माश्को पिरो जनजाति | 22 Jul 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में अतिक्रमण तथा भोजन एवं सुरक्षा की तलाश के कारण, पेरू में पूर्व काल से ही संपर्कविहीन रही माश्को पीरो जनजाति पाई गई है।

  • माश्को  पिरो विश्व की सबसे बड़ी संपर्क रहित जनजाति है, जिसके 750 से ज़्यादा सदस्य हैं। वे पारंपरिक रूप से अमेज़न वर्षावन में अलग-थलग रहते हैं।
    • वे कभी-कभी यिन समुदाय के साथ संवाद करते हैं, जिनके साथ उनकी भाषा और वंशावली समान है, लेकिन क्योंकि वे रोगों से प्रतिरक्षित नहीं हैं, इसलिये ये संपर्क उनके स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकते हैं।
    • 1880 के दशक के रबड़ बूम के दौरान, रबड़ के दिग्गज व्यापारियों ने उनके क्षेत्र पर आक्रमण किया, उन्हें गुलाम बनाया और गंभीर अत्याचारों के अधीन किया।
  • वर्ष 2002 में पेरू ने उनकी सुरक्षा के लिये माद्रे डी डिओस प्रादेशिक रिज़र्व की स्थापना की, लेकिन यह प्रस्तावित क्षेत्र के केवल एक तिहाई हिस्से को ही कवर करता है।
  • पेरू:
    • पश्चिमी दक्षिण अमेरिका में स्थित यह देश इक्वाडोर, कोलंबिया, ब्राज़ील, बोलीविया, चिली और प्रशांत महासागर से घिरा हुआ है।
    • अमेज़न बेसिन वर्षावन से लेकर एंडीज़ पर्वतमाला तक फैले पारिस्थितिकी तंत्र के साथ यह एक अत्यंत विविधतापूर्ण राष्ट्र है।
    • यह अपने उष्णकटिबंधीय अक्षांश, पर्वत शृंखलाओं और दो महासागर धाराओं (हम्बोल्ट और अल नीनो) से प्रभावित है।
    • प्रमुख उत्पादक: लिथियम, सीसा, जस्ता, सोना, ताँबा और चाँदी।

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