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GI-टैग चावल के निर्यात के लिये HS कोड

  • 12 Feb 2025
  • 2 min read

स्रोत: बीएल

भारत ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 में संशोधन किया है, तथा भौगोलिक संकेत (GI) टैग वाली चावल किस्मों के लिये (Harmonised System-HS) कोड शुरू करने वाला पहला देश बन गया है। 

  • वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित इस संशोधन में निर्यात के लिये HS कोड 1006-30-11 (उबला हुआ चावल) और 1006-30-91 (सफेद चावल) शामिल हैं
    • HS कोड सामान्य चावल निर्यात प्रतिबंधों के दौरान भी, विशेष सरकारी अधिसूचना की आवश्यकता के बिना, GI-टैग वाले चावल के निर्बाध निर्यात की अनुमति प्रदान करता है।
    • HS कोड: विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) HS कोड को प्रबंधित करता है, जिसे प्रत्येक पाँच वर्ष में संशोधित किया जाता है तथा यह छह अंकों के कोड का उपयोग करके व्यापार की जाने वाली वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिये एक वैश्विक मानक के रूप में कार्य करता है। देश वस्तुओं को और अधिक वर्गीकृत करने के लिये HS कोड में विस्तार कर सकते हैं।
      • यह पहचान, शुल्क और व्यापार सांख्यिकी में मदद करता है।
    • मान्यता प्राप्त GI चावल की किस्में: भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा नवारा, पलक्कडन मट्टा, पोक्कली, वायनाड जीरकासला और अन्य सहित चावल की 20 किस्मों को GI टैग दिया गया है।
    • लंबित GI आवेदन: सीरागा सांबा, जम्मू और कश्मीर लाल चावल, और वाडा कोलम धान सहित 20 चावल की किस्में को GI टैग के लिये आवेदन किया गया है।
  • WCO: वर्ष 1952 में स्थापित, यह एक अंतर-सरकारी निकाय है जो दुनिया भर में सीमा शुल्क दक्षता में सुधार तथा 183 सीमा शुल्क प्रशासनों (भारत सहित) का प्रतिनिधित्व करता है, जिनका वैश्विक व्यापार में 98% का हिस्सा है। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है।

और पढ़ें: चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य

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