रैपिड फायर
लाजवर्द
- 25 Mar 2025
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स्रोत: द हिंदू
लाजवर्द (Lapis lazuli) एक रूपांतरित शैल और उपरत्न है, जो गहरे नीले रंग के लिये जाना जाता है, तथा प्राचीन सभ्यताओं के अनुसार धन, शक्ति और सामाजिक स्थिति का प्रतीक है।
- व्युत्पत्ति: यह नाम लैटिन ("लैपिस"= शैल) और फारसी ("लाजुली"= नीला) से उत्पन्न हुआ है।
- संघटन: इसका गाढ़ा नीला रंग लाज़ुराइट (25-40%) के कारण होता है, जो सल्फर की मात्रा से प्रभावित होता है। कैल्साइट की उपस्थिति से इसका नीलापन कम होता है, जबकि पाइराइट्स के कारण इसे एक स्वर्णिम चमक मिलती है।
- प्रमुख स्रोत: हालाँकि यह चिली, रूस और अमेरिका जैसे कई देशों में पाया जाता है, लेकिन सबसे बेहतरीन लाजवर्द अफगानिस्तान के बदख्शाँ प्रांत से प्राप्त होता है, जहाँ 6,000 से अधिक वर्षों से इसका खनन किया जा रहा है।
- भारत में महत्त्व: भारत में व्यापारी 1000 ईसा पूर्व बदख्शाँ से लाजवर्द का आयात करते थे और लाजवर्द से बने आभूषण मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे सिंधु घाटी स्थलों में पाए गए हैं।
- वैश्विक उपयोग: प्राचीन मिस्र के लोग इसका उपयोग आभूषणों और सौंदर्य प्रसाधनों के लिये करते थे, जबकि पुनर्जागरण काल के कलाकार चित्रकारी में उपयोग में लाए जाने हेतु इसे अल्ट्रामरीन रंगद्रव्य में परिवर्तित करते थे।