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2,500 वर्ष पूर्व याक को पालतू बनाए जाने के साक्ष्य

  • 19 Dec 2023
  • 5 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, मनुष्यों द्वारा याक को पालतू बनाने का पहला साक्ष्य चीन में तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के शन्नान प्रांत के एक कस्बे बांगगा में पाया गया है।

  •  ब्रह्मपुत्र नदी, शैनन से होकर बहती है जो भूटान और अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • पालतू याक तथा टॉरिन मवेशियों का सह-अस्तित्व: यह अध्ययन बंगगा के भीतर पालतू याक तथा टॉरिन मवेशियों के सह-अस्तित्व पर प्रकाश डालता है, जो 2,500 वर्ष पहले के पशुपालन एवं कृषि प्रथाओं के एक परिष्कृत स्तर को प्रदर्शित करता है।
    • शोधकर्त्ताओं ने भारतीय उपमहाद्वीप, जहाँ मवेशी की ज़ेबू नस्ल प्रमुख हैं, के अत्यधिक समीप के क्षेत्र में टॉरिन मवेशियों की उपस्थिति पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।
    • इसमें दावा किया गया कि टॉरिन मवेशी संभवतः सिल्क रूट तथा उत्तरी तिब्बत के माध्यम से अनातोलिया (आधुनिक तुर्की) से मध्य एवं पूर्वी तिब्बत पहुँचे।
      • यूरोप के साथ-साथ एशिया के समशीतोष्ण क्षेत्रों की अधिकांश आधुनिक मवेशी नस्लें टॉरिन हैं। वे भारतीय उपमहाद्वीप और उष्णकटिबंधीय एशिया के मूल निवासी ज़ेबू या कूबड़ वाली नस्लों से अलग हैं।
  • संकरण और उन्नत प्रजनन के साक्ष्य: दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्त्ताओं ने याक और मवेशियों के बीच जानबूझकर क्रॉसिंग के परिणामस्वरूप संकर के साक्ष्य का पता लगाया, जो पशु प्रजनन के बारे में प्राचीन निवासियों की सूक्ष्म समझ को और अधिक रेखांकित करता है।

नोट: एशिया के ऊँचे इलाकों में अनुमानतः 14 मिलियन से 15 मिलियन घरेलू याक हैं। वे भारतीय हिमालयी सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे– लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश में भी पाए जाते हैं। हालाँकि, जंगली याक, जिन्हें मनुष्यों ने कभी पालतू नहीं बनाया, खतरे की कगार पर हैं।

जंगली याक से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • परिचय: जंगली याक, जिसे बोस ग्रुनिएन्स या बोस म्यूटस के नाम से जाना जाता है, तिब्बती पठार के भीतर दूरदराज़ के इलाकों में पनपता है, विशेष रूप से उच्च ऊँचाई वाले अल्पाइन टुंड्रा, घास के मैदानों और ठंडे रेगिस्तानों में रहता है।
    •   प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (CMS) की रिपोर्ट है कि मूल वनीय याक, पूर्व काल में भूटान और नेपाल में भी पाए जाते थे, लेकिन माना जाता है कि अब उन देशों में विलुप्त हो गये हैं और अब केवल चीन तथा भारत ही उनके निवास स्थान बचे हैं।
  • वनीय याक के लिये प्रमुख खतरा:
    • पर्यावास की हानि, स्थानीय याक के साथ आनुवंशिक संकरण और अवैध शिकार महत्त्वपूर्ण खतरे उत्पन्न करते हैं।
      • हिमालय और तिब्बती पठार के पार के समुदाय डेज़ो (नर संकर) एवं डेज़ोमो (मादा संकर) का उपयोग करते हैं, जो मवेशियों तथा याक को पार करके पाला जाता है।
    • मानवीय गतिविधियों और उनके पशुधन से जनित अशांति के कारण वनीय/जंगली याक कम अनुकूल आवासों में स्थानांतरित होने के लिये मजबूर हो जाते हैं, जिससे उनकी संख्या प्रभावित होती है।
  • संरक्षण की स्थिति:
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