भारत में मोज़ाम्बिक से तुअर दाल का आयात | 05 Aug 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारत ने मोज़ाम्बिक से तुअर दाल का आयात पुनः शुरू कर दिया है, क्योंकि इसे “भारत विरोधी” समूह द्वारा बाधित किया गया था।
भारत में दालों के आयात की वर्तमान स्थिति क्या है?
- भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 4.65 मिलियन मीट्रिक टन दालों का आयात किया (जो वर्ष 2022-23 में 2.53 मिलियन टन से अधिक है), जो वर्ष 2018-19 के बाद से सबसे अधिक है।
- मूल्य के संदर्भ में दालों का आयात 93% बढ़कर 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- वर्ष 2023-24 में भारत ने 7.71 लाख टन तुअर/अरहर का आयात किया, जिसमें से 2.64 लाख टन (एक तिहाई) मोज़ाम्बिक से आया। मलावी भी भारत को तुअर का एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।
- मोज़ाम्बिक ने भारत के साथ वर्ष 2025-26 तक 2 लाख टन तुअर/अरहर की दाल की आपूर्ति के लिये समझौता ज्ञापन किया है, जिससे उसे बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित होगी। इसी तरह मलावी के साथ एक समझौता ज्ञापन के तहत भारत को 0.50 लाख टन की वार्षिक आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
- लाल मसूर (Red Lentil) का आयात, विशेष रूप से कनाडा से, दोगुना होकर 1.2 मिलियन टन हो गया।
- पीले मटर (Yellow Peas) रूस और तुर्की से आयात किये जाते हैं।
- भारत सहित दक्षिण एशियाई देश आमतौर पर कनाडा, म्याँमार, ऑस्ट्रेलिया, मोज़ाम्बिक और तंजानिया से दालें आयात करते हैं।
भारत में दलहल उत्पादन की स्थिति क्या है?
- भारत विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (विश्व खपत का 27%) तथा आयातक (14%) है।
- खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दलहन की हिस्सेदारी लगभग 20% है तथा देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है।
- चना सबसे प्रमुख दलहन है जिसकी कुल उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 40% है, इसके बाद तुअर/अरहर की हिस्सेदारी 15 से 20% तथा उड़द/ब्लैक मेटपे एवं मूंग दलहन की हिस्सेदारी लगभग 8-10% है।
- हालाँकि दलहन का उत्पादन खरीफ तथा रबी दोनों सीज़न में किया जाता है, रबी सीज़न में उत्पादित दलहन का कुल उत्पादन में 60% से अधिक का योगदान है।
- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष पाँच दलहन उत्पादक राज्य हैं।
तुअर दाल के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- यह भारत में एक महत्त्वपूर्ण फलीदार (लैग्यूम) फसल और प्रोटीन स्रोत है।
- यह उष्णकटिबंधीय और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है।
- जलवायु आवश्यकताएँ:
- वर्षा: सालाना 600-650 मिमी. वर्षा की आवश्यकता होती है, जिसमें शुरुआत में नमी की स्थिति और फूल आने से लेकर फली बनने तक शुष्क स्थिति वांछनीय है।
- तापमान: यह वर्षा ऋतु के दौरान 26°C से 30°C तथा उसके बाद 17°C से 22°C के तापमान पर सबसे अच्छी तरह विकसित होता है।
- मृदा: इसके लिये रेतीली दोमट या दोमट मृदा आवश्यक है, हालाँकि यह विभिन्न प्रकार की मृदा के अनुकूल हो सकती है।
- यह फली विकास के दौरान कम विकिरण के प्रति संवेदनशील है, जिसके कारण यदि मानसून या बादल वाली स्थिति में फूल आते हैं तो फली उत्पादन खराब हो सकता है।
- प्रमुख रोगों में विल्ट, स्टेरिलिटी मोज़ेक रोग, फाइटोफ्थोरा ब्लाइट, अल्टरनेरिया ब्लाइट और पाउडरी फफूंद/पाउडरी मिल्ड्यू शामिल हैं।
- शीर्ष उत्पादक राज्य (2019): कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश
भारत में दलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहल
- नीतिगत समर्थन: किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिये नीतिगत सुझाव मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और हाल ही में लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) के माध्यम से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करके दालों की खरीद पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)-दालें
- अनुसंधान और किस्म विकास में ICAR की भूमिका
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में दालों के उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: A |