विलुप्ति के कगार पर मधिका भाषा | 25 Jan 2024

स्रोत:द हिंदू

केरल के करिवेलूर ग्राम पंचायत के नज़दीक कूकनम की सुदूर कॉलोनी में चकलिया समूह को अपनी भाषा मधिका (Madhika) के आसन्न नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

  • वर्तमान में केवल दो लोग बचे हैं जो मधिका के अंतिम धाराप्रवाह वक्ता हैं। उन्हें इस बात का डर है कि उनके निधन से कहीं यह भाषा दुनिया से विलुप्त ना हो जाए।

मधिका भाषा और चकलिया समुदाय के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • मधिका भाषा: 
    • मधिका की उपेक्षा को चकलिया समुदाय से जुड़े सामाजिक विद्वेष के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाता है और उन्हें अछूत समझा जाता था।
    • मधिका एक ऐसी भाषा है जिसकी कोई लिपि नहीं है और यह तेलुगु, तुलु, कन्नड़ तथा मलयालम का मिश्रण है। यह कन्नड़ के समान होने के बावजूद, अपने विविध भाषायी प्रभावों के कारण सुनने वालों को भ्रमित करती है।
      • मधिका काफी हद तक कन्नड़ के पुराने रूप हव्यक कन्नड़ से प्रभावित है।
    • दस्तावेज़ीकरण की कमी (कोई स्क्रिप्ट नहीं) और पुराने वक्ताओं के निधन के कारण, एक महत्त्वपूर्ण जोखिम है कि मधिका व्यक्तियों से परे जीवित नहीं रह सकती है।
  • चकलिया समुदाय:
    • चकलिया समुदाय मूल रूप से खानाबदोश था और थिरुवेंकटरमण तथा मरियम्मा के उपासक थे। वे सदियों पहले कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्रों से उत्तरी मालाबार में चले गए।
    • मूल रूप से अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत इस समुदाय को बाद में केरल में अनुसूचित जाति समूह में पुनर्वर्गीकृत किया गया।

भारत की भाषायी विविधता कैसी है?

  • ऐतिहासिक परिदृश्य:
    • भारत के पास विविध भाषाओं और लेखन प्रणालियों के साथ एक समृद्ध भाषायी विरासत है।
    • भारत में लेखन का इतिहास लगभग चार हज़ार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के दिनों से चला आ रहा है।
    • भाषायी सर्वेक्षण:
      • औपनिवेशिक शासन के दौरान पहला भाषायी सर्वेक्षण वर्ष 1894 से 1928 के दौरान किया गया और 179 भाषाओं तथा 544 बोलियों की पहचान की गई।
      • वर्ष 1991 में भारत की जनगणना में 1576 मातृभाषाओं को अलग-अलग व्याकरणिक संरचनाओं और 1796 भाषण किस्मों के साथ सूचीबद्ध किया गया था जिन्हें अन्य मातृभाषाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
        • यूनेस्को के अनुसार, 10,000 से कम व्यक्तियों द्वारा बोली जाने वाली किसी भी भाषा को "संभावित रूप से लुप्तप्राय" माना जाता है।
    • भारत के भाषा परिवार:
      • भारत में प्रमुख भाषा परिवार हैं, जिनमें इंडो-आर्यन, द्रविड़ियन, ऑस्ट्रिक, तिब्बती-बर्मन और अन्य शामिल हैं।
  • विलुप्त होने का खतरा:
    • एक गैर सरकारी संगठन (भाषा रिसर्च एंड पब्लिकेशन सेंटर) के भाषायी सर्वेक्षण, पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया (PLSI) के अनुसार, लगभग 400 भाषाएँ हैं जो अगले 50 वर्षों में विलुप्त होने के खतरे में हैं।
      • खतरे में अधिकांश भाषाएँ सीमांत जनजातियों द्वारा बोली जाती हैं, जिनके बच्चों को बहुत कम या कोई शिक्षा नहीं मिलती है। यदि वे स्कूल जाते हैं तो निर्देश अक्सर संविधान में मान्यता प्राप्त भारत की 22 भाषाओं में से एक में प्रदान किये जाते हैं।
    • बिना लिपि वाली भाषाओं में भीली भाषा की तरह विलुप्त होने का खतरा अधिक होता है।

संकटग्रस्त भाषाओं के संरक्षण हेतु क्या पहल की गई हैं?

भारत में भाषाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • अनुच्छेद 29:
    • यह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार है।
  • आठवीं अनुसूची:
    • भारतीय संविधान का भाग XVII अनुच्छेद 343 से 351 तक आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता देती है।
    • भारत में वर्तमान में छह भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 'शास्त्रीय' भाषा का दर्जा प्राप्त है।
  • अनुच्छेद 350A:
    • प्रावधान करता है कि प्रत्येक राज्य को प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान करनी होगी।
  • अनुच्छेद 350B:
    • भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये "विशेष अधिकारी" की नियुक्ति का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद 351:
    • केंद्र सरकार को हिंदी भाषा के विकास के लिये निर्देश जारी करने की शक्ति देता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में, 'हल्बी, हो और कुई' पद किससे संबंधित हैं - (2021)

(a) पश्चिमोत्तर भारत का नृत्य रूप
(b) वाद्ययंत्र
(c) प्रागैतिहासिक गुफा चित्रकला 
(d) जनजातीय भाषाएँ

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • राज्य में रहने वाली जनजातियों की विशाल आबादी के कारण ओडिशा का भारत में एक अद्वितीय स्थान है। ओडिशा में 62 जनजातीय समुदाय निवास करते हैं जो ओडिशा की कुल आबादी का 22.8% है।
  • ओडिशा की जनजातीय भाषा 3 मुख्य भाषा परिवारों में विभाजित है जो ऑस्ट्रो-एशियाटिक (मुंडा), द्रविड़ और इंडो-आर्यन हैं। प्रत्येक जनजाति की अपनी भाषा तथा भाषा परिवार होता है। इनमें निम्नलिखित भाषाएँ शामिल हैं:
    • ऑस्ट्रो-एशियाटिक: भूमिज, बिरहोर, रेम (बोंडा), गाता (दिदयाई), गुटब (गदाबा), सोरा (साओरा), गोरम (पारेंगा), खड़िया, जुआंग, संताली, हो, मुंडारी, आदि।
    • द्रविड़: गोंडी, कुई-कोंध, कुवी-कोंध, किसान, कोया, ओलारी, (गदाबा) परजा, पेंग, कुडुख (उरांव) आदि।
    • इंडो आर्यन: बथुडी, भुइयां, कुरमाली, सौंती, सदरी, कंधन, अघरिया, देसिया, झरिया, हल्बी, भतरी, मटिया, भुंजिया आदि।
  • इन भाषाओं में से केवल 7 भाषाओं के पास ही लिपि हैं। वे हैं संथाली (ओलचिकी), साओरा (सोरंग संपेंग), हो (वारंगचिति), कुई (कुई लिपि), ओरांव (कुखुद तोड़), मुंडारी (बानी हिसिर), भूमिज (भूमिज अनल)। संथाली भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।


प्रश्न. निम्नलिखित संविधान संशोधन अधिनियमों में से किस एक के अंतर्गत भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत भाषाओं में चार भाषाएँ जोड़ी गईं, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई? (2008) 

(a) संविधान (90वाँ संशोधन) अधिनियम
(b) संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम
(c) संविधान (92वाँ संशोधन) अधिनियम
(d) संविधान (93 संशोधन) अधिनियम

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. क्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं? चर्चा कीजिये (2017)