हॉर्सशू क्रैब | 27 Aug 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) और ओडिशा वन विभाग ने इस प्राचीन प्रजाति के संरक्षण के लिये हॉर्सशू क्रैब को टैग करना शुरू कर दिया है।
- ZSI ने सैकड़ों क्रैब्स/केकड़ों को टैग करने की योजना बनाई थी ताकि उनकी आबादी और उनके समक्ष विद्यमान खतरों का पता लगाया जा सके
हॉर्सशू क्रैब के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- हॉर्सशू क्रैब लिमुलिडे कुल के समुद्री और लवणीय जल के आर्थ्रोपोड हैं तथा ज़िफोसुरा गण के एकमात्र जीवित प्रजाति है।
- ये पृथ्वी पर सबसे पुराने (250 मिलियन वर्ष पहले उत्पन्न हुए) जीवित प्राणियों में से एक हैं, जिन्हें जीवित जीवाश्म भी कहा जाता है।
- प्रजातियाँ और स्थान: हॉर्सशू क्रैब की 4 प्रजातियाँ मौजूद हैं।
- भारत में हॉर्सशू क्रैब की 2 प्रजातियाँ पाई जाती हैं: टैचीप्लस गिगास (ओडिशा व पश्चिम बंगाल में पाई जाती है) और कार्सिनोस्कॉर्पियस रोटुंडिकाडा (पश्चिम बंगाल के सुंदरबन मैंग्रोव में पाई जाती है)।
- अमेरिकी हॉर्सशू क्रैब (Limulus polyphemus): संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट और मैक्सिको की खाड़ी में पाया जाती है।
- ट्राई- स्पाइन हॉर्सशू क्रैब (Tachypleus Tridentatus): हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाया जाती है।
- संकट
- विघटनकारी फिशिंग (Destructive Fishing) की पद्धतियाँ और अवैध तस्करी।
- संरक्षण की स्थिति:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972: भारतीय प्रजातियों को WPA, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित किया गया है।
- IUCN स्थिति
- अमेरिकन हॉर्सशू क्रैब : संवेदनशील।
- ट्राई- स्पाइन हॉर्सशू क्रैब: लुप्तप्राय।
- ट्राई- स्पाइन हॉर्सशू क्रैब
- अन्य दो प्रजातियाँ अभी सूचीबद्ध नहीं हैं।
- औषधीय उपयोग:
- इसका कवच (कठोर बाहरी आवरण) घाव पर लगाया जाता है।
- हॉर्सशू क्रैब का रक्त चमकीला नीला होता है और इसमें प्रतिरक्षा कोशिकाएँ होती हैं, जो विषैले बैक्टीरिया के प्रति संवेदनशील होती हैं।
- ये कोशिकाएँ आक्रमणकारी बैक्टीरिया के चारों ओर जम जाती हैं तथा हॉर्सशू क्रैब के शरीर की रक्षा करती हैं।
- वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं का उपयोग लिमुलस एमेबोसाइट लाइसेट (LAL) नामक एक परीक्षण विकसित करने के लिये किया, जो नए टीकों में संदूषण की जाँच करता है तथा हानिकारक बैक्टीरिया वाले टीकों के वितरण को रोकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय हॉर्सशू क्रैब दिवस (International Horseshoe Crab Day) प्रतिवर्ष 20 जून को हॉर्सशू क्रैब के सामूहिक संरक्षण प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिये मनाया जाता है।
जीवित जीवाश्म
- जीवित जीवाश्म वे प्रजातियाँ हैं, जो लाखों वर्षों से जीवित हैं तथा अपने प्राचीन पूर्वजों के समान गुणधर्म बनाए हुए हैं।
- ये जीव पृथ्वी के विकासवादी इतिहास और प्राचीन पारिस्थितिक परिदृश्यों के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
- जीवित जीवाश्मों के अन्य उदाहरण:
- कोइलाकैंथ: दक्षिण अफ्रीका के तट पर 1938 में पुनः खोजी गई यह गहरे समुद्र में पाई जाने वाली मछली अपने खंडित पंखों के लिये प्रसिद्ध है, जो अंगों के समान कार्य करते हैं।
- जिन्कगो बिलोबा: यह पौधों के एक प्राचीन समूह का एकमात्र जीवित सदस्य है, इसकी विशिष्ट पंखे के आकार की पत्तियाँ हैं, जो लाखों वर्षों से अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
- वोलेमी पाइन: 1994 में ऑस्ट्रेलिया में खोजा गया एक दुर्लभ पौधा, जो अपनी प्राचीन वंशक्रम के लिये जाना जाता है।
- तुतारा: न्यूजीलैंड में पाई जाने वाली सरीसृप की अनूठी प्रजाति, जिसका संबंध प्राचीन सरीसृपों से है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हाल ही में हमारे वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की एक नई और भिन्न जाति की खोज की है जिसकी ऊँचाई लगभग 11 मीटर तक जाती है तथा उसके फल का गूदा नारंगी रंग का है। यह भारत के किस भाग में खोजी गई है? (2016) (a) अंडमान द्वीप उत्तर: (a) प्रश्न. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व के लिये आधार बनाती है: (2011
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये (a) केवल 1, 2 और उत्तर: (d) |