शासन व्यवस्था
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
- 22 Feb 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र (UN), भाषा संगम, नमथ बसई, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020। मेन्स के लिये:स्वदेशी भाषाओं की रक्षा के लिये भारत की पहल। |
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यह पता चला कि आधुनिकीकरण एवं वैश्वीकरण, विशेष रूप से शिक्षा की कमी के कारण भारत अपनी कई भाषाओं को खो रहा है।
- वर्ष 2023 की थीम "बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा को बदलने की आवश्यकता" (Multilingual education– a necessity to transform education) है
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस:
- परिचय
- यूनेस्को ने वर्ष 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में यह दिवस मनाया जा रहा है।
- यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है।
- कनाडा में रहने वाले एक बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था।
- उद्देश्य:
- यूनेस्को ने भाषायी विरासत के संरक्षण हेतु मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर दिया है तथा सांस्कृतिक विविधता की रक्षा के लिये स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक शुरू किया गया है।
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृतियों एवं बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है।
- यूनेस्को ने भाषायी विरासत के संरक्षण हेतु मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर दिया है तथा सांस्कृतिक विविधता की रक्षा के लिये स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक शुरू किया गया है।
- चिंता:
- संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, हर दो सप्ताह में एक भाषा विलुप्त हो जाती है और विश्व एक पूरी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत खो देता है।
- भारत में यह विशेष रूप से उन जनजातीय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है जहाँ बच्चे उन विद्यालयों में सीखने के लिये संघर्ष करते हैं जिनमें उनको मातृ भाषा में निर्देश नहीं दिया जाता है।
- ओडिशा में केवल 6 जनजातीय भाषाओं में एक लिखित लिपि है, जिससे बहुत से लोग साहित्य और शैक्षिक सामग्री तक पहुँच से वंचित हैं।
भाषाओं के संरक्षण के लिये वैश्विक प्रयास:
- संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2022 और वर्ष 2032 के मध्य की अवधि को स्वदेशी भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय दशक के रूप में नामित किया है।
- इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2019 को स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (IYIL) घोषित किया था।
- वर्ष 2018 में चांगशा (चीन) में यूनेस्को द्वारा की गई यूलु (Yuelu) उद्घोषणा, भाषायी संसाधनों और विविधता की रक्षा के लिये विश्व भर के देशों एवं क्षेत्रों के प्रयासों का मार्गदर्शन करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है।
स्वदेशी भाषाओं की रक्षा के लिये भारत की पहल:
- भाषा संगम: सरकार ने "भाषा संगम" कार्यक्रम शुरू किया है, जो छात्रों को अपनी मातृभाषा सहित विभिन्न भाषाओं को सीखने और समझने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य बहुभाषावाद और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना भी है।
- केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान: सरकार ने केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान भी स्थापित किया है, जो भारतीय भाषाओं के अनुसंधान और विकास हेतु समर्पित है।
- वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (Commission for Scientific and Technical Terminology- CSTT): CSTT क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तर की पुस्तकों के प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान प्रदान कर रहा है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में सभी भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली विकसित करने के लिये की गई थी।
- राज्य-स्तरीय पहलें: मातृभाषाओं की रक्षा हेतु कई राज्य-स्तरीय पहलें भी हैं। उदाहरण के लिये ओडिशा सरकार ने "अमा घर (Ama Ghara)" कार्यक्रम शुरू किया है, जो आदिवासी बच्चों को आदिवासी भाषाओं में शिक्षा प्रदान करता है।
- इसके अलावा केरल राज्य सरकार की नमथ बसई (Namath Basai) पहल आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषाओं को अपनाकर शिक्षित करने में काफी प्रभावी साबित हुई है
- इसके अलावा केरल राज्य सरकार की नमथ बसई (Namath Basai) पहल आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषाओं को अपनाकर शिक्षित करने में काफी प्रभावी साबित हुई है
आगे की राह
वर्तमान विकट स्थिति के बावजूद भारत मातृभाषाओं हेतु आशा है क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के शुरुआती चरणों से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करता है। इससे इन भाषाओं को दीर्घावधि तक बने रहने में मदद मिल सकती है, हालाँकि भाषायी न्याय के सवाल का समाधान करना और यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि भाषा शिक्षा के लिये बाधा नहीं है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |