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स्वदेशी धान की किस्म: क्योंझर कालाचंपा

  • 25 Apr 2025
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

ओडिशा के एक किसान ने अपनी स्वदेशी धान किस्म, क्योंझर कालाचंपा को आधिकारिक रूप से पंजीकृत कराया है, तथा बीज के व्यावसायीकरण के लिये पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) से मुआवज़े की मांग की है।

क्योंझर कालाचंपा:

  • भारत सरकार ने वर्ष 2015 में इस किस्म को अधिसूचित किया था। ओडिशा राज्य बीज निगम (OSSC) और निजी कंपनियों ने इस किस्म के उत्पादन और वितरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • विशेषताएँ:
    • इस किस्म ने प्रमुख बीमारियों, कीटों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति लचीलापन दिखाया है।
    • यह झुकने या गिरने के प्रति प्रतिरोधी (नॉन लॉजिंग) है, उर्वरकों के प्रति अनुक्रियाशील है, समय पर की जाने वाली और साथ ही विलंब से होने वाली बुवाई के लिये उपयुक्त है, और उच्च उपज वाली किस्म है।
    • जीवीय दबाव के प्रति इसके प्रतिरोध के कारण, इसे किसानों द्वारा अत्यधिक उपयोग किया जाता है और यह भारत की पहली परंपरागत किस्मों में से एक थी जिसे औपचारिक बीज आपूर्ति शृंखला में एकीकृत किया गया था।

जीन बैंक पहल:

  • ओडिशा ने किसानों से प्राप्त धान की परंपरागत किस्मों को संरक्षित करने के लिये एक अनूठा जीन बैंक विकसित किया है, जिसके बीजों को 50 वर्षों तक तापमान और आर्द्रता नियंत्रित वातावरण में संग्रहित किया जा सकता है

पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA):

  • इसकी स्थापना PPVFRA अधिनियम, 2001 के तहत की गई थी। 
  • यह प्राधिकरण पौधों की किस्मों, किसानों और प्रजनकों के अधिकारों की रक्षा करता है, तथा नई किस्मों के विकास को बढ़ावा देता है, और साथ ही उन किसानों के अधिकारों की रक्षा करता है, जिन्होंने पीढ़ियों से पौधों की किस्मों का संरक्षण किया है
    • महापंजीयक इस प्राधिकरण का पदेन सदस्य सचिव होता है।

अधिक पढ़ें: पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA)

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