इटली की गार्डा झील | 17 Aug 2022

इटली के सबसे भीषण सूखे के कारण देश की सबसे बड़ी गार्डा झील दशकों में अब तक के सबसे कम जल स्तर तक पहुँच गई है।

  • इसके परिणामस्वरूप जल के नीचे की चट्टानें दिखने लगी और जल का तापमान कैरेबियन सागर के औसत तापमान तक गर्म हो गया।

Italy

गार्डा झील

  • उत्तरी इटली ने महीनों तक काफी कम वर्षा हुई और वर्ष 2022 में हिमपात भी 70% कम हुआ है, जिससे पो जैसी महत्त्वपूर्ण नदियाँ सूख गईं, जो इटली के कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में बहती हैं।
  • इटली की सबसे लंबी नदी पो की सूखी हुई स्थिति से उन किसानों को अरबों यूरो का नुकसान हुआ, जो आम तौर पर खेतों और धान की सिंचाई के लिये इस पर निर्भर रहते हैं।
    • नुकसान की भरपाई के लिये अधिकारियों ने गार्डा झील से अधिक जल को स्थानीय नदियों प्रवाहित करने की अनुमति दी।
    • लेकिन जुलाई 2022 के अंत में उन्होंने झील और उससे जुड़े आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पर्यटन के लिये राशि कम कर दी।
    • बड़ी मात्रा में जल को नदियों की ओर मोड़ने के साथ झील अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई।

सूखा

  • परिचय:
    • सूखे को आम तौर पर विस्तारित अवधि में वर्षा/वर्षा में कमी के रूप में माना जाता है, आमतौर पर एक मौसम या उससे अधिक जिसके परिणामस्वरूप जल की कमी होती है जिससे वनस्पति, जानवरों और/या लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • प्रकार:
    • मौसम संबंधी सूखा:
      • यह सूखापन या वर्षा की कमी की डिग्री और शुष्क दीर्घावधि पर आधारित है।
    • हाइड्रोलॉजिकल सूखा:
      • यह जल आपूर्ति पर वर्षा की कमी के प्रभाव पर आधारित है जैसे कि धारा प्रवाह, जलाशय और झील का स्तर और भूजल स्तर में गिरावट।
    • कृषि सूखा:
      • यह वर्षा की कमी, मिट्टी में जल की कमी, निम्न भू-जल स्तर अथवा सिंचाई के लिये आवश्यक जलाशय के स्तर जैसे कारकों द्वारा कृषि पर प्रभाव को संदर्भित करता है।
    • सामाजिक-आर्थिक सूखा:
      • यह फलों, सब्जियों, अनाज और मांँस जैसे कुछ आर्थिक सामग्री की आपूर्ति और मांग पर सूखे की स्थिति (मौसम विज्ञान, कृषि, या जल विज्ञान संबंधी सूखे) के प्रभाव पर विचार करता है।
  • कारण:
    • वर्षा में परिवर्तनशीलता सूखे का एक प्रमुख कारण है। परिवर्तनशीलता का प्रतिशत कुल वर्षा से व्युत्क्रमानुपाती होता है।
    • मानसूनी हवाओं के मार्ग में विचलन, या मानसून का शीघ्र निवर्तन भी किसी क्षेत्र में सूखे की स्थिति पैदा कर सकता है।
    • वनाग्नि के कारण भी सूखा पड़ सकता है, जिससे उस क्षेत्र की मृदा, कृषि के लिये अनुपयुक्त हो जाती है और साथ ही साथ मृदा में जल की कमी हो जाती है।
    • जलवायु परिवर्तन के अलावा भूमि क्षरण के परिणामस्वरूप सूखे में वृद्धि होती है।
  • समाधान:
    • जल प्रबंधन:
      • लवण-प्रेमी पौधों के लिये उपचारित जल की बचत, पुन: उपयोग, वर्षा जल संचयन, विलवणीकरण या समुद्री जल का प्रत्यक्ष उपयोग।
    • किसान प्रबंधित प्राकृतिक पुनर्जनन (FMNR):
      • झाड़ीयों की चयनात्मक छंँटाई के माध्यम से देशी अंकुरित वृक्षों की वृद्धि को सक्षम करना।
      • छंँटे हुए पेड़ों के अवशेषों का उपयोग खेतों के लिये मल्चिंग प्रदान करने के लिये किया जा सकता है जिससे मृदा में जल की अवधारण क्षमता बढ़ जाती है और वाष्पीकरण कम हो जाता है।
    • अन्य उपाय:
      • रेत, हवा के झोंकों आदि से मृदा संरक्षण हेतु बाड़ लगा मृदा का बचाव करना।
      • मृदा के समृद्ध और अति-उर्वरीकरण की आवश्यकता।
      • जल -कुशल सिंचाई उपकरण का उपयोग करना जैसे कि सूक्ष्म और ड्रिप सिंचाई, सॉकर होसेस प्रणाली आदि।
  • भारत सरकार की पहल:

सिविल  सर्विस परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रारंभिक परीक्षा:

प्र. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)

कार्यक्रम/परियोजना

मंत्रालय

1. सूखा-प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम

कृषि मंत्रालय

2. मरुस्थल विकास कार्यक्रम

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

3. वर्षापूरित क्षेत्रों हेतु राष्ट्रीय जल संभरण विकास परियोजना

ग्रामीण विकास मंत्रालय

उपर्युक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 3
(C) 1, 2 और 3
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर:D

व्याख्या:

  • सूखा-प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम का उद्देश्य फसलों और पशुओं के उत्पादन तथा भूमि, जल एवं मानव संसाधनों की उत्पादकता पर सूखे के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना है, जिससे अंततः प्रभावित क्षेत्रों में सूखे से बचाव होता है। यह भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 1 सुमेलित नहीं है।
  • मरुस्थल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य सूखे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना और चिह्नित मरुस्थलीय क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन आधार के कायाकल्प के माध्यम से मरुस्थलीकरण को नियंत्रित करना है। यह भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिये राष्ट्रीय वाटरशेड विकास कार्यक्रम (NWDPRA) प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, विकास एवं सतत् प्रबंधन, कृषि उत्पादकता तथा उत्पादन को एक स्थायी तरीके से बढ़ाने के लिये एक कार्यक्रम है। यह कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय) के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 3 सुमेलित नहीं है।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • चीन के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती -1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जो वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक शामिल है। इसके अंतर्गत कई ट्रांसजेनिक किस्में भी विकसित की गई हैं, जिनमें कीट प्रतिरोधी कपास, शाकनाशी रोधी सोयाबीन और विषाणु प्रतिरोधी पपीता भी शामिल है। अत: कथन 1 सही है।
  • पारंपरिक प्रजनन में पादप प्रजनक अपने खेतों की छानबीन कर उन पौधों की खोज करते हैं जो वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ये लक्षण उत्परिवर्तन नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से अचानक उत्पन्न होते हैं, लेकिन उत्परिवर्तन की प्राकृतिक दर बहुत धीमी और अविश्वसनीय होती है तथा इसमें उत्परिवर्तन संबंधी लक्षणों की उत्पत्ति के लिये इन पौधों की देखभाल करनी पड़ती है। हालाँकि जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है, इस प्रकार यह अधिक बेहतर है। अत: कथन 2 सही है।
  • मेज़बान-रोगजनक अंतःक्रिया को परिभाषित किया जाता है कि कैसे आणविक, कोशकीय, जीव या जनसंख्या स्तर पर रोगाणुओं या वायरस मेज़बान जीवों के भीतर खुद को बनाए रखते हैं। जीनोम अनुक्रमण फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम के अध्ययन को सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता करता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।


प्रश्न. मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया में जलवायु सीमाएँ नहीं होती हैं। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा 2020)

स्रोत: एनबीसी