पौधों पर कोल डस्ट का प्रभाव | 31 Jan 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय और NIT राउरकेला (अक्टूबर 2024) द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कोयला खनन से निकलने वाली धूल पौधों के रंध्रों को अवरुद्ध करके और कार्बन अवशोषण को कम करके पौधों एवं वनस्पति को नुकसान पहुँचाती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। 

  • इस धूल से खदान से 30 किमी तक की वनस्पति पर प्रभाव पड़ता है तथा इसका सर्वाधिक संकेंद्रण परिवहन मार्गों पर होता है।

कोयला खनन की धूल पादपों को किस प्रकार प्रभाव करती है?

  • कार्बन अवशोषण की क्षमता पर प्रभाव: जिन पौधों की पत्तियों पर खनन की धूल होती है, वे धूल रहित पौधों की तुलना में प्रति वर्ग मीटर 2-3 ग्राम कम कार्बन अवशोषित करते हैं, जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर में उनकी भूमिका बढ़ सकती है, जिससे समय के साथ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ सकती है।
  • पादपों के स्वास्थ्य पर प्रभाव: पत्तियों पर धूल का जमाव रंध्रों को अवरुद्ध करता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण और जल वाष्प उत्सर्जन प्रभावित होता है। 
    • वाष्पोत्सर्जन में इस कमी से पादप का अतितापन हो सकता है, जिससे विकास अवरुद्ध हो सकता है, पौधे मर सकते हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है।
  • श्वसन संबंधी जोखिम: विवृत खान का खनन करने से गंभीर वायु प्रदूषण होता है, क्योंकि विस्फोट, ड्रिलिंग और परिवहन से निकलने वाली धूल का परिक्षेपण होता है, जिससे श्वसन संबंधी गंभीर जोखिम उत्पन्न होते हैं।

मनुष्यों पर कोयले की धूल का प्रभाव

  • श्वसन विकार: न्यूमोकोनियोसिस (ब्लैक लंग डिज़ीज़), जिसके कारण फेफड़ों में घाव हो जाता है और साँस लेने में कठिनाई होती है। 
  • हृदय संबंधी रोग: कोयले की धूल सूजन और उच्च रक्तचाप पैदा करके हृदय रोग, स्ट्रोक और धमनी अवरोध का खतरा बढ़ाती है।
  • तंत्रिका संबंधी एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव: कोयले की धूल में मौजूद भारी धातुएँ तंत्रिका विषाक्तता, त्वचा और आँखों में जलन, प्रजनन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकती हैं, जिससे संज्ञानात्मक कार्य और समग्र स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

कोयला

  • परिचय:
    • कोयला एक अवसादी चट्टान है जिसका रंग काला या भूरा-काला होता है। 
    • यह एक जीवाश्म ईंधन है जो लाखों वर्ष पूर्व मौजूद पौधों के अवशेषों से निर्मित हुआ है।
  • प्रकार:

  • उत्पादन:
    • रैंकिंग के अनुसार कोयला उत्पादक देश (वर्ष 2022): चीन, भारत, इंडोनेशिया, अमेरिका और रूस।
      • अमेरिका में विश्व का सबसे बड़ा प्रमाणित कोयला भंडार है। 
    • भारत में: प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड हैं, जिसमे मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा भी शामिल हैं, तथा भारत में घरेलू कच्चे कोयले के प्रेषण में इनका योगदान 75% है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है? (2015)

(a) शोरा
(b) शैल फ़ॉस्फ़ेट (रॉक फ़ॉस्फ़ेट)
(c) कोककारी (कोकिंग) कोयला
(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (c)  


प्रश्न: कोयले के बृहत् सुरक्षित भण्डार होते हुए भी भारत क्यों मिलियन टन कोयले का आयात करता है? (2012)

  1. भारत की यह नीति है कि वह अपने कोयले के भण्डार को भविष्य के लिए सुरक्षित रखे और वर्तमान उपयोग के लिए इसे अन्य देशों से आयात करें।
  2.  भारत के अधिकतर विद्युत् संयंत्र कोयलें पर आधारित हैं और उन्हें देश से पर्याप्त मात्रा में कोयले की आंतरिक आपूर्ति नहीं हो पाती।
  3.  इस्पाव कम्पनियों को बड़ी मात्रा में कोक कोयले की आवश्यकता पड़ती है, जिसे आयात करना पड़ता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)