सूर्य की घूर्णन गति में अक्षांशीय परिवर्तन | 28 Sep 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारतीय खगोलविदों ने पहली बार भूमध्य रेखा से लेकर उसके ध्रुवीय क्षेत्रों तक सूर्य की घूर्णन गति में परिवर्तन का प्रतिचित्रण किया
- अध्ययन में तमिलनाडु स्थित कोडईकनाल सौर वेधशाला से किये गए सूर्य के 100 वर्षों के दैनिक प्रेक्षण का उपयोग किया गया।
अध्ययन से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- सूर्य के क्रोमोस्फीयर के घूर्णन का प्रतिचित्रण: खगोलविदों ने पहली बार सूर्य के वर्णमंडल (Chromosphere) की घूर्णन गति में परिवर्तन का सफलतापूर्वक प्रतिचित्रण किया।
- वर्णमंडल प्लाज़्मा की एक पतली परत है जो सूर्य की दृश्य सतह (प्रकाशमंडल) और कोरोना (सूर्य का ऊपरी परिमंडल) के बीच स्थित होती है।
- सूर्य के घूर्णन में परिवर्तन: सूर्य के विषुवत् वृत्त का चक्रण इसके ध्रुवों की अपेक्षा अधिक तीव्र होता है। विषुवत् वृत्त क्षेत्र को एक घूर्णन पूरा करने में केवल 25 दिन का समय लगता है जबकि ध्रुवों की अवधि 35 दिन है।
- सूर्य के विषुवत् वृत्त में प्रति दिन 13.98 डिग्री का घूर्णन होता है जबकि 80 डिग्री अक्षांश पर यह घूर्णन दर धीमी होकर 10.5 डिग्री प्रति दिन हो जाती है।
- कोडईकनाल सौर वेधशाला की भूमिका: वेधशाला के 100 वर्षों के रिकॉर्ड से सौर प्लेज और नेटवर्क सेल का उपयोग करके, खगोलविद सभी अक्षांशों पर सूर्य की घूर्णन गति का माप करने में सक्षम हुए।
- प्लेज क्षीण चुंबकीय क्षेत्र वाले प्रकाशमान क्षेत्र हैं। ये वर्णमंडल में पाए जाते हैं और सनस्पॉट से 3 से 10 गुना बड़े होते हैं।
- नेटवर्क सेल में क्षीण चुंबकीय क्षेत्र होते हैं और एकल रूप में सनस्पॉट से इनका आकार थोड़ा बड़ा होता है किंतु सनस्पॉट के समूहों से इनका आकार छोटा होता है।
- सनस्पॉट के विपरीत, प्लेज और नेटवर्क सदैव सूर्य की सतह पर उपस्थित रहते हैं, जिससे वैज्ञानिक ध्रुवों पर भी घूर्णन दर की जाँच कर पाते हैं।
- सनस्पॉट वे क्षेत्र हैं जिनका वर्ण सूर्य की सतह पर काला प्रतीत होता है। इनका वर्ण काला प्रतीत होता है क्योंकि सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में इनका ताप कम होता है।
- निष्कर्षों का महत्त्व: इस अंतरात्मक घूर्णन को समझना आवश्यक है क्योंकि यह सौर डायनेमो, 11-वर्षीय सौर चक्र और इसकी तीव्र क्रिया की अवधि से संबंधित है जिनसे पृथ्वी पर चुंबकीय विक्षोभ भी उत्पन्न होते हैं।
नोट:
- 19 वीं शताब्दी में अंग्रेज़ खगोलशास्त्री रिचर्ड कैरिंगटन ने प्रथमतः सनस्पॉट का प्रेक्षण कर अंतरात्मक घूर्णन की खोज की थी।
- हालाँकि, सनस्पॉट अधिकांशतः 35 डिग्री से निम्न अक्षांशों तक ही सीमित होते हैं तथा उच्च-अक्षांश घूर्णन माप के लिये उपयुक्त नहीं होते हैं।
सूर्य के परिमंडल से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- सूर्य का परिमंडल अनेक परतों से मिलकर बना है, जिनका तापमान और अभिलक्षण भिन्न-भिन्न होता है:
- प्रकाशमंडल: यह सूर्य की दृश्यमान सतह है जो आंतरिक भाग और परिमंडल के बीच की सीमा को चिह्नित करती है।
- वर्णमंडल (क्रोमोस्फीयर): यह प्रकाशमंडल के ऊपर उपस्थित एक असम परत है जिसके तापमान में 6000°C से लगभग 20,000°C की वृद्धि होती है।
- संक्रमण क्षेत्र: यह सूर्य के परिमंडल की विरल और अत्यंत असम परत है जो तप्त कोरोना को अति शीतित वर्णमंडल से अलग करती है।
- कोरोना: यह सूर्य का बाह्य परिमंडल है। यहाँ तापमान अधःस्थ वर्णमंडल अथवा प्रकाशमंडल से बहुत अधिक होता है।
- कोरोना के बाहर सौर पवन है, जो कोरोना से उत्पन्न आवेशित कणों (प्लाज़्मा) का बहिः प्रवाह है।
- सौर पवन अंतरिक्ष में दूर तक विस्तृत है जो ग्रहीय परिमंडल को प्रभावित करती है तथा यह ध्रुवीय ज्योति (प्रकाश पुंज) के बनने में सहायक होती हैं।
कोडईकनाल सौर वेधशाला
- इसका संचालन भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा किया जाता है तथा यह दक्षिण भारत में पलानी पर्वत शृंखला में स्थित है।
- IIA, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।
- इसकी स्थापना पृथ्वी के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करने और मानसून प्रतिरूप को बेहतर ढंग से समझने के लिये की गई थी।
- इस वेधशाला में 100 से अधिक वर्षों से किये गए सौर प्रेक्षण का डेटा मौजूद है जो सौर प्रेक्षण का सबसे व्यापक डेटा है।
- इसकी प्रमुख उपलब्धियों में से एक वर्ष 1909 में एवरशेड प्रभाव की खोज थी जो सौर परिमंडल में गैसों की गति से संबंधित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अंतरिक्ष में कई सौ कि० मी०/से० की गति से यात्रा कर रहे विद्युत्-आवेशी कण यदि पृथ्वी के धरातल पर पहुँच जाएँ, तो जीव-जंतुओं को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। ये कण किस कारण से पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँच पाते? (2012) (a) पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देती है, उत्तर: (a) |