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भू-स्खलन से तीस्ता-V जलविद्युत स्टेशन को नुकसान

  • 22 Aug 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू 

पूर्वी सिक्किम में भूस्खलन से राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) के तीस्ता-V जलविद्युत स्टेशन स्थल को काफी नुकसान पहुँचा है।

  • यह घटना अक्तूबर 2023 में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)-प्रेरित फ्लैश फ्लड से पहले से ही प्रभावित परियोजना के सामने आने वाली चुनौतियों को और बढ़ा देती है।
    • भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या पृथ्वी का नीचे की ओर खिसकना, ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहद् संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
    • यह एक प्रकार के वृहद् पैमाने पर अपक्षय है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में मिट्टी और शैल समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरते हैं।
    • भूस्खलन शब्द में ढलान संचलन के पाँच तरीके शामिल हैं: गिरना (Fall), लटकना (Topple), फिसलना (Slide), फैलना (Spread) और प्रवाह (Flow)
  • वर्ष 2008 में चालू किया गया तीस्ता-V पावर स्टेशन (510 मेगावाट) तीस्ता नदी की जलविद्युत शक्ति का दोहन करने के लिये नदी तट पर संचालित एक योजना है। पावर स्टेशन लाभार्थी राज्यों में बिहार, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड शामिल हैं।
  • तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र नदी (बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है) की एक सहायक नदी है, जो भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। यह छोंबो छू ग्लेशियल/हिमनद झील, चुनथांग सिक्किम से निकलती है।
    • यह बांग्लादेश में प्रवेश करने से पूर्व भारत के पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। मूल रूप से यह सीधे पद्मा नदी (बांग्लादेश में, गंगा नदी को पद्मा नदी के नाम से जाना जाता है) में मिलती थी, लेकिन वर्ष 1787 के आसपास, यह अपना मार्ग बदलकर जमुना नदी में मिल गई।
    • तीस्ता बाँध ऊपरी पद्मा और जमुना के बीच के मैदानों के लिये सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है।

और पढ़ें: सिक्किम बाँध आपदा ने भारत-भूटान जलविद्युत परियोजना के लिये चिंता बढ़ाई

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