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मलेरिया की रोकथाम हेतु नवोन्वेषी रणनीतियाँ

  • 11 Dec 2024
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

मलेरिया की रोकथाम में हाल ही में हुई प्रगति ने आनुवंशिक रूप से रूपांतरित मच्छरों से हटकर आनुवंशिक रूप से रूपांतरित मलेरिया उत्पन्न करने वाले परजीवियों पर ध्यान केंद्रित किया है। इस अभिनव दृष्टिकोण का उद्देश्य परजीवी के जीवन चक्र के यकृत चरण के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करना है, जिससे संभावित रूप से अधिक प्रभावी मलेरिया के टीके निर्मित हो सकते हैं।

आनुवंशिक रूप से रूपांतरित परजीवी मलेरिया को रोकने में कैसे सहायक हैं?

  • आनुवंशिक रूप से रूपांतरित परजीवी: मलेरिया उत्पन्न करने वाले परजीवियों को उनके व्यवहार का अध्ययन करने, बीमारियों को रोकने या उपचार देने के लिये आनुवंशिक रूप से परिवर्तित किया गया था। उन्हें यकृत में प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, ताकि रक्तप्रवाह में प्रवेश करने से पहले बीमारी को रोका जा सके।
    • मलेरिया उत्पन्न करने वाले परजीवी संक्रमण का कारण बनते हैं और लक्षण तभी दिखाई देने लगते हैं जब वे यकृत चरण से रक्तप्रवाह में पहुँचते हैं।
    • यह विधि बाद में अपरिवर्तित परजीवियों के संपर्क में आने पर मलेरिया के विरुद्ध बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे समग्र टीका प्रभावकारिता में सुधार होता है।  
      • इसके अतिरिक्त, आनुवंशिक रूप से रूपांतरित मच्छर जंगली मच्छरों के साथ संभोग करके मलेरिया के प्रति प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं।
    • इम्यून प्राइमिंग, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक होस्टर प्रारंभिक रोगजनक संपर्क के बाद अपनी प्रतिरक्षा सुरक्षा में सुधार करता है, जिससे समान या विभिन्न रोगजनकों के साथ बाद के संक्रमण के बाद बेहतर सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • परीक्षण की प्रभावकारिता: आयोजित परीक्षण में, देर से सक्रिय होने वाले आनुवंशिक रूप से रूपांतरित परजीवियों ( इस मामले में पी फाल्सीपेरम ) के संपर्क में आने वाले 89% प्रतिभागी मलेरिया से सुरक्षित रहे, जबकि जल्दी सक्रिय होने वाले परजीवियों के संपर्क में आने वाले केवल 13% प्रतिभागी ही मलेरिया से सुरक्षित रहे।
    • शीघ्र-रोक से तात्पर्य है कि परजीवी को यकृत में प्रवेश करने के पहले दिन ही मार दिया जाता है, जबकि विलंबित-रोक से तात्पर्य है कि उसे छठे दिन मार दिया जाता है। 
  • पारंपरिक तरीकों से तुलना: पारंपरिक तरीकों, जैसे कि विकिरण-निष्फल मच्छरों तथा विकिरण-क्षीणित स्पोरोजोइट्स (मलेरिया परजीवियों की संक्रामक अवस्था) को समान सुरक्षा स्तरों के लिये अत्यधिक जोखिम (1,000 मच्छरों के काटने तक) की आवश्यकता होती है।

मलेरिया क्या है?

  • परिचय: 
    • मलेरिया, प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो मादा एनोफिलीज मच्छरों द्वारा फैलती है। मनुष्यों को संक्रमित करने वाली पाँच प्रजातियों में से, पी. फाल्सीपेरम और पी. विवैक्स सबसे खतरनाक हैं।
    • संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद, मच्छर अगले व्यक्ति को मलेरिया परजीवी फैलाता है। परजीवी यकृत तक पहुँचते हैं, परिपक्व होते हैं, और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
  • भारत में मलेरिया की प्रमुख विशेषताएँ:
    • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के अनुसार, भारत में मलेरिया एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है, जिसके लगभग 1 मिलियन मामले प्रतिवर्ष रिपोर्ट किये जाते हैं।
    • लगभग 95% आबादी मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में रहती है, जिनमें से 80% मामले आदिवासी, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में होते हैं, जहाँ 20% आबादी रहती है।
    • वर्ष 2022 में WHO के तहत शामिल दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के कुल मलेरिया के मामलों में भारत की हिस्सेदारी 66% रही, जिसमें कुल मामलों के 46% में प्लास्मोडियम वाइवैक्स की भूमिका थी।
  • उपचार:
    • WHO द्वारा अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन जैसे RTS,S/AS01 और R21/Matrix-M
  • वैश्विक पहल: 
  • मलेरिया से संबंधित सरकारी पहल:

 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के प्रति मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु टीका विकसित करने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया है। प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करने में क्या कठिनाइयाँ हैं? (2010)

(a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है।
(b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य में मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है।
(c) टीका केवल बैक्टीरिया के विरुद्ध ही विकसित किया जा सकता है।
(d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान होता है, न कि निश्चित मेज़बान।

उत्तर: b

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