीनोम अनुक्रमण:

  • परिचय: 
    • जीनोम अनुक्रमण किसी जीव के जीनोम के संपूर्ण DNA अनुक्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
    • DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) न्यूक्लियोटाइड्स के अनुक्रम से बना है, जो चार न्यूक्लियोटाइड आधारों के अनुरूप A, T, C और G अक्षरों द्वारा दर्शाए जाते हैं: एडेनिन, थाइमिन, साइटोसिन और गुआनिन।
      • जीनोम अनुक्रमण में DNA स्ट्रैंड के साथ इन न्यूक्लियोटाइड के क्रम की पहचान करना सम्मिलित है।

नोट: जीनोम किसी जीव की कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक सामग्री का संपूर्ण समूह है और इसमें उस जीव की वृद्धि, विकास, कार्यप्रणाली तथा प्रजनन के लिये आवश्यक सभी जानकारी शामिल होती है।

  • जीनोमिक निगरानी (Genomic Surveillance) और कोविड-19 महामारी: कोविड-19 महामारी की वैश्विक प्रतिक्रिया ने वैज्ञानिकों को निगरानी उद्देश्यों के लिये जीनोम अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया।
    • GISAID जैसे प्लेटफॉर्मों की स्थापना ने SARS-CoV-2 जीनोम डेटा प्रस्तुत करने तथा साझा करने की सुविधा प्रदान की, जिससे हाई-थ्रूपुट जीनोम (High-Throughput Genome) निगरानी गतिविधियों में सहायता मिली।
      • हाई-थ्रूपुट' अनुक्रमण तकनीकों को संदर्भित करता है जो एक ही समय में पूरे जीनोम सहित बड़ी मात्रा में DNA को पार्स/पदव्याख्या (Parse) कर सकता है।
  • क्षमता: जीनोम अनुक्रमण की क्षमता ज़िका (Zika) और डेंगू (Dengue) जैसे मौसमी वायरस के साथ-साथ मवेशियों में गाँठदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease) और दवा प्रतिरोधी तपेदिक (Tuberculosis) जैसी बीमारियों तक फैली हुई है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

1- विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
2- यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
3- इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू

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