भारत 2024 में अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन की अध्यक्षता करेगा | 28 Nov 2023
स्रोत: पी.आई.बी.
अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (ISO) की 63वीं परिषद की बैठक में हाल ही में की गई घोषणा भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि है। इस संगठन का मुख्यालय लंदन में स्थित है।
- भारत वर्ष 2024 में संगठन की अध्यक्षता करने के लिये तैयार है, जो चीनी उद्योग के क्षेत्र में देश की वैश्विक प्रमुखता में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ होगा।
अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन क्या है?
- अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (International Sugar Organization) वैश्विक चीनी बाज़ार को बढ़ाने के लिये समर्पित एक महत्त्वपूर्ण अंतर-सरकारी निकाय के रूप में कार्य करता है। इसमें शामिल सदस्य देशों का योगदान:
- विश्व चीनी उत्पादन का 87%
- विश्व की 64% चीनी खपत
- लगभग 88 देशों की सदस्यता के साथ भारत भी उनमें से एक है, इस संगठन में विभिन्न देश शामिल हैं।
- ISA अंतर्राष्ट्रीय चीनी समझौता (ISA), 1992 का प्रबंधन करता है जिसका लक्ष्य है:
- चीनी से संबंधित मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- वैश्विक चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये अंतर-सरकारी चर्चा को सुविधाजनक बनाना।
- बाज़ार की जानकारी एकत्र करना और प्रसारित करना।
- चीनी के विस्तारित उपयोग, विशेष रूप से गैर-पारंपरिक अनुप्रयोगों में, को प्रोत्साहित करना।
भारत में चीनी उद्योग की स्थिति क्या है?
- परिचय:
- भारत विश्व स्तर पर चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता तथा दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वैश्विक चीनी खपत में 15% की पर्याप्त हिस्सेदारी एवं 20% की सशक्त उत्पादन दर के साथ भारत की रणनीतियाँ अंतर्राष्ट्रीय चीनी बाज़ार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
- चीनी के मामले में भारत पूर्वी गोलार्द्ध के बाज़ार में अग्रणी है, जो पश्चिमी गोलार्द्ध में ब्राज़ील के गढ़ का पूरक है।
- चीनी उद्योग की वृद्धि के लिये भौगोलिक परिस्थितियाँ:
- तापमान: ऊष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27°C के बीच
- वर्षा: लगभग 75-100 सेमी.
- मृदा का प्रकार: गहरी समृद्ध दोमट मृदा
- वितरण: चीनी उद्योग मुख्य रूप से दो प्राथमिक उत्पादन क्षेत्रों में स्थित है: उत्तरी बेल्ट में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और बिहार शामिल हैं तथा दक्षिणी बेल्ट में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
- दक्षिणी क्षेत्र को उष्णकटिबंधीय जलवायु से लाभ होता है, जो फसलों में उच्च सुक्रोज़ सामग्री के लिये अनुकूल है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तरी भारत की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में उपज में वृद्धि होती है।
- भारत सरकार की पहल:
- उचित और लाभकारी मूल्य (FRP): सरकार ने वर्ष 2023-2024 चीनी सीज़न के लिये FRP 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
- FRP वह न्यूनतम मूल्य है जो चीनी मिलों को गन्ना किसानों को भुगतान करना होता है। इसकी घोषणा केंद्र द्वारा प्रतिवर्ष की जाती है।
- सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर FRP तय करती है।
- FRP प्रणाली के तहत किसानों को गन्ने के लिये दी जाने वाली कीमत चीनी मिलों द्वारा उत्पन्न मुनाफे से जुड़ी नहीं है।
- FRP वह न्यूनतम मूल्य है जो चीनी मिलों को गन्ना किसानों को भुगतान करना होता है। इसकी घोषणा केंद्र द्वारा प्रतिवर्ष की जाती है।
- इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम:
- इथेनॉल एक कृषि उप-उत्पाद है जो मुख्य रूप से चीनी के लिये गन्ने के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है और इसे चावल की भूसी या मक्का जैसे वैकल्पिक स्रोतों से भी प्राप्त किया जा सकता है।
- जब वाहन संचालन में जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने के लिये इथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है, तो इसे इथेनॉल मिश्रण कहा जाता है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का लक्ष्य हासिल करना है।
- इथेनॉल एक कृषि उप-उत्पाद है जो मुख्य रूप से चीनी के लिये गन्ने के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है और इसे चावल की भूसी या मक्का जैसे वैकल्पिक स्रोतों से भी प्राप्त किया जा सकता है।
- उचित और लाभकारी मूल्य (FRP): सरकार ने वर्ष 2023-2024 चीनी सीज़न के लिये FRP 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) प्रश्न. चार ऊर्जा फसलों के नाम नीचे दिये गए हैं। उनमें से किसकी खेती इथेनॉल के लिये की जा सकती है? (2010) (A) जेट्रोफा उत्तर: (B) |